मार्कण्डेय काटजू का बयान: लाहौर बनेगा ‘लव नगर’, पाकिस्तान में भारतीय व्यंजन खाने की कल्पना!

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AIN NEWS 1: भारत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू एक बार फिर अपने बेबाक और व्यंग्यपूर्ण बयानों की वजह से चर्चा में आ गए हैं। इस बार उन्होंने पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में भारतीय व्यंजनों की कल्पना करते हुए एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी की है। उन्होंने कहा:

“जल्द ही हम लाहौर में नाश्ते में बेकन और अंडे खाएंगे, इस्लामाबाद में लंच में बिरयानी का मजा लेंगे, पेशावर में चाय के साथ डोनट्स खाएंगे, और कराची में डिनर में सी-फूड का स्वाद लेंगे। हम लाहौर का नाम लव नगर रखेंगे।”

यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई।

काटजू की शैली और उद्देश्य

मार्कण्डेय काटजू अपने स्पष्ट विचारों और व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। उनकी यह टिप्पणी भी साफ तौर पर एक राजनीतिक और सामाजिक व्यंग्य के रूप में देखी जा रही है। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों पर कटाक्ष करते हुए यह कल्पना की है कि एक दिन पाकिस्तान के शहरों में भारतीय खाना आम बात होगी और सांप्रदायिकता के बजाय प्यार और संस्कृति का आदान-प्रदान होगा।

‘लव नगर’ नाम रखने का संदेश

काटजू ने लाहौर का नाम ‘लव नगर’ रखने की बात कहकर यह संकेत दिया कि अब नफरत की नहीं, प्रेम की बात होनी चाहिए। यह नाम सांकेतिक है जो यह बताता है कि सीमाओं से परे भी इंसानियत और संस्कृति को अपनाया जा सकता है।

पाकिस्तानी शहरों में भारतीय खाने की कल्पना

उनकी इस टिप्पणी में उन्होंने पाकिस्तान के चार प्रमुख शहरों का जिक्र किया है:

1. लाहौर – जहाँ वे नाश्ते में बेकन और अंडे खाने की कल्पना करते हैं। यह एक पश्चिमी शैली का नाश्ता है, जिसे आमतौर पर मुस्लिम बहुल समाज में स्वीकार नहीं किया जाता। यह व्यंग्य इस बात की ओर संकेत करता है कि एक दिन धार्मिक कट्टरता के स्थान पर सहिष्णुता होगी।

2. इस्लामाबाद – जिसमें बिरयानी को लंच के रूप में प्रस्तुत किया गया है। बिरयानी दोनों देशों में लोकप्रिय है, जिससे सांस्कृतिक समानताओं पर प्रकाश डाला गया है।

3. पेशावर – जहाँ चाय के साथ डोनट्स की कल्पना की गई है, एक ऐसा कॉम्बिनेशन जो भारतीय शहरी संस्कृति को दर्शाता है।

4. कराची – जहाँ सी-फूड का डिनर दिखाया गया है, जो भारत के समुद्री शहरों की तरह एक स्वाद की विविधता की प्रतीक है।

राजनीतिक और सामाजिक संकेत

यह टिप्पणी केवल खाने तक सीमित नहीं है। यह भारत-पाक संबंधों में भविष्य की कल्पना को दर्शाती है, जहाँ दोनों देशों के लोग शांति से रह सकें और एक-दूसरे की संस्कृति को अपना सकें। इसमें व्यंग्य के माध्यम से यह कहा गया है कि एक दिन दोनों देशों के बीच नफरत की दीवारें गिरेंगी और प्रेम की नींव रखी जाएगी।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

काटजू की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई। कुछ लोगों ने इसे हास्य के रूप में लिया, तो कुछ ने इसे गम्भीर राजनीतिक संदेश के रूप में देखा। कई यूज़र्स ने कहा कि यह व्यंग्यात्मक अंदाज में शांति और प्रेम का संदेश है, जबकि कुछ ने इसे पाकिस्तान के प्रति अनादर के रूप में देखा।

कट्टरपंथ बनाम व्यंग्य

मार्कण्डेय काटजू हमेशा से ही कट्टरता के खिलाफ बोलते आए हैं। उनका यह बयान भी कट्टर सोच पर करारा व्यंग्य है। उन्होंने एक ऐसी दुनिया की कल्पना की है जहाँ लोग धर्म और सीमाओं के नाम पर एक-दूसरे से नफरत नहीं करते बल्कि भोजन, भाषा और प्रेम से जुड़ते हैं।

मार्कण्डेय काटजू की यह टिप्पणी महज़ एक मजाक या हास्य नहीं है, बल्कि एक गहरी सोच और समाज के लिए संदेश है। उन्होंने व्यंग्य के ज़रिये यह बताया है कि प्यार और संस्कृति की शक्ति सीमाओं से अधिक होती है। ‘लव नगर’ केवल एक नाम नहीं, एक विचार है – कि भविष्य में सीमाएं सिर्फ नक्शों तक सीमित हों और दिलों में प्रेम हो।

Former Supreme Court judge Markandey Katju has sparked attention with a satirical statement where he imagines Indian food in Pakistan, from bacon and eggs in Lahore to biryani in Islamabad, donuts in Peshawar, and seafood in Karachi. He further suggests renaming Lahore as Love Nagar, symbolizing cultural harmony. The comment quickly went viral and triggered debates on India-Pakistan relations, satire in politics, and freedom of expression.

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