AIN NEWS 1: देश के शहरों में जिस हवा में हम रोज़ सांस लेते हैं, उसकी गुणवत्ता लगातार चिंता बढ़ा रही है। 20 दिसंबर 2025 की सुबह 9:00 बजे तक दर्ज किए गए वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के आंकड़े यह साफ दिखाते हैं कि भारत के कई बड़े शहरों की हवा अब “खराब” से लेकर “गंभीर” श्रेणी में पहुंच चुकी है।
यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर आम लोगों की सेहत, बच्चों के भविष्य और बुज़ुर्गों की उम्र से जुड़ा हुआ सवाल है।
🔹 AQI क्या बताता है?
वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI हवा में मौजूद प्रदूषकों का माप होता है। इसका पैमाना 0 से ऊपर तक जाता है:
0–50: अच्छी
51–100: संतोषजनक
101–200: मध्यम
201–300: खराब
301–400: बहुत खराब
401 से ऊपर: गंभीर
जैसे-जैसे AQI बढ़ता है, वैसे-वैसे सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन, खांसी, अस्थमा और दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जाता है।
🔹 देश के प्रमुख शहरों की हवा का हाल
सुबह 9 बजे तक मिले आंकड़ों के अनुसार कई शहरों में हालात चिंताजनक रहे:
दिल्ली (सोनिया विहार, DJB वाटर ट्रीटमेंट प्लांट): 526
यह स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है, जहां सामान्य व्यक्ति के लिए भी बाहर सांस लेना खतरनाक हो सकता है।
नोएडा (सेक्टर-1): 434
नोएडा की हवा भी गंभीर स्थिति में रही, जिससे बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए खतरा और बढ़ गया।
गुरुग्राम (विकास सदन): 267
यहां AQI ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
पटना (समनपुरा): 295
बिहार की राजधानी में भी प्रदूषण का स्तर काफी ऊंचा रहा।
🔹 अपेक्षाकृत बेहतर, लेकिन सुरक्षित नहीं
कुछ शहरों में स्थिति थोड़ी बेहतर दिखी, लेकिन इन्हें भी सुरक्षित नहीं कहा जा सकता:
लखनऊ (सेंट्रल स्कूल): 171
मुंबई (देवनार): 157
हैदराबाद (जू पार्क, बहादुरपुरा वेस्ट): 163
बेंगलुरु (BTM): 153
कोलकाता (विक्टोरिया): 178
शिलांग (IN स्टेडियम): 183
ये सभी शहर “मध्यम” श्रेणी में रहे, जहां लंबे समय तक रहने से स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
🔹 दक्षिण और तटीय शहरों की स्थिति
चेन्नई (कोडुंगैयूर): 194
चेन्नई का AQI भी मध्यम श्रेणी में रहा, जो औद्योगिक गतिविधियों और कचरा प्रबंधन की समस्या की ओर इशारा करता है।
🔹 देशभर की कुल स्थिति
देशभर के आंकड़ों पर नज़र डालें तो:
अच्छी (0–50): 1 स्थान
संतोषजनक (51–100): 11 स्थान
मध्यम (101–200): 67 स्थान
खराब (201–300): 7 स्थान
बहुत खराब (301–400): 1 स्थान
गंभीर (401+): 2 स्थान
यह साफ दिखाता है कि भारत के अधिकांश शहर साफ हवा से काफी दूर हैं।
🔹 प्रदूषण बढ़ने के कारण
विशेषज्ञों के मुताबिक, वायु प्रदूषण बढ़ने के पीछे कई वजहें हैं:
वाहनों की बढ़ती संख्या
औद्योगिक उत्सर्जन
निर्माण कार्य से उड़ती धूल
कचरा और पराली जलाना
सर्दियों में मौसमीय परिस्थितियां
इन सबका असर मिलकर हवा को ज़हरीला बना देता है।
🔹 सेहत पर सीधा असर
खराब हवा का असर सबसे ज्यादा बच्चों, बुज़ुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर पड़ता है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से:
अस्थमा और एलर्जी
फेफड़ों की बीमारी
हृदय रोग
आंखों और त्वचा की समस्या
जीवन प्रत्याशा में कमी
जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
🔹 आगे का रास्ता क्या?
सरकार, प्रशासन और आम नागरिक—तीनों को मिलकर कदम उठाने होंगे:
सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा
प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर सख्ती
हरियाली बढ़ाना
निर्माण स्थलों पर नियमों का पालन
आम लोगों में जागरूकता
जब तक सामूहिक प्रयास नहीं होंगे, तब तक “साफ हवा” सिर्फ एक सपना ही बनी रहेगी।
देश के शहरों की हवा हमें यह चेतावनी दे रही है कि अगर अब भी नहीं संभले, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो सकता है। यह सिर्फ पर्यावरण का नहीं, बल्कि जीवन और भविष्य का सवाल है।
स्रोत: ओपनवेदरमैप
डेटा: 20 दिसंबर 2025, सुबह 9:00 बजे तक
Air quality in India continues to worsen as several major cities record alarming Air Quality Index (AQI) levels. According to data from OpenWeatherMap, cities like Delhi, Noida, Gurugram, and Patna fall under poor to severe pollution categories. Rising air pollution in India has become a serious public health concern, increasing the risk of respiratory diseases, heart problems, and reduced life expectancy. Continuous monitoring of AQI levels and urgent policy interventions are essential to control worsening air quality across Indian cities.



















