AIN NEWS 1: मध्यप्रदेश सरकार ने तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की VIP और VVIP ड्यूटी पर पूर्ण विराम लगाते हुए उन्हें अब सिर्फ राजस्व न्यायिक कार्यों में लगाए जाने का फैसला किया है। इससे जमीन और संपत्ति से जुड़े मामलों में लंबी सुनवाई का बोझ घटेगा और लोगों को जल्द न्याय मिलेगा। यह निर्णय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई ‘डेस्टिनेशन कैबिनेट’ की बैठक में लिया गया।
सरकार ने राजस्व आयुक्त कार्यालय और भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त कार्यालय को मिलाकर नया भू-संसाधन प्रबंधन कार्यालय स्थापित किया है। यह बदलाव राज्य के लाखों लंबित भूमि प्रकरणों के शीघ्र निपटारे में सहायक होगा।
राजस्व विभाग की पुरानी व्यवस्था में बदलाव
राजस्व विभाग की व्यवस्था में व्यापक बदलाव करते हुए सरकार ने दो प्रमुख संस्थाओं को मिलाकर ‘भू-संसाधन प्रबंधन’ नाम से एकीकृत कार्यालय बनाया है। यह निर्णय न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को सरल करेगा बल्कि आम जनता के लिए समयबद्ध न्याय भी सुनिश्चित करेगा। अब तहसीलदार कोर्ट की कार्यवाही, सीमांकन, नामांतरण, कब्जा विवाद जैसे मामलों पर ही केंद्रित रहेंगे।
जमीन से जुड़े मामलों में राहत
राज्य में लाखों लोग वर्षों से ज़मीन विवादों में फंसे रहते हैं। कई मामलों में तो पीढ़ियां खप जाती हैं। तहसीलदारों के कोर्ट पर ध्यान केंद्रित करने से अब इन मामलों का निपटारा तेज़ी से होगा। इससे न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि लोगों को जमीन की कानूनी लड़ाइयों से राहत भी मिलेगी।
राजा भभूत सिंह के नाम होगा वन्यजीव अभयारण्य
कैबिनेट बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि पचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य का नाम स्वतंत्रता सेनानी राजा भभूत सिंह के नाम पर रखा जाएगा। भभूत सिंह ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से गोरिल्ला युद्ध कर सतपुड़ा क्षेत्र को मुक्त कराया था। यह निर्णय उनकी वीरता को श्रद्धांजलि देने के रूप में देखा जा रहा है।
श्रम कानूनों में बदलाव
राज्य सरकार ने ठेका श्रम अधिनियम 1970 और कारखाना अधिनियम 1948 में भी संशोधन को मंजूरी दी है।
अब जिन कारखानों में पहले 20 श्रमिकों की सीमा थी, उसे बढ़ाकर 50 किया गया है।
बिना बिजली की सहायता से चलने वाले कारखानों में सीमा 20 से बढ़ाकर 40 की जाएगी।
लोक उपयोगी सेवाओं वाले कारखानों में अब बिना पूर्व सूचना के हड़ताल नहीं की जा सकेगी।
इन बदलावों से न केवल श्रमिक संगठनों की जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि औद्योगिक व्यवस्था में स्थिरता भी आएगी।
इंदौर में बनेगा पहला एग्रीटेक हब
राज्य में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए इंदौर स्थित IIT में पहला एग्रीटेक हब बनाया जाएगा।
यह इनोवेशन हब फॉर एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट के तहत स्थापित होगा और इसमें मप्र राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम की भागीदारी होगी।
कुल लागत: ₹14.98 करोड़
चालू वित्त वर्ष के लिए स्वीकृति: ₹2 करोड़
यह हब कृषि क्षेत्र में नई तकनीक और नवाचारों को बढ़ावा देगा।
स्वास्थ्य और वेलनेस के क्षेत्र में कदम
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि:
5 जून: उज्जैन में वेलनैस समिट
7 जून: डिंडौरी के बजाग में बैगा सम्मेलन
9 जून: शहडोल के ब्यौहारी में कोल सम्मेलन
18 जून: कोलारस में सहारिया सम्मेलन
ये आयोजन जनजातीय और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी और कल्याण की दिशा में बड़ा कदम माने जा रहे हैं।
The Madhya Pradesh government, under CM Mohan Yadav, has implemented major reforms in the revenue department, removing Tehsildars and Nayab Tehsildars from VIP/VVIP duties. This change ensures a faster resolution of land disputes through focused judicial responsibilities. The creation of the Bhumi Sansadhan Prabandhan office by merging existing revenue offices, the renaming of Pachmarhi Wildlife Sanctuary after Raja Bhuboot Singh, and the upcoming Agritech Hub in Indore are all part of this administrative overhaul. Labour law amendments and wellness summits further reflect MP’s commitment to public service and innovation.