AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश मोटी फीस और किताबों व स्कूल ड्रेस के नाम पर चल रही कमीशनखोरी से अभिभावकों की कमर पूरी तरह टूट रही है। उच्च शिक्षा की तो बात क्या अब तो पढ़ाई की शुरुआत करने वाले बच्चे पर भी इतना ज्यादा खर्च हो रहा है कि घर का दूसरा खर्च एक तरफ और एक महीने की फीस तथा कापी किताबों की कीमत भी एक तरफ इसकी स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। इसके लिए विभाग और सरकार को जानकारी होने के बावजूद भी इनकी खामोशी समझ से परे है। और अगर ये विभाग और सरकार को नहीं पता इतना खुलेआम होते हुए भी तो फिर प्रदेश का भगवान ही मालिक है।
एक तरफ शिक्षा को हर किसी तक पहुंचाने के लिए शिक्षा का अधिकार जैसे कानून देश में लागू हो रहे है और दूसरी तरफ शुरुआत की सामान्य पढ़ाई भी अब आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रही है। इन दिनों लगभग सभी स्कूलों में दाखिलों का दौर चल रहा है। ऐसे में दाखिला फीस स्कूल ड्रेस, कापी, किताब और बस्ते के खर्च को मिलाकर हिसाब किताब की जो लिस्ट अभिभावकों को मिल रही है उसे देखकर तो दिन में ही तारे नजर आ रहे है और पैरों के नीचे से जमीन भी खिसक रही है। नए सत्र से कई स्कूलों ने फीस भी बढ़ा दी है, तो ऐसे में और बोझ भी बढ़ना तय है। महंगाई ने तो पहले ही जीना मुहाल किया हुआ है। ऐसे में शिक्षा के बढ़ते खर्च ने तो हर किसी के होश उड़ा दिए है।
जान ले कापी, किताबों व स्कूल ड्रेस में मोटा कमीशन
किसी एक की नहीं हरेक स्कूल का किताबों व ड्रेसों की दुकानों से सीधा समझौता है। और यह समझौता कमीशन का है। यही वजह है कि स्कूल संचालकों ने किताबों व ड्रेसों की दुकानों को फिक्स कर रखा है। आपकों इस दुकान के अलावा किसी दूसरी दुकान पर किताबें व ड्रेसे नहीं मिल पाएंगी। बात चाहे इसमें शहर के नामचीन स्कूलों की हो या फिर दूसरे पब्लिक स्कूलों की। तमाम स्कूल तो अपने ही स्कूल से किताबें व ड्रेसे धड़ल्ले से बेच रहे हैं। कमीशन का खेल इतना गहरा हो गया। है कि पेन, पेसिंल से लेकर पूरा कोर्स खरीदने पर अभिभावकों से एक मोटी रकम वसूली जा रही है। अभिभावकों से वसूली जाने वाली मोटी रकम का हिस्सा स्कूल संचालकों की जेब तक भी पहुंच रहा है।