दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर कांग्रेस का जोर, यूपी पर बढ़ाया फोकस !
कांग्रेस दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर जोर दे रही है। पार्टी की रणनीति है कि वह दोनों वोटबैंकों को जोड़कर न सिर्फ लोकसभा में करिश्मा दिखा सकती है बल्कि भविष्य में अपना जनाधार वापस पा सकती है। यही वजह है कि इन दोनों वर्गों पर फोकस किया जा रहा है। इसके लिए गांव-गांव संविधान रक्षक तैयार किए जा रहे हैं। ये रक्षक सीधे प्रदेश स्तरीय नेताओं के संपर्क में रहेंगे।
भारत जोड़ो यात्रा में विभिन्न राज्यों में मिले जनसमर्थन के बाद कांग्रेस ने यूपी पर फोकस बढ़ा दिया है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भले ही काफी समय से यूपी नहीं आए हैं लेकिन वे करीब तीन दशक से वनवास झेल रही पार्टी को मुख्यधारा में लाने के लिए ख्वाहिशमंद हैं। वे वरिष्ठ नेताओं के जरिये यहां की सियासी गतिविधियों पर निगाह रखे हुए हैं। शीर्ष नेतृत्व ने दलित-अल्पसंख्यक गठजोड़ को लेकर निरंतर अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इसके तहत अल्पसंख्यक विभाग के जरिये दलित बस्तियों में चाय पर चर्चा अभियान शुरू कराया गया। यह नया प्रयोग है। दलितों के पास जाकर मुस्लिम नेता उनको कांग्रेस में आने का न्योता दे रहै हैं। इसके बाद बुनकर सम्मेलन की तैयारी है। फिर छोटे-छोटे काम धंधे करने वाली जातियों को चिह्नित कर उनका अलग-अलग सम्मेलन होगा।
इसी तरह अनुसूचित विभाग गांवों में युवाओं की टीम तैयार कर रहा है। हर गांव में एक से पांच युवक को संविधान रक्षक की उपाधि दी जाएगी। यह युवक सीधे प्रदेश स्तरीय नेताओं के संपर्क में रहकर गांव की स्थिति की रिपोर्ट देंगे। इससे गांव स्तर पर पार्टी का नेटवर्क तैयार होगा और गांव के सियासी रुझान की जानकारी मिलती रहेगी।
क्यों जरूरी हैं दलित