अदभुद है प्रयागराज के लेटे हनुमानजी का मंदिर, इसके आगे अकबर तक भी थे नतमस्तक, क्या है दिलचस्प कहानी!

0
503

AIN NEWS 1: संगमनगरी प्रयागराज काफ़ी पुराने समय से ही एक साधु-संतों की भूमि रही है। प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक ही इससे प्रयाग और तीर्थराज नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान को हिंदू धर्म का एक पवित्र स्थान भी माना जाता है। जैसा आप सभी जानते है प्रयागराज में कई सारे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर स्थित है। ऐसे ही एक बड़े हनुमानजी का भी मंदिर है। संभवत दुनिया का ही ये एक पहला मंदिर है जहां भगवान हनुमान की लेटी हुई प्रतिमा स्थित है। इस मंदिर को ही बड़े हनुमान जी, किले वाले हनुमान जी, बांध वाले हनुमान जी जैसे नाम से भी जाना जाता है। इसे मंदिर को ही प्रयाग के कोतवाल होने का भी दर्जा प्राप्त है। संगम किनारे स्थित इस लेटे हनुमान मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते रहते हैं। इस लेटे हनुमान मंदिर की प्रतिमा की लंबाई करीब 20 फीट है। ऐसा भी माना जाता है की गंगा का पानी लेटे हनुमान की प्रतिमा को स्पर्श करता है और फिर नीच उतर जाता है। मंदिर को लेकर कई सारी कथाएं और कहानियां भी प्रचलित हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक ही लंका को जीतने के बाद जब भगवान हनुमान अपार कष्ट से पीड़ित होकर मरणासन्न की अवस्था में पहुंच गए थे तब देवी सीता ने इन्हें सिंदूर देकर अपना आशीर्वाद दिया था।

यहां पर मुगल बादशाह अकबर भी हो गया था नतमस्तक

बता दें इस मंदिर में मुगल सम्राट अकबर भी आकर नतमस्तक हो गया था। इतिहासकारों के माने तो अकबर अपने साम्राज्य के विस्तार करना चाह रहा था। बंगाल, अवध और मगध समते पूर्वी भारत में हुए विद्रोह को दबाने के लिए यहां पर वह एक किले का निर्माण करवाना चाहता था। लेकीन उसके नक्शे के अनुसार किले के निर्माण के भीतर ही लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर भी आ रहा था। तब साधु-संतों ने इसका पुरजोर विरोध किया। तब अकबर ने लेटे हनुमान जी को गंगा के किनारे पर शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया। लेकिन अकबर के सैनिक मिलकर भी हनुमान की इस प्रतिमा को हिला तक ना सकी अंत में अकबर ने अपनी हार मान ली और मंदिर के पीछे ही किले का निर्माण कराया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here