AIN NEWS 1 Mahadev Betting App Scam: आज हम आपको बताते हैं के महादेव ऐप पर जो इतना बड़ा घोटाला हुआ है आखिर वो किया कैसे गया। इसके लिए सभी लॉटरी और बेटिंग ऑप्शन को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया था, के इसे खेलने वाला प्लेयर्स हमेशा ही पैसे खोता था और इससे कंपनी हमेशा फायदे में ही रहती थी. लेकिन इसमें शुरुआत में हारने वाले खिलाड़ी को भी जीता हुआ दिखाया जाता था.
वो जूस बेचते बेचते ही बन गया सट्टेबाजी का इतना बड़ा किंग
दरअसल कुछ साल पहले तक तो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सौरभ चंद्राकर ‘जूस फैक्ट्री’ के नाम से अपनी एक जूस की दुकान चलाता था. अब रोड साइड जूस बेचने वाले की आय तो लगभग सीमित होती है. लेकिन सौरभ चंद्राकर को इससे कुछ बड़ा करना था, उसे काफ़ी मोटा पैसा कमाना था. इसके लिए पहले तो उसने अपनी जूस की दुकान को ही और ज्यादा फैलाना शुरू किया, और छत्तीसगढ़ के कई सारे शहरों में जूस की फैक्ट्री नाम से कई दुकानें खुलीं.
लेकीन इसकी कहानी में यहां पर मोड़ आया… जब सौरभ चंद्राकर को जूस बेचने के साथ-साथ में सट्टा खेलने की भी आदत भी लग गई. पहले तो वह ऑफलाइन ही सट्टा खेलता था. लेकिन जब कोरोना आया तो उसकी वजह से वह ऑनलाइन सट्टा खेलने लगा. और लॉकडाउन के दौरान ही उसने एक सट्टेबाजी ऐप बनाने का फैसला भी किया और फिर यहां पर एंट्री होती है एक और किरदार रवि उप्पल की.
जान ले महादेव ऐप से आखिर कैसे हुई ठगी?
इन दोनों ने मिलकर कोरोना काल में ही एक सट्टेबाजी के लिए ऐप बनाया, जिसका नाम इन्होंने महादेव ऐप रख दिया. और यह ऐप इन्होंने सोशल मीडिया पर इस तरह से फैला दिया के कुछ ही दिनों में इसके करीब 50 लाख लोग मेंबर बन गए. क्योंकि हमारे देश में ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज काफ़ी चरम पर है. बच्चे, युवा से लेकर बुजुर्ग भी अब इसकी गिरफ्त में हैं. जिससे ‘महादेव ऐप’ जैसे इन शातिर ठगों की दुकानें चल पड़ी. यह एक ऐसा गेम होता जिसमें मुकाबला तो होता था, लेकिन इस मुकाबले का फैसला पहले से ही तय हो जाता था. के इसमें कौन हारेगा? हालांकि यह सब हारने वाले को बिलकुल पता नहीं चलता था, क्योंकि इनके गेम का पैटर्न ही कुछ ऐसा था. जैसा आपने सुना हो वो एक डायलॉग … ‘जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं…’ यानी जब तक कंगाल नहीं करेंगे, तब तक जाल में फंसाकर ही रखेंगे. यही था इस महादेव ऐप का असली काम. दरअसल, आज कल इस महादेव ऐप की खूब ज्यादा चर्चा हो रही है, क्योंकि इसमें अब बॉलीवुड का तड़का भी लग गया है. बड़े-बड़े सितारे भी इसके लपेटे में हैं. जिनमें रणबीर कपूर, कपिल शर्मा समेत करीब 15-16 सेलेब्रिटीज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सीधे रडार पर हैं. और इस मामले में हर रोज ही नए खुलासे भी हो रहे हैं, के कैसे एक जूस की दुकान चलाने वाला चंद साल में ही 20 हजार करोड़ रुपये का मालिक बन बैठा.
