AIN NEWS 1: दीवाली से ठीक पहले दिल्ली-एनसीआर की हवा फिर जहरीली होती जा रही है। लगातार गिरती वायु गुणवत्ता को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के पहले चरण को लागू करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
दिल्ली में अक्टूबर के शुरुआती दिनों में हवा साफ थी, लेकिन अब प्रदूषण के स्तर ने एक बार फिर ‘खराब’ श्रेणी में प्रवेश कर लिया है।
क्या है ग्रैप (GRAP)?
ग्रैप यानी Graded Response Action Plan एक ऐसी योजना है जो दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर के आधार पर अलग-अलग चरणों में नियंत्रण के उपाय लागू करती है।
पहला चरण (Poor AQI 201–300): धूल और वाहन प्रदूषण पर सख्ती।
दूसरा चरण (Very Poor AQI 301–400): निर्माण कार्यों पर और ज्यादा प्रतिबंध।
तीसरा चरण (Severe AQI 401–450): डीजल जनरेटर पर रोक और सार्वजनिक परिवहन बढ़ाने के निर्देश।
चौथा चरण (Severe Plus 450+): स्कूल बंद करने, ट्रकों की एंट्री रोकने जैसे कठोर कदम।
अभी दिल्ली में पहला चरण लागू किया गया है क्योंकि प्रदूषण का स्तर 200 पार कर गया है।
दिल्ली में एक्यूआई: तीन महीने बाद ‘खराब’ श्रेणी में
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (DPCC) के अनुसार, लगभग तीन महीनों बाद वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में पहुंची है।
पिछली बार 11 जुलाई को हवा इतनी खराब दर्ज की गई थी।
अक्टूबर की शुरुआत में स्थिति बहुत बेहतर थी — 7 अक्टूबर को AQI सिर्फ 73 था, जो ‘संतोषजनक’ श्रेणी में आता है।
लेकिन 14 अक्टूबर को औसत AQI 211 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है।
यह दर्शाता है कि कुछ ही दिनों में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, मंगलवार को दिल्ली का औसत एक्यूआई (AQI) 211 रहा।
इससे पहले बारिश और ठंडी हवाओं के कारण हवा में धूल कणों की मात्रा कम थी, लेकिन अब जैसे-जैसे तापमान गिरा है और हवा की गति धीमी हुई है, PM2.5 और PM10 कणों की सांद्रता तेजी से बढ़ गई है।
आयोग ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।
एक सप्ताह में प्रदूषण बढ़ने का ग्राफ
तारीख AQI स्तर श्रेणी
7 अक्टूबर 73 संतोषजनक
8 अक्टूबर 81 संतोषजनक
9 अक्टूबर 100 मध्यम
10 अक्टूबर 170 मध्यम से खराब
11 अक्टूबर 199 खराब के करीब
12 अक्टूबर 167 मध्यम
13 अक्टूबर 189 मध्यम से खराब
14 अक्टूबर 211 खराब
स्पष्ट है कि सिर्फ एक हफ्ते में हवा लगभग तीन गुना अधिक प्रदूषित हो गई है।
गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर
गाजियाबाद मंगलवार को देशभर में सबसे प्रदूषित शहर रहा, जहां एक्यूआई 261 दर्ज किया गया।
नोएडा में AQI 251 रहा और
बहादुरगढ़ में 229 तक पहुंच गया।
गौतमबुद्ध नगर में भी इस महीने पहली बार वायु गुणवत्ता इतनी खराब दर्ज की गई है।
यह स्पष्ट संकेत है कि दिल्ली के आसपास के औद्योगिक इलाकों में धूल, वाहन उत्सर्जन और निर्माण कार्यों से निकलने वाला धुआं बड़ी समस्या बन रहा है।
ग्रैप चरण-1 के तहत लागू प्रमुख पाबंदियां
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की उप-समिति ने एनसीआर में GRAP चरण-1 के सभी 27 बिंदुओं को तत्काल लागू करने के आदेश दिए हैं।
निम्नलिखित प्रमुख उपाय लागू किए जा रहे हैं —
1. निर्माण कार्यों पर नियंत्रण:
पंजीकृत न होने वाली और 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र वाली परियोजनाओं में निर्माण कार्य पर रोक।
2. धूल नियंत्रण के सख्त निर्देश:
सभी निर्माण स्थलों को ढककर रखना होगा और धूल फैलने से रोकने के उपाय करने होंगे।
3. खुले में कचरा या जैविक अपशिष्ट जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध।
4. वाहनों का प्रदूषण प्रमाण पत्र अनिवार्य:
जिन वाहनों के पास वैध PUC नहीं होगा, उन पर कार्रवाई होगी।
5. डीजल जनरेटर का सीमित उपयोग:
केवल आवश्यक सेवाओं जैसे अस्पताल या आपातकालीन उपयोग के लिए ही अनुमति होगी।
6. पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध का पालन:
सभी जिलों में पुलिस और प्रशासन को सख्ती से अमल का निर्देश दिया गया है।
राजधानी में हवा हुई जहरीली
दिल्ली के आनंद विहार, जहांगीरपुरी, बवाना, और रोहिणी जैसे इलाकों में मंगलवार को हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ रही।
सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक कई इलाकों में AQI 300 के पार रहा।
दिन में एक दर्जन से अधिक जगहों पर हवा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई।
यह स्थिति बताती है कि दीवाली से पहले प्रदूषण की शुरुआत हो चुकी है और अगर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो हालात गंभीर हो सकते हैं।
क्यों बढ़ता है प्रदूषण अक्टूबर-नवंबर में?
