मौसमी आपदाओं से 43 लाख करोड़ डॉलर स्वाहा

50 साल में मौसम के कहर से बर्बाद हुई इकॉनमी!

अल नीनो से 3 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था खत्म होगी

AIN NEWS 1: इस साल मानसून के सामान्य ना रहने को लेकर आशंका बनी हुई है। इसकी वजह है कि अल नीनो के चलते मानसून सामान्य से कम रहने का खतरा बढ़ गया है। यही नहीं 2016 के बाद इस बार आने वाले संभावित अल नीनो के असर से 2023 बेहद गर्म साल साबित हो सकता है। अल नीनो से आगे होने वाले आर्थिक नुकसानों का अनुमान लगाया जा रहा है। इस बीच विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी WMO ने मौसम में परिवर्तन के अलग अलग कारणों से अभी तक हुए आर्थिक नुकसान पर भी एक बेहद चिंताजनक आंकड़ा पेश किया है।

मौसमी आपदाओं से 43 लाख करोड़ डॉलर स्वाहा

WMO के मुताबिक चरम मौसमी गतिविधियों और मौसम-जनित आपदाओं से मानवीय और आर्थिक नुकसान में लगातार इजाफा हो रहा है। बीते 50 बरसों में मौसमी घटनाओं और जलवायु परिवर्तन 20 लाख लोगों की मौत की वजह बना है। जबकि दुनिया को करीब 43 लाख करोड़ डॉलर का आर्थिक नुकसान भी इससे हुआ है। मौसम संगठन ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया जलवायु परिवर्तन के असर का सामना कर रही है। हालांकि मौसमी घटनाओं की शुरुआती चेतावनी में बढ़ोतरी ने मानव मौतों की संख्या को कम करने में मदद की है।

50 साल में मौसम के कहर से बर्बाद हुई इकॉनमी!

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, मौसम, जलवायु और जल-संबंधी जोखिमों की वजह से 1970 से 2021 के दौरान दुनिया को करीब 12 हजार आपदाओं का सामना करना पड़ा। इन आपदाओं से विकासशील देश सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं जहां हर 10 में से 9 मौतें और कुल आर्थिक हानि का 60 फीसदी मौसमी आपदाओं से हुआ है। ये तो बात हुई मौसम में बदलावों से अभी तक हुए नुकसान की.. लेकिन अगर आगे की बात करें तो आशंका है कि इस साल भीषण गर्मी पड़ेगी और भारत समेत कई देशों में सूखे जैसे हालात बन सकते हैं।

अल नीनो से 3 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था खत्म होगी

अल नीनोसाइंस जर्नल में छपे एक रिसर्च में चेतावनी दी गई है कि अल नीनो के आने से दुनिया की 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था खत्म हो सकती है 2023 में बनने वाले अल नीनो का प्रभाव 2029 तक दिखाई देने की आशंका के चलते ये अनुमान लगाया गया है। अल नीनो की वजह से कई बार भारत समेत दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है और इस बार भी इसके आने की आशंका जताई जा रही है। अल नीनो की वजह से 1982-83 में ग्लोबल इनकम में 4.1 ट्रिलियन डॉलर और 1997 में 5.7 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान देखा गया था। जिस साल अल नीनो आता है, उस समय भयंकर बाढ़, फसलों का खराब होना, सूखा, मछली की आबादी में गिरावट और कुछ बीमारियों में बढ़ोतरी जैसी समस्या आती है। इससे इकोनॉमी पर भी बुरा असर पड़ता है।

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