इस ‘महादेव ऐप’ के जरिये पूरी दुनियाभर में लोगों को ही चूना लगाने के पीछे केवल ये दो मास्टरमाइंड हैं- सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल. इन दोनों ने ही एक साथ मिलकर इस ऐप को शुरू किया था. बताया तो यह जा रहा है कि महादेव ऐप का यह घोटाला करीब 5000 करोड़ रुपये का है. यहां आपकों बता दें कैसे सौरभ चंद्राकर (Sourabh Chandrakar) ने अपने दोस्त रवि उप्पल (Ravi Uppal) के साथ मिलकर लाखों लोगों को चूना लगाया और फिर इन्होंने UAE को अपने इस काले कारोबार का गढ़ बना दिया. लेकिन उससे पहले इस सौरभ चंद्राकर के बारे में कुछ बताते हैं, कैसे यह छत्तीसगढ़ में एक जूस की दुकान चलाते-चलाते सट्टेबाजी का इतना बड़ा सौदागर बन गया. इस ‘महादेव ऐप’ का सूत्रधार मात्र 28 साल का सौरभ चंद्राकर छत्तीसगढ़ का ही रहने वाला है और उसने इसके ज़रिए सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ के लोगों को ही चूना लगा गया. पिछले साल ही जब ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की तो इस घोटाले का आकार देख सब के सब हैरान रह गए. गेमिंग ऐप के ही बैंक खाते से पिछले एक साल में कुल 5000 करोड़ रुपये की लेन-देन की गई थी. यही नहीं, इस मामले में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां भी इसी छत्तीसगढ़ से ही हुई हैं.
आईए अब जानते हैं, कैसे इस महादेव ऑनलाइन गेमिंग ऐप के जरिये इस पूरी ठगी को ही अंजाम दिया गया. दरअसल इस गेम की शुरुआत तो केवल 500 रुपये से होती है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ही इसकी लत लग सके. महादेव ऐप (Mahadev App) पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस और फुटबॉल जैसे ही विभिन्न चल रहे लाइव गेम में सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म आपकों उपलब्ध करता है.
और यह महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप पिछले 4 साल से ही चालू हुआ है. इस बेटिंग ऐप को 70:30 के लाभ के अनुपात पर फ्रेंचाइजी देकर ही चलाया जाता है. और इसका हेडक्वार्टर UAE में स्थित है. इस एप्लीकेशन के कॉल सेंटर श्रीलंका और नेपाल में भी स्थित है. माना तो यह जाता है कि इसका नेटवर्क भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश समेत अन्य कई सारे देशों में फैला हुआ है.
यहां आपकों बता दें के ठगी को ही ध्यान में रखकर किया गया ऐप का डिजाइन
इस महादेव ऐप पर सभी लॉटरी और बेटिंग ऑप्शन को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया था कि इसे खेलने वाला हर प्लेयर्स हमेशा ही पैसे खोता था और कंपनी हमेशा ही फायदे में रहती थी. लेकिन इसमें शुरुआत में हारने वाले को भी जीता हुआ ही दिखाया जाता था. इस ऐप में लोगों को कभी कभी छोटी रकम में जीत मिलती रहती थी. लगातार जीत देकर इसमें बेटिंग करने वालों का भरोसा जीतकर उसे सट्टे का लत लगवाया जाता था, और फिर बाद में जब वो कोई बड़ी रकम लगाता था तो वह उसे हार जाता.
यह बड़ी रकम की लालच में ही हजारों लोग अपनी गाढ़ी कमाई इस ऑनलाइन सट्टा ऐप में लुटा चुके हैं. इस ऑनलाइन गेम के सॉफ्टवेयर की कमांड भी संचालकों के हाथ में होने के कारण इसमें खेलने वाले खिलाड़ी की हार लगभग तय ही होती थी. इस ऐप का विस्तार आख़िर कितना ज्यादा था इसका अंदाजा भी इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले छत्तीसगढ़ में इसके कुल 30 सेंटर थे. जांच एजेंसियों को इस दौरान शक है कि यह पूरा घोटाला लगभग 5000 करोड़ रुपये का हो सकता है. पिछले साल ही करीब 10 लाख लोगों ने इस महादेव गेमिंग ऐप पर सट्टा लगाया था. और ये सट्टा 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक के होते थे. महादेव ऐप ने केवल बैटिंग करवाकर ही पैसा कमाया, और इन्होंने हवाला के जरिये न सिर्फ भारत बल्कि विदेश में भी काफ़ी फंड ट्रांसफर किए गए.
