AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद नगर निगम में पिछले 10 साल में कुल 24580 कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है। इसके बावजूद भी यहां पर दिन-प्रतिदिन कुत्तों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इससे मेयर सुनीता दयाल ने भी काफ़ी ज्यादा हैरत में पड़ गई है कि इनकी नसबंदी के बावजूद ऐसे-कैसे इनकी संख्या में इस तरह से बढ़ोतरी हो रही । आशंका तो यह भी है कि कुत्तों की नसबंदी की आड़ मे ही एक बड़ा गोलमाल हो रहा है । मेयर भी अब इसकी पूरी सच्चाई जानना चाहती हैं। इसलिए ही उन्होंने अब 10 साल में नसबंदी अभियान का पूरा रिकॉर्ड ही तलब कर लिया है।
जान ले 2013 से ही चल रहा है यह नसबंदी अभियान, तब इतने कुर्ते भी नहीं थे
बता दें, गाजियाबाद में पहले से एक एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर खुला हुआ है। यहां साल 2013 में ही नगर निगम ने कुत्तों की नसबंदी का यह अभियान भी प्रारंभ किया था। बीच-बीच में कई बार नगर निगम ने ये काम स्वयं ही किया तो कई बार यही काम कई NGO से करवाया गया। सूत्रों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 10 सितंबर 2023 तक यहां पर कुल 24580 कुत्तों की नसबंदी हुई। एक नए आंकड़े के अनुसार, वर्तमान में आवारा कुत्तों की संख्या इस समय 60 हजार से ज्यादा है। हालांकि जब यह बर्थ कंट्रोल सेंटर प्रारंभ हुआ, तब आवारा कुत्तों की संख्या इतनी ज्यादा नहीं थी। सवाल ये भी है कि जब 10 साल से लगातार नसबंदी चल रही है तो कुत्तों की संख्या साल-दर-साल कैसे इतनी ज्यादा बढ़ रही है।
अब नए ABC सेंटर में रोजाना ही होगी 100 कुत्तों की नसबंदी
जान ले गाजियाबाद में अगले महीने से एक और नया एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर का निर्माण कार्य शुरू हो सकता है। नगर निगम ने इसके लिए 1 करोड़ 80 लाख रुपए का प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजा था। सरकार ने इसकी पहली किश्त के रूप में 80 लाख रुपए जारी भी कर दिए हैं। ये सेंटर नया बस अड्डा के सामने ही बनेगा । इसमें रोजाना करीब 100 कुत्तों की नसबंदी की जायेगी। अभी तक गाजियाबाद में जो पहला सेंटर खुला हुआ है, उसमें रोजाना सिर्फ 25-30 कुत्तों की ही नसबंदी हो रही है। वजह ये है कि वो जगह काफ़ी छोटी है, इसलिए नई जगह पर यह नया और बड़ा सेंटर बनाया जा रहा है।
जान ले अधिनियम में ये हैं प्रावधान
पशु जन्म नियंत्रण नियम-2023 में यह स्पष्ट तौर पर लिखा है कि किसी भी आवारा पशुओं के साथ क्रूरता नहीं होनी चाहिए। उनक देखभाल करनी ही चाहिए। आवारा कुत्तों को स्थानांतरित (री-लोकेट) भी नहीं किया जा सकता है। नियम में अवारा पशुओं को पकड़ने, उनका टीकाकरण करने, उनकी नसबंदी करने और फिर उन्हें वापस उसी जगह पर छोड़ने का पूरा प्रावधान है।
इस समय डॉग बाइट की रोजाना 200 घटनाएं हो रही हैं शहर में
बता दें कि इस समय गाजियाबाद में डॉग बाइट के रोजाना ही 200 से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। ये बात भी पता चलती है कि सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। हर रोज ही करीब 400 इंजेक्शन लग रहे हैं। इनमे कुछ मरीज पुराने भी होते हैं। इसलिए औसतन माना जा रहा है कि 200 लोग रोजाना ही डॉग बाइट के शिकार हो रहे हैं। लगातार बढ़ती इस डॉग बाइट की घटनाओं के चलते गाजियाबाद की कुछ सोसाइटीज में पिछले एक हफ्ते से काफ़ी घमासान जैसी स्थिति है। सोसाइटीज के लोग आवारा कुत्तों के खिलाफ मे अभियान छेड़ते नज़र आ रहे हैं तो एनिमल लवर्स सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को दिखाकर इसका विरोध करते हैं। ऐसे में उनमें टकराव की नौबत भी काफ़ी बनी हुई है।