Ainnews1.com: स्वतंत्रता दिवस पर जिला सोलन में बतौर पुलिस अधीक्षक पद पर सेवाएं दे रहे वीरेंद्र शर्मा को राष्ट्रपति पुलिस पदक से नवाजा जाएगा। उनकी अध्यक्षता में सोलन में कई हाई प्रोफाइल ब्लाइंड मर्डर केस के मामले सुलझाए गए हैं। इसके अलावा उन्होंने नशे पर अंकुश लगाने के साथ ट्रैफिक व्यवस्था में बेहतरी के लिए भी सराहनीय कार्य किये है। आईपीएस वीरेंद्र शर्मा जिला शिमला की तहसील चौपाल से हैं। उन्होंने एचपीयू से एमबीए की है। वर्ष 1990 में पुलिस विभाग में शामिल हुए।उन्होंने कोसोवो में संयुक्त राष्ट्र मिशन (2000-2001) में सीआईवीपीओएल अधिकारी पद रूप के में बेहतरीन कार्य किया। उन्हें संयुक्त राष्ट्र पदक से सम्मानित किया गया है। वह खेलों में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए परशुराम पुरस्कार विजेता हैं। 2013 में बेहतरीन सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था। 2017 में सीआईडी में सराहनीय कार्य पर डीजीपी डिस्क अवार्ड भी मिला था। वह एक मुक्केबाज हैं, जिन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं। मुक्केबाजी में उनकी इन उपलब्धियों के लिए परशुराम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह प्रदेश सरकार की ओर से किसी भी खिलाड़ी को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।वर्ष 1990 में हिमाचल प्रदेश पुलिस में शामिल हुए और उपमंडल पुलिस अधिकारी पद (एसडीपीओ) मनाली, पालमपुर और घुमारवीं के रूप में तैनात रहे। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पद ऊना के रूप में भी उनका सफल कार्यकाल रहा। पुलिस अधीक्षक, एसवी और एसीबी मंडी, एसपी सुरक्षा और एसपी कल्याण रहे। वर्तमान में जिला पुलिस अधीक्षक पद सोलन के रूप में कार्यरत हैं।1998 बैच के आईपीएस अधिकारी दिनेश कुमार यादव को इससे पहले कठिन सेवा मेडल, यूएन मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।

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उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि केंद्र सरकार ने उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना है। उन्होंने पुलिस सेवा के दौरान सिक्किम बॉर्डर एरिया आईटीबीपी की तीन बटालियन को लीड किया। उनकी अध्यक्षता में ही 2015-16 में पिथौरागढ़ से कैलाश मान सरोवर यात्रा शुरू की गई। कठिन भौगोलिक परिस्थिति मेें लाहौल-स्पीति में सेवाएं दीं। इसके अलावा उनका पुलिस ट्रेनिंग में भी अहम योगदान रहा। वह दिल्ली पुलिस मुख्यालय में भी सेवाएं दे चुके हैं। अब वह शिमला पुलिस मुख्यालय में कल्याण एवं प्रशासनिक में बतौर आईजी हैं।टीटीआर यूनिट शिमला में तैनात उप निरीक्षक किशोर कुमार ने कहा कि वह वर्ष 2005 से लेकर 2010 तक विदेशी प्रतिनियुक्ति पर रहे हैं। वह ब्राजील और भूटान में भारतीय एंबेसी में सेवाएं दे चुके हैं। विदेश मंत्रालय की ओर उन्हें वीजा से संबंधित अहम जिम्मेदारी दी गई थी, उसमें उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम किया। उस दौरान उन्हें बेहतरीन कार्य लिए पुरस्कारों से भी नवाजा गया। साथ ही उन्होंने सीआईडी में रहते हुए भी कई मामलों का भंडाफोड़ किया है। एसआईटी की टीम की ओर से उन्हें दस्तावेज एकत्र करने और तफ्तीश के लिए विशेष तौर पर भेजा जाता था। वर्तमान में वह टीटीआर मेें शिमला यूनिट में तैनाती दी गई है। उन्होंने कहा कि अब पुलिस पदक से सम्मानित किए जाने पर उन्हें गर्व है।

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