दिल्ली-एनसीआर में अक्टूबर से नवंबर के बीच प्रदूषण तेजी से बढ़ने के पीछे कई कारण हैं —
1. पराली जलाना: पंजाब और हरियाणा में फसल कटाई के बाद पराली जलाने से धुआं दिल्ली की हवा में मिल जाता है।
2. वाहनों की संख्या: रोजाना लाखों वाहन दिल्ली की सड़कों पर निकलते हैं, जिससे उत्सर्जन बढ़ता है।
3. ठंडी हवा की गति: तापमान गिरने से हवा भारी हो जाती है और प्रदूषक जमीन के पास ही जमा रहते हैं।
4. निर्माण धूल: लगातार चल रहे निर्माण कार्य धूल कणों को बढ़ाते हैं।
5. पटाखों का प्रयोग: दीवाली के दौरान पटाखों का धुआं प्रदूषण को कई गुना बढ़ा देता है।
प्रशासन की निगरानी और कार्रवाई
CAQM ने सभी एजेंसियों से कहा है कि वे रोजाना प्रदूषण की समीक्षा करें और सख्ती से कदम उठाएं।
ड्रोन और मोबाइल वैन से निगरानी की जा रही है।
स्थानीय निकायों को धूल नियंत्रण मशीनों और एंटी-स्मॉग गन का उपयोग बढ़ाने का आदेश दिया गया है।
स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में भी ग्रीन प्रोटोकॉल लागू करने की सलाह दी गई है।
जनता से अपील: अपने स्तर पर योगदान दें
प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों की जिम्मेदारी भी है कि वे इस संकट को कम करने में सहयोग दें।
वाहन साझा करें या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
पटाखों से दूरी बनाए रखें।
खुले में कचरा न जलाएं।
पेड़ लगाएं और हरियाली बढ़ाएं।
हर छोटा कदम दिल्ली की हवा को कुछ हद तक साफ कर सकता है।
आने वाले दिनों में क्या उम्मीद?
मौसम विभाग के अनुसार, 15 से 20 अक्टूबर के बीच हल्की धुंध और स्मॉग की परत छाई रह सकती है।
हवा की गति कम होने से प्रदूषक वातावरण में लंबे समय तक बने रहेंगे।
अगर हालात नहीं सुधरे, तो GRAP का दूसरा चरण लागू किया जा सकता है, जिसमें और कड़ी पाबंदियां शामिल होंगी।
मिलकर रोकना होगा यह संकट
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण अब एक मौसमी संकट बन चुका है। हर साल दीवाली से पहले हवा जहरीली हो जाती है, स्कूलों और अस्पतालों पर बोझ बढ़ता है, और लोग सांस की तकलीफ से जूझते हैं।
इस बार ग्रैप का पहला चरण पहले ही लागू कर दिया गया है ताकि हालात नियंत्रण से बाहर न जाएं।
लेकिन असली बदलाव तभी आएगा जब सरकार, उद्योग, और आम नागरिक मिलकर जिम्मेदारी निभाएं।
हवा हमारी साझा विरासत है — इसे बचाना सबका कर्तव्य है।
Delhi-NCR’s air quality has deteriorated to the “poor” category just before Diwali, prompting the Commission for Air Quality Management (CAQM) to implement GRAP Stage 1 restrictions. With Delhi’s AQI rising to 211 and Ghaziabad recording the highest AQI at 261, authorities have imposed strict measures such as restrictions on construction, bans on open burning, and vehicle pollution checks. The air pollution crisis in Delhi, Noida, and NCR regions continues to worsen due to stubble burning, vehicle emissions, and slower wind speeds, making it essential for citizens and the government to act collectively.



















