AIN NEWS 1: बता दें कोरोना संक्रमण ने अभी भी दुनिया की चिंता बढ़ाई हुई है. चीन का तो बुरा हाल है. इसके अलावा कई अन्य देशों में भी लगातार कोरोना लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. इस बीच उत्तरी अमेरिका में बड़ी संख्या में पाए जाने वाले सफेद पूंछ वाले हिरण में भी कोरोना का SARS-COV2 वेरिएंट पाया गया है. जिससे वैज्ञानिकों की चिंता और बढ़ गई है. हालांकि ये वेरिएंट एक समय तक लोगों में भी पाया जाता था, लेकिन लंबे समय से इस तरह के कोई मामला मनुष्य में नहीं मिले हैं.

दरअसल, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, यूएस के शोधकर्ताओं ने सफेद पूंछ वाले हिरणों के सैंपल लिए थे. इनका रिसर्च जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है. अध्ययन में उपयोग किए गए 5,700 नमूने 2020-22 के बीच दो वर्षों में एकत्र किए गए थे. अमेरिका में अनुमानित 3 करोड़ सफेद पूंछ वाले हिरण अभी हैं. रिसर्च में कहा गया है कि 2022 के एक अध्ययन में पाया गया कि 2021 में पांच राज्यों में सफेद पूंछ वाले हिरणों की आबादी में कुल 40 प्रतिशत तक SARS-CoV-2 से संक्रमित थीकॉर्नेल के एसोसिएट प्रोफेसर डिएगो डायल ने भी बताया, “इस अध्ययन का मकसद इस जंगली जानवर की आबादी में अल्फा, गामा और डेल्टा के वेरिएंटों का पता लगाना था. अध्ययन में कहा गया है कि महामारी के दौरान, हिरण मनुष्यों के संपर्क में आने से, संभवतः शिकार, वन्यजीव पुनर्वास, जंगली जानवरों को खिलाने या अपशिष्ट जल या जल स्रोतों के माध्यम से सार्स-सीओवी-2 से ही संक्रमित हो गए हैं.

जाने हिरणों में नहीं मिला अल्फा या गामा वेरिएंट 

जब शोधकर्ताओं ने न्यूयॉर्क में मनुष्यों से लिए गए समान वेरिएंट के अनुक्रमों के साथ हिरण में पाए जाने वाले वेरिएंट के जीनोमिक अनुक्रमों की तुलना की, तो उन्होंने पाया कि वायरस का हिरण में म्यूटेशन भी हो गया था. अध्ययन में कहा गया है कि हिरण में अल्फा और गामा वेरिएंट तो नहीं मिला है. म्यूटेशन से पता चलता है कि वायरस हिरण के लिए अनुकूलित हो गया है, संभवतः यह बहुत तादात में फैला होगा.

जाने संक्रमित जानवरों की निगरानी करना जरूरी

अध्ययन में कहा गया है कि यह पुष्टि करने के लिए और अध्ययन की काफ़ी ज्यादा आवश्यकता है कि क्या ये वेरिएंट समय के साथ हिरणों में गायब हो जाएंगे या SARS-CoV-2 का शिकारियों सहित अन्य वन्यजीवों में फैलने का खतरा है या नहीं. डायल ने कहा, “हमारे अध्ययन में प्राप्त सबूतों के कारण, इन जानवरों की आबादी में वायरस की निगरानी करना भी जारी रखना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि वास्तव में उन म्यूटेंट को समझा जा सके और उन परिवर्तनों को ट्रैक किया जा सके जो मनुष्यों और अन्य वन्यजीवों में वापस फैल सकते हैं.”

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