गुरुवार को समाजवादी पार्टी गठबंधन से एक चौंकाऊ फैसला सामने आया. यह फैसला था राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) चीफ जयंत चौधरी को राज्यसभा चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार बनाने का. सपा चाहती थी उसी के सिंबल पर जयंत राज्यसभा जाएं, ताकि पार्टी का आंतरिक कोरम राज्यसभा में पूरा हो सके. पर जयंत इसके लिए तैयार नहीं थे, लेकिन सिब्बल के सपा सिंबल पर नहीं जाने से उनकी राह थोड़ी आसान हो गई.समाजवादी पार्टी के उच्च सूत्रों के मुताबिक डिंपल यादव और कपिल सिब्बल का नामांकन एक साथ ही होना था. दोनों के दस्तावेज भी तैयार कर लिए गए थे, लेकिन आखिरी वक्त में डिंपल यादव का नाम लिस्ट से हट गया.बुधवार को पार्टी ने कपिल सिब्बल, डिंपल यादव और जावेद अली को एक साथ पर्चा भराने तैयारी कर रखी थी. सिर्फ तीनों लोगों को एक साथ राज्यसभा जाना था लेकिन तभी जयंत चौधरी को लेकर पार्टी के भीतर एक चर्चा निकली. इस बात पर चर्चा हुई कि अगर इस वक्त जयंत चौधरी को नहीं भेजा गया तो बीजेपी कोई खेल कर सकती है.इस संबंध में जयंत के करीबियों से बात की गई, तो उनकी तरफ से ग्रीन सिग्नल मिला. कहा गया कि अगर डेढ़ साल बाद ही राज्यसभा जाना है, तो अभी क्यों नहीं. इससे गठबंधन का नुकसान होने से बच सकता है. दूसरी ओर बीजेपी के खेल का डर भी सता रहा था कि कहीं ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल यादव सपा का खेल न बिगाड़ दें.ऐसे में देर रात को अखिलेश यादव ने जयंत को राज्यसभा भेजने का फैसला किया. आरएलडी के सभी विधायकों को पार्टी के एक नेता के घर बुलाया गया और उनके दस्तावेज तैयार करने को कहा गया. सुबह अखिलेश यादव ने आरएलडी के विधायकों से मुलाकात की और तय हो गया कि जयंत ही राज्यसभा जाएंगे.