जाने यहां ठगी कैसे होती थी?
इस सट्टेबाजी में किसी भी यूजर को व्हाट्सऐप के जरिये ही जोड़ा जाता है और उन्हें इस पर पैसे लगाने के लिए कहा जाता हैं. सोशल मीडिया पर विज्ञापन के जरिए भी लोगों को इस ऐप पर पैसे लगाने का लालच दिया जाता. और जो नंबर संपर्क करने के लिए दिए गए, उसपर केवल व्हाट्सएप के जरिये ही संपर्क होता है.
जैसे ही कोई भी व्यक्ति इसमें पैसे लगाने के लिए संपर्क करता तो उसे 2 अलग-अलग नंबर दे दिए जाते थे. जिनमें से एक नंबर का उपयोग ऐप में पैसे जमाकर उससे पॉइंट इकट्ठा करने में किया जाता, और इन पॉइंट से ही सट्टा लगाया जाता. जबकि दिए गए दूसरे नंबर से यूजर जीते हुए पॉइंट को रकम में बदलकर अपने खाते में भी डलवा सकता था. सूत्रों से प्राप्त खबरों के मुताबिक ये सारा लेन-देन ही बेनामी खातों के जरिए किया जाता था.
इसमें सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में ही लोगों से ठगी के खुलासे की कड़ी में ये पूरी बात सामने आई है कि करीब 10 हजार से भी ज्यादा बैंक खाते इसके लपेटे में हैं. और ये सभी सेविंग खाते हैं. महादेव ऐप के संचालक सेविंग खातों से ही फ्रॉड किए पैसों को अपने कॉर्पोरेट खाते में भेज दिया करते थे. और इस पूरी ठगी को ही दुबई से ऑपरेट किया जा रहा था. इसका मास्टरमाइंड सौरभ चंद्राकर अभी भी दुबई में ही है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले महीने महादेव ऑनलाइन लॉटरी ऐप के मामले की जांच करते हुए कोलकाता, भोपाल, मुंबई समेत देश के विभिन्न शहरों में इसके लिए छापेमारी कर क़रीब 417 करोड़ की संपत्ति को फ्रीज और जब्त भी किया था और कई सारे लोगों को इसमें गिरफ्तार भी किया था.
यहां आपकों बता दें के बीते एक साल में ही इस महादेश ऐप के जरिए 5000 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया है. हवाला के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग भी की गई. इस कंपनी की कमाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महादेव ऐप की मदद से ही हर रोज करीब 200 करोड़ रुपये की कमाई की जा रही थी.
अब बॉलीवुड के ये सितारे भी है लपेटे में
यहां हम आपको बताते हैं कि कैसे बॉलीवुड के बड़े सितारे भी लपेटे में आए हैं. फरवरी 2023 में सौरभ चंद्राकर की UAE के ही रास अल-खैमा में शादी हुई थी. आरोप यह है कि इस शादी में महादेव ऐप के प्रमोटरों ने क़रीब 200 करोड़ रुपये नकद खर्च किए. इन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को नागपुर से यूएई ले जाने के लिए एक प्राइवेट जेट को किराये पर लिया गया था. इस पूरी शादी में ही नामचीन हस्तियों को वहां पर बुलाया गया था. जिसमें नेहा कक्कड़, टाइगर श्राफ, भाग्यश्री समेत करीब 15-16 से ज्यादा सेलिब्रिटीज परफॉर्म करने के लिए UAE पहुंचे थे. ईडी के मुताबिक, इस शादी के लिए ही वेडिंग प्लानर्स, डांसर्स और डेकोरेटर्स वगैरह को भी मुंबई से ही बुलाया गया था, और इन सबको ही कैश मे पेमेंट के लिए हवाला का इस्तेमाल भी किया गया. इसके अलावा इस मामले में ईडी का कहना है कि रणबीर कपूर पर महादेव ऐप को ऑनलाइन प्रमोट करने के लिए भी प्रमोटर्स से पैसे लेने का आरोप है, इसलिए ही उन्हें भी समन जारी किया है.