AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के कानपुर में महापौर पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी में शुरू हुई अब अंदरुरनी कलह अब साफ़ नज़र आने लगी है। भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी ही जहां इसके खिलाफ अब खुलकर बोलने लगे हैं। उन्होंने साफ़ साफ़ कहा कि प्रमिला पांडेय को यहां टिकट दिया जाना संघ का अपमान किया जाने बराबर है। उन्होंने आगे ये भी कहा कि वे हमेशा से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ रहे हैं और आगे भी इसी प्रकार रहेंगे।
जाने यह टिकट लोकसभा से जोड़कर देखा जा रहा है
कुछ लोगों द्वारा टिकट की इस लड़ाई को आगामी लोकसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है। कानपुर में भाजपा से अभी तक तो सांसद सत्यदेव पचौरी के अलावा और कोई मज़बूत दावेदार नहीं दिखाई देता है। वहीं राजनीतिक गलियारों में भी इस बात की भी चर्चा काफ़ी तेज हो चली है कि लोकसभा चुनाव में सतीश महाना को ही इस बार पार्टी चुनाव लड़ा सकती है। वैसे प्रमिला पांडेय की टिकट से उनका कद भी काफ़ी बढ़ा है।
जाने अब वो बात जो दिल्ली में हुई टिकट को लेकर बैठक की…
महापौर का टिकट पाने की दौड़ में नीतू सिंह का नाम पहले सबसे आगे चल रहा था। और ये नाम सीधे संघ की तरफ से ही बढ़ाया गया था। नीतू सिंह कानपुर से भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी की ही बेटी और क्षेत्र संघचालक वीरेंद्र जीत सिंह की बहू भी हैं। वीरेंद्र जीत सिंह का संघ में एक बड़ा कद है। ऐसे में उनका इस टिकट की रेस में नाम सबसे आगे चल रहा था।
और तो और राष्ट्रीय इकाई ने तो नीतू सिंह के नाम पर अपनी मुहर भी लगा दी थी। लेकिन सूत्रों के मुताबिक सतीश महाना ने इसमें एक पेंच फंसा दिया। खींचतान ज्यादा बढ़ी तो इस टिकट को लेकर रिपोर्ट दिल्ली तलब कर ली गई। बीती शुक्रवार को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा के साथ। एक बैठक हुई।
जाने उस समय लग चुकी थी नीतू सिंह के नाम पर मुहर
बताया तो यह जा रहा है कि टिकट फाइनल होने के दो दिन पहले तक तो नीतू सिंह का नाम प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय इकाई तक क़रीब तय कर दिया गया था। लेकीन जब इस टिकट को लेकर खींचतान बढ़ी तो फिर से पूरे समीकरण को लेकर पार्टी में अच्छे से मंथन किया गया। यह कहा जाने लगा कि इस बार कांग्रेस के बजाय सपा की ओर से उतारे गए ब्राह्मण प्रत्याशी की वजह से परिस्थितियां काफ़ी बदली हुईं हैं। सपा प्रत्याशी इस बार दरअसल पार्टी के ही विधायक अमिताभ बाजपेई की पत्नी हैं।
जाने खुफिया रिपोर्ट भी की गई दरकिनार
अमिताभ विधानसभा चुनाव 2017 और 2022 में सपा के टिकट से भाजपा को हराकर ही विधायक बने हैं। खुफिया रिपोर्ट में यह भी साफ़ कहा गया कि नगर निगम क्षेत्र में कुल सात विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें तीन में सपा के विधायकों का अच्छा दबदबा है, इस वजह से भी महापौर का चुनाव इस बार टक्कर वाला हो सकता है। इसे देखते हुए ही ऐसे चेहरे को उतारा जाए, जिसे लेकर पार्टी में सबकी आम सहमति बनाई जा सके। कहा तो जा रहा है कि क्योंकि प्रमिला एक बार पार्टी के टिकट से ही जीत भी चुकी हैं, ऐसे में ही उनको दोबारा मौका मिल गया।
जाने इस बार महाना ने गिनाए थे जीत के समीकरण
बैठक में पदाधिकारियों ने अपनी पूरी रिपोर्ट रखी। प्रमिला के खिलाफ एलआईयू की रिपोर्ट को भी एक मज़बूत आधार बनाया गया। किसी भी विरोध से बचने के लिए करीब 1 घंटे तक प्रदेश उपाध्यक्ष कमलावती सिंह के नाम पर भी काफ़ी चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक इसी बीच में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने भी प्रमिला की जीत को लेकर सारे समीकरण वहा राष्ट्रीय नेतृत्व को गिना डाले। सभी को संतुष्ट करने के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रमिला पांडेय को ही टिकट थमा दी। लेकिन ये दांव भी अनपर उल्टा पड़ गया और पार्टी में काफ़ी विरोध शुरू हो गया है।
वहा पचौरी बोले ये फैसला जनता के खिलाफ जाएगा
सांसद सत्यदेव पचौरी ने कहा कि वह महापौर प्रत्याशी के टिकट को लेकर पार्टी के निर्णय से बिलकुल भी खुश नहीं हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि यह फैसला महानगर की जनता की अपेक्षाओं के बिलकुल भी अनुरूप नहीं है। सांसद पचौरी यहीं पर ही नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि इस फैसले से सीधे सीधे तौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी अपमान हुआ है।
वो इस बार नामांकन जुलूस में भी नहीं हुए शामिल
सांसद ने प्रमिला पांडेय के नामांकन जुलूस से भी अपनी दूरियां बनाकर रखीं। इसे लेकर भी नामांकन के दौरान और उसके बाद राजनीतिक गलियारों में यही चर्चा काफ़ी ज्यादा रही। पार्टी प्रत्याशी के नामांकन जुलूस में मौजूद नहीं रहने की बात पर सांसद ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई भी जानकारी पहले नहीं दी गई। इस वजह से वे इस जुलूस में शामिल नहीं हुए। पार्टी के इस फैसले से नाखुश सांसद पचौरी ने यह भी कहा कि वे भ्रष्टाचार के हमेशा से ही खिलाफ रहे हैं, आगे भी रहेंगे।
इससे सतीश महाना का बढ़ा कद
प्रमिला पांडेय को भाजपा से ही दोबारा प्रत्याशी बनाए जाने पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का ही सबसे बड़ा रोल इसमें माना जा रहा है। महापौर के टिकट में अचानक हुए इस फेरबदल में महाना की भूमिका भी बताई जा रही है। 2017 में भी जब पहली बार प्रमिला को पार्टी से टिकट मिला था, तब भी इसी तरह सतीश महाना का नाम ही सामने आया था। ऐसे में कहा तो जा रहा है कि भाजपा में महाना का कद और बढ़ा है।