AIN NEWS 1 | उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। मशहूर ‘दिनेश-555 बीड़ी ब्रांड’ के मालिक सुरेश चंद्र अग्रवाल की उनके ही बेटे नरेश अग्रवाल ने गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद नरेश ने खुद की कनपटी पर गोली चला ली, जिससे उसकी भी मौके पर मौत हो गई। यह दर्दनाक घटना मथुरा के गौरा नगर कॉलोनी की है।
पुलिस के मुताबिक हत्या में लाइसेंसी .32 बोर पिस्टल का इस्तेमाल किया गया। घटना के बाद घर में चीख-पुकार मच गई और परिवार के लोग जब मौके पर पहुंचे, तो पिता-पुत्र दोनों खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे।
घटना कैसे हुई?
मामला 31 अक्टूबर की रात करीब नौ बजे का है। 75 वर्षीय सुरेश चंद्र अग्रवाल अपने परिवार के साथ गौरा नगर कॉलोनी स्थित अपने मकान में रहते थे। उस रात उनका बेटा नरेश घर में बैठकर शराब पी रहा था।
जब पिता ने उसे शराब पीने से मना किया, तो दोनों के बीच कहासुनी शुरू हो गई। कुछ ही देर में यह विवाद इतना बढ़ गया कि नरेश ने गुस्से में आकर अपने पिता के सीने में गोली मार दी।
घरवालों के मुताबिक गोली लगते ही सुरेश जमीन पर गिर पड़े। इसके कुछ ही क्षण बाद नरेश ने अपनी ही कनपटी पर भी गोली चला दी। दोनों की मौके पर मौत हो गई।
घरवालों ने बताया कैसा था दृश्य
गोली की आवाज सुनकर घर के बाकी सदस्य कमरे की ओर दौड़े। उन्होंने देखा कि मंदिर वाले कमरे के पास बाप और बेटा खून से सने पड़े थे। परिवार ने तुरंत दोनों को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
रामकृष्ण मिशन हॉस्पिटल में दोनों को लाने के बाद पुलिस को सूचना दी गई। कुछ ही देर में पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू की।
पुलिस का बयान
सर्किल ऑफिसर (CO सदर) संदीप सिंह ने बताया कि फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सभी साक्ष्य इकट्ठा कर लिए हैं।
उन्होंने कहा —
“शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि बेटे ने अपने पिता पर गोली चलाई और बाद में खुद को भी गोली मार ली। दोनों के बीच किसी निजी मामले या पारिवारिक विवाद को लेकर बहस हुई थी।”
पुलिस को मौके से लाइसेंसी पिस्टल बरामद हुई है। फिलहाल शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और पुलिस ने कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
परिवार और कारोबार की पृष्ठभूमि
मृतक सुरेश चंद्र अग्रवाल मथुरा के एक जाने-माने कारोबारी थे। उन्होंने दशकों पहले ‘दिनेश-555 बीड़ी’ ब्रांड की शुरुआत की थी, जो अब कई राज्यों में लोकप्रिय है।
इस ब्रांड का कारोबार उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है।
स्थानीय व्यापारियों के अनुसार, सुरेश चंद्र न केवल एक सफल व्यवसायी थे बल्कि सामाजिक रूप से भी काफी सक्रिय थे।
उनका बेटा नरेश भी समाजसेवा में जुड़ा रहता था, लेकिन वह जल्द गुस्सा हो जाने वाला व्यक्ति था। लोगों का कहना है कि नरेश को शराब की लत थी और यह विवाद उसी आदत से जुड़ा हुआ था।
इलाके में छाया सन्नाटा
घटना के बाद गौरा नगर कॉलोनी में सन्नाटा छा गया।
स्थानीय लोग सुरेश चंद्र अग्रवाल को एक शांत और मिलनसार व्यक्ति के रूप में जानते थे।
कई व्यापारियों ने घटना पर दुख जताया और कहा कि “परिवार में एक छोटी सी बात ने दो जिंदगियां खत्म कर दीं।”
बेटे की मनःस्थिति पर उठे सवाल
पुलिस जांच में यह भी देखा जा रहा है कि नरेश अग्रवाल मानसिक दबाव या अवसाद में तो नहीं था।
करीबी रिश्तेदारों ने बताया कि हाल के दिनों में वह काफी तनावग्रस्त रहता था और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगा था।
शराब पीने की आदत ने भी स्थिति को और खराब कर दिया था।
पुलिस मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस केस की जांच कर रही है ताकि यह समझा जा सके कि इस ‘मर्डर-सुसाइड’ के पीछे वास्तविक कारण क्या थे।
लाइसेंसी हथियारों पर भी उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर लाइसेंसी हथियारों के दुरुपयोग को लेकर सवाल खड़े करती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि घर में हथियार रखना आत्मरक्षा के लिए होता है, लेकिन कई बार गुस्से या मानसिक तनाव के दौरान यह हथियार जानलेवा बन जाते हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वे परिवार के अन्य सदस्यों से पूछताछ कर रहे हैं और यह भी जांच की जा रही है कि पिस्टल कहां रखी थी और नरेश ने उसे कैसे हासिल किया।
पड़ोसियों की प्रतिक्रिया
पड़ोसियों ने बताया कि परिवार में कभी कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ था।
नरेश अक्सर अपने पिता के साथ व्यवसाय की चर्चा करता था, लेकिन हाल के दिनों में दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई थीं।
एक पड़ोसी ने बताया,
“नरेश पहले बहुत मददगार था, लेकिन शराब पीने के बाद उसका व्यवहार बदल जाता था। किसी ने नहीं सोचा था कि वो इतना बड़ा कदम उठा लेगा।”
एक पारिवारिक विवाद जिसने दो जिंदगियां छीन लीं
यह घटना न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि गुस्सा, नशा और तनाव का मेल कितनी बड़ी त्रासदी पैदा कर सकता है।
सुरेश चंद्र और नरेश की मौत ने यह साबित कर दिया कि छोटी-सी बहस भी कभी-कभी जीवन की सबसे बड़ी गलती बन सकती है।



















