खांडेराव होल्कर से क्या युद्ध हार गए थे महाराजा सूरजमल ?

इतिहासकारों के इस तर्क को जान हैरान हो जाएंगे

महाराजा सूरजमल को कायर बताने पर विवाद

AIN NEWS 1: बता दें फिल्म पानीपत से शुरू हुआ विवाद एक बार फिर भड़क गया है। पानीपत फिल्म के बाद टीवी सीरियल अहिल्याबाई में भी दिखाया गया है कि खांडेराव होल्कर से भरतपुर रियासत के पूर्व राजा सूरजमल लड़ाई में परास्त हो गए थे। इस मुद्दे पर इतिहासकारों का दावा है कि पूर्व महाराजा सूरजमल कभी लड़ाई नहीं हारे, बल्कि खांडेराव होल्कर की मौत उनके साथ जंग में हुई थी। इसको लेकर रूपवास और कुम्हेर थाने में दो अलग-अलग एफआइआर दर्ज कराई गई हैं।

खांडेराव होल्कर महाराजा सूरजमल की लड़ाई

इतिहासकारों के अनुसार मराठा शासक खांडेराव होल्कर अपने कई साथियों के साथ 80 हज़ार की सेना लेकर भरतपुर के कुम्हेर किले पर आक्रमण करने पहुंचे थे। उस समय महाराजा सूरजमल ने अपनी महज 10 हज़ार की सेना से खांडेराव और उनके साथियों की 80 हज़ार की बड़ी सेना को हरा दिया था। इस लड़ाई में खांडेराव होल्कर को मैदान छोड़कर भागना पड़ा था । इतिहासकारों के मुताबिक खांडेराव को अपनी इस हरकत के लिए महाराजा सूरजमल ने मौत के घाट उतार दिया था । लेकिन उसके बावजूद भी महाराजा सूरजमल ने खांडेराव के शव का अंतिम संस्कार भी सम्मानपूर्वक कर उनकी समाधि यहां कुम्हेर डीग मार्ग पर बनाई थी ।

सूरजमल सभी ने 80 युद्ध जीते

महाराजा सूरजमल राजा बदन सिंह के पुत्र थे, जिन्होंने 17 वीं शताब्दी में भरतपुर की स्थापना की थी । उन्होंने अपने छोटे से साम्राज्य का विस्तार कर उसे काफी ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया था। मथुरा, आगरा ,बागपत ,मेरठ और बरेली तक महाराजा सूरजमल का साम्राज्य फैला हुआ था। इसके अलावा गंगा और यमुना नदी भी महाराजा सूरजमल के साम्राज्य में शामिल थीं। महाराजा सूरजमल ने अपने जीवन काल में 80 युद्ध लड़े और सभी में उन्होंने जीत हासिल की थी । अपने पूरे जीवन काल में महाराजा सूरजमल अकेले ऐसे राजा और योद्धा रहे जो कभी भी जंग नहीं हारे । भरतपुर रियासत के राजा होने के बावजूद सूरजमल किसान का जीवन बिताया करते थे । महाराजा सूरजमल ने हमेशा गरीब, दुखियों, दलितों, शरणागतों और महिलाओं की रक्षा की थी ।

सूरजमल ने दिल्ली को जीत लिया था

जब मुगलों का आतंक बढ़ रहा था उस समय दिल्ली के बादशाह ने एक हिंदू लड़की को बंधक बना लिया था और उससे विवाह करना चाहता था । हिंदू लड़की की मां ने सभी जगह बेटी को बचाने की गुहार लगाई , लेकिन जब हरेक जगह से उसे निराशा हाथ लगी तो उसने परेशान होकर खून से लिखा एक पत्र महाराजा सूरजमल को भरतपुर भेजा था और पुत्री की इज्जत बचाने की गुहार लगाई थी । इसके बाद महाराजा सूरजमल ने अपना दूत बेचकर दिल्ली के बादशाह को यह समझाया था कि हिंदू लड़की को तुरंत रिहा किया जाए । मगर दिल्ली के बादशाह ने राजा सूरजमल की इस पेशकश को ठुकरा दिया था । इसके बाद हिंदू लड़की की लाज बचाने के लिए महाराजा सूरजमल ने अपनी सेना के साथ दिल्ली पर आक्रमण कर दिया था। महाराजा सूरजमल दिल्ली के बादशाह को मारना चाहते थे तभी उनकी तलवार के सामने बादशाह की बेगम आ गई और महाराजा सूरजमल को गुहार लगाने लगी जिसके बाद सूरजमल ने दिल्ली के बादशाह को जीवनदान दे दिया था।

जयपुर राजघराने की राजगद्दी का फैसला 

इतिहासकारों के अनुसार जयपुर की राजगद्दी पर राजा बनने के लिए दो भाई ईश्वर सिंह और माधव सिंह के बीच विवाद हो गया था । छोटे भाई माधव सिंह ने राजा बनने के लिए कई रियासतों से राजा और सेनाओं का समर्थन हासिल कर लिया था। लेकिन धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने वाले महाराजा सूरजमल ने राजा बनने के हकदार बड़े भाई ईश्वर सिंह का साथ दिया। ईश्वर सिंह की ओर से युद्ध की अगुवाई करते हुए विरोधियों की सेना को हराकर भगा दिया था और ईश्वर सिंह की जयपुर रियासत में ताजपोशी कराई थी । तभी से आज भी जयपुर में ईश्वर सिंह लाट प्रसिद्ध है ।

किस बात पर है विवाद?

आरोप है कि सोनी टेलीविजन पर दिखाई जाने वाले शो अहिल्याबाई में 17 नवंबर को महाराजा सूरजमल को लेकर गलत कहानी दिखाई गई। चैनल ने उनका गलत चित्रण किया । चैनल की तरफ से महाराजा सूरजमल को कायर बताने प्रयास किया गया। इसके बाद हरियाणा से लेकर राजस्थान तक में टीवी सीरियल के खिलाफ मोर्चा बुलंद हो गया है। अहिल्या बाई सीरियल के प्रॉड्यूसर जैक्सन सेठी के खिलाफ राजस्थान और हरियाणा में कई जगह पुलिस थानों में शिकायत दर्ज हो चुकी हैं ।

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