AIN NEWS 1: बता दें पुलिस ने प्रमाण पत्रों के बारे में पूछताछ की तो राजकिशाेर ने बताया कि उसने अपने साथी मुजफ्फरनगर निवासी सहेंद्र पाल के साथ मिलकर राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद के नाम एक फर्जी वेबसाइट बनाई है। इसमें लोगों का रजिस्ट्रेशन कर वे सीनियर सेकेंडरी और सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन की फर्जी अंक तालिका, प्रमाण पत्र भी बनाते हैं। इसके बदले वह लोगों से एक मोटी रकम लेते हैं।फर्जी मार्कशीट और दस्तावेज के आधार पर कई लोग बिहार और अरुणाचल प्रदेश में सरकारी नौकरी भी पा चुके हैं। गिरोह के सदस्य से विस्तार से पूछताछ में यह खुलासा हुआ है। इस गिरोह ने दून में ही अपना ठिकाना बनाया था और यहां के कुछ युवकों को भी इन लोगो ने फर्जी मार्कशीट दिलाए थे। लिहाजा पुलिस मामले की पूरी छानबीन में जुटी है।
बता दें कि बुधवार रात को शहर कोतवाली पुलिस और एसओजी की संयुक्त टीम ने एमडीडीए कांप्लेक्स स्थित आश्रय फाउंडेशन के ऑफिस में जब छापा मारा था। यहां राजकिशाेर राय निवासी पित्थूवाला खुर्द चंद्रबनी मिला। ऑफिस में राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद के सीनियर सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन और सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन के कई प्रमाण पत्र रखे मिले।
जाने फर्जी मार्कशीट पर कई लोग पा चुके सरकारी नौकरी
गिरोह का भंडाफोड़ होने पर पुलिस ने और पूछताछ की तो उन्हे पता चला कि इन फर्जी मार्कशीट और दस्तावेज पर कई लोग तो अभी तक सरकारी नौकरी भी पा चुके हैं। एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कितने लोगों ने इन फर्जी दस्तावेज के आधार पर सरकारी या पराइवेट नौकरी पाई है। पूछताछ में यह भी पता चला कि अधिकांश नौकरी बिहार और अरुणाचल प्रदेश के लोगों की ही लगी है। इसके लिए इन राज्याें की पुलिस से भी संपर्क साधा जा रहा है। चूंकि, यहां के कुछ लोगों को भी इन लोगो द्वारा फर्जी मार्कशीट देने की बात सामने आई है। लिहाजा यहां फर्जी दस्तावेज के आधार पर किसी ने नौकरी तो नहीं पाई है, पुलिस इसकी भी जांच में जुट गई है।
जाने मुजफ्फरनगर में कॉलेज चलाता है मास्टरमाइंड
फर्जी मार्कशीट बनाने के लिए यह एक पूरा गिरोह काम करता है। मुजफ्फरनगर के खतौली का ही रहने वाला सहेंद्र पाल इस मामले का पूरा मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। पुलिस जांच में अभी तक पता चला है कि वह मुजफ्फरनगर में दक्ष नाम से एक कॉलेज भी चलाता है। पुलिस को शक है कि कहीं यह लोग कॉलेज में भी फर्जी डिग्रियां तो नहीं बंट रही हैं। इसलिए दून पुलिस इस संबंध में यूपी पुलिस से भी संपर्क साध रही है।
दरअसल, दसवीं और बारहवीं की फर्जी मार्कशीट के लिए गिरोह ने दून में नेशनल काउंसिल फॉर रिसर्च इन एजुकेशन के नाम से एक ट्रस्ट बनाकर पंजीकृत भी कराया है। उत्तराखंड मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान के नाम से एक सोसाइटी भी रजिस्टर कराई थी। इसका पता पित्थूवाला खुर्द, मोहब्बेवाला, देहरादून ही दर्शाया गया है। इसमें सात लोगों को ट्रस्टी भी बनाया गया है। इसके अलावा भी उन्होंने आश्रय फाउंडेशन के नाम से और एक ट्रस्ट बनाया है।एमडीडीए कांप्लेक्स स्थित दुकान में ही इसका कार्यालय है। पकड़े गए आरोपी ने पूरी पूछताछ में खुलासा किया है कि गिरोह का मास्टरमाइंड मुजफ्फरनगर में दक्ष नाम से एक कॉलेज का संचालन भी काफ़ी समय से कर रहा है। अब पुलिस को शक है कि कहीं फर्जी प्रमाणपत्रों के तार इस कॉलेज से तो पूरी तरह से नहीं जुड़े हैं। दून पुलिस इस मामले की खुद जांच कर ही रही है। साथ ही यूपी पुलिस से भी इस संबंध में उन्होने संपर्क किया है। एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि प्राथमिकता में सहेंद्र की गिरफ्तारी है।
जाने मकान के लिए किया है बैंक से 85 लाख लोन का आवेदन
इस गिरोह के इस फर्जीवाड़े से कितनी ज्यादा कमाई कर रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आरोपी राजकिशोर ने राजपुर रोड पर अपना एक घर बनाने के लिए कैनरा बैंक से 85 लाख के लोन के लिए आवेदन भी किया है। हालांकि, अभी तक उसका यह लोन स्वीकृत नहीं हुआ है।
It’s a failure of the entire system as after joining government services, his certificates are required to be verified independently by the employer which is not done.