Sunday, November 24, 2024

खोजी श्वान हनी-रेम्बो भी अपने पहले इंटरनेशनल ऑपरेशन पर 300 जवानों के साथ तुर्की राहत सामग्री के साथ पहुचे , NDRF बेस पॉइंट पर करेगा रेस्क्यू!

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AIN NEWS 1: जाने तुर्कि में भूकंप से गिरी इमारतों के मलबे में दबे हुए हजारों लोगों को खोजने के लिए भारत सरकार ने अपने सबसे प्रशिक्षित डॉग भी भेजे हैं। इन दोनो के नाम हैं हनी और रेम्बो। ये दोनों ही गाजियाबाद में स्थित NDRF की आठवीं बटालियन का एक अटूट हिस्सा हैं। पहली बार ही इन्हें इंटरनेशनल लेवल के ऑपरेशन पर तुर्किये भेजा गया है। ये दोनों खोजी डॉग 10 से 12 फीट नीचे तक मलबे में दबे लोगों को भी आसानी से ढूंढ निकालते हैं। खासतौर से इस तरह की आपदाओं के लिए ही NDRF ने ये दोनों डॉग डेढ़ साल की एक मज़बूत ट्रेनिंग देकर तैयार किए थे।भारत से अब तक छह विमानों में राहत सामग्री लेकर 300 जवान तुर्की के लिए रवाना किए जा चुके हैं। इसमें NDRF के 101 और इंडियन आर्मी के भी 199 जवान हैं। गाजियाबाद की NDRF बटालियन को ही तुर्किये में भूकंप के प्रमुख केंद्र पर लोगो को रेस्क्यू करने की जिम्मेदारी दी गई है।

ये दोनो डॉग C-17 ग्लोबमास्टर से तुर्किये भेजे गए 

NDRF की आठवीं बटालियन गाजियाबाद में दिसंबर-2016 में देशभर की 12 बटालियन से कुल 28 श्वान आए थे। और पूरे डेढ़ साल तक इनकी पूरी ट्रेनिंग हुई और फिर इनकी परीक्षा हुई। परीक्षा में 28 में से जो 15 डॉग उत्तीर्ण हुए, उनमें लैबरा प्रजाति के हनी और रेम्बो भी शामिल थे। इन दोनों ने अपनी इस परीक्षा में पूरी कोशिश कर लाइव विक्टिम को खोज निकाला था। इसके बाद ही इन्हें NDRF के बेड़े में शामिल किया गया। NDRF प्रवक्ता नरेश चौहान ने बताया कि, हनी और रेम्बो भारतीय वायुसेना के C-17 ग्लोबमास्टर विमान से ही तुर्किये भेजे गए हैं। वहां ये NDRF की 101 सदस्यीय टीम के साथ ही मलबे में दबे लोगों को बाहर निकलवाने में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। दोनों डॉग के साथ ही इनके हैंडलर भी तुर्की गए हैं।

बता दें शाहबेरी-मसूरी में बचाई थीं कई जानें

जुलाई–2018 में ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में एक साथ दो बिल्डिगें गिरी थीं। इसमें भी कई लोग मरे थे और बड़ी संख्या में लोग उस समय मलबे में भी दबे थे। उस समय भी NDRF के इन्हीं दोनों डॉग्स ने अपनी पूरी कोशिश से कई लोगों को सुरक्षित निकलवा कर नई जिंदगी दी थी। शाहबेरी के कुछ दिन बाद ही गाजियाबाद के मसूरी में भी चार मंजिला बिल्डिंग गिर गई थी। इस ऑपरेशन में भी खोजी श्वान हनी और रेम्बो ने ही कई लोगो को बचाने मे काफ़ी मदद की थी।

जाने ग्वालियर के टेकनपुर में है श्वान का सबसे बड़ा ट्रेनिंग सेंटर

खोजी श्वान को ट्रेनिंग देने का सबसे बड़ा सेंटर मध्यप्रदेश के जिला ग्वालियर में ही स्थित टेकनपुर में है। इस पूरे ट्रेनिंग सेंटर को भी BSF ही संचालित करता है। यहां पर मिलिट्री, पैरा मिलिट्री के अलावा कई और राज्यों की पुलिस के भी खोजी डॉग ट्रेंड किए जाते हैं। देशभर की ज्यादातर मिलिट्री-पैरा मिलिट्री फोर्सेज में यहीं के ट्रेंड खोजी डॉग भेजे जाते हैं। इतना ही नहीं, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, घाना, मॉरीशस और श्रीलंका के डॉग्स भी इसी टेकनपुर सेंटर में प्रशिक्षण लेते हैं।

जाने भारत से अब तक छह विमानों में तुर्किये-सीरिया पहुंची मदद

गाजियाबाद में भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर से NDRF आठवीं बटालियन के 51 सदस्यीय पहले दल ने 6 फरवरी की रात को 3 बजे हिंडन एयरबेस से अपनी उड़ान भरी। इसमें एनडीआरएफ की ड्रिल मशीनें, भूकंप में बचाव के लिए काम आने वाले सभी महत्त्वपूर्ण उपकरण, दो डॉग स्क्वायड भी भेजे गए हैं।गाजियाबाद हिंडन एयरबेस से 7 फरवरी की दोपहर साढ़े 12 बजे दूसरा सी-17 ग्लोबमास्टर भी रवाना हुआ। इसमें कोलकाता स्थित NDRF बटालियन के कुल 50 जवान गए। इनके साथ भी खोजी श्वान, रेस्क्यू इक्यिपमेंट्स, वाहन आदि सभी सामान भेजा गया है। आगरा 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल से इंडियन आर्मी की 45 सदस्यीय मेडिकल टीम 7 फरवरी की सुबह वायुसेना के स्पेशल विमान से तुर्किये गई। इस विमान में भी वेंटिलेटर, एक्सरे मशीन, ऑक्सीजन जेनरेटर प्लांट, कार्डिक मॉनिटर और 30 असेंबल बेड भी इसमें भेजे गए। आगरा 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल से 54 मेडिकल एक्सपर्ट चौथे सी-17 ग्लोबमास्टर विमान से ही तुर्किये भेजे गए। इस टीम में सभी तरह के मेडिकल एक्सपर्ट, डॉक्टर, विशेषज्ञ भी मौजूद हैं, ताकि वे भूकंप पीड़ितों का वहा अच्छे से इलाज कर सकें। और उनके इलाज में मदद कर सके।भारतीय वायुसेना का विमान C-130 छह टन की इमरजेंसी राहत सामग्री लेकर भी सीरिया पहुंच गया है। इसमें जीवन रक्षक दवाइयां और सभी इमरजेंसी मेडिकल आइटम्स भी हैं।गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से मंगलवार देर रात भारतीय वायुसेना का छठा विमान C-17 ग्लोबमास्टर इंडियन आर्मी के कुल 100 जवानों को लेकर उड़ा था, जो अलसुबह तुर्किये पहुंच भी गया है। इसमें भूकंप पीड़ितों के इलाज के लिए सभी मेडिकल इक्वीपमेंट्स भेजे गए हैं।

जाने राजदूत बोले– जरूरत में काम आने वाला ही सच्चा दोस्त

भारत में तुर्की के राजदूत फिरात सुनेल ने भी भारत सरकार की सहायता की पेशकश के लिए काफ़ी आभार व्यक्त किया है। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट करके कहा– ‘जरूरत के समय काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है’।

जाने हमारी NDRF को सबसे प्रभावित क्षेत्र में रेस्क्यू का जिम्मा मिला

NDRF आठवीं बटालियन गाजियाबाद को तुर्किये में भूकंप के केंद्र और सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र गाजीअंतेप में ही सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने का बेहद अहम टास्क मिला है। अदाना एयरपोर्ट से इस पॉइंट की दूरी करीब तीन किलोमीटर ही है। ये जानकारी भी NDRF प्रवक्ता नरेश चौहान ने ही मिडिया को दी है।

जाने साढ़े 6 टन दवाइयां लेकर सीरिया पहुंचा विमान

अब तक भारत सरकार छह विमानों से तुर्किये और सीरिया में अपनी तरफ से मदद पहुंचा चुकी है। सीरिया में भारतीय वायुसेना का विमान C-130 छह टन इमरजेंसी राहत सामग्री, जीवन रक्षक दवाइयां, अन्य सभी इमरजेंसी मेडिकल आइटम्स लेकर पहुंच गया है।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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