22 अप्रैल को वर्ल्ड अर्थ डे
हीट वेव मचाएगी तबाही
रोजी रोटी तक पर होगा असर
AIN NEWS 1: हर साल अप्रैल की 22 तारीख को दुनियाभर में अर्थ डे मनाया जाता है। क्लाइमेट चेंज के खतरे के बीच हीट वेव के बढ़ने से इस दिन का महत्व ज्यादा बढ़ गया है। हाल ही में अमेरिका गईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी माना है कि क्लाइमेट चेंज हमें कई तरह से परेशान कर रहा है। हीटवेव से देश की इकोनॉमी को बड़ा खतरा है। खासकर तब, जबकि भारत की जीडीपी में 17 फीसदी हिस्सेदारी कृषि और इससे जुड़ी एक्टीविटीज का है। इस बार की फरवरी 1877 के बाद 146 साल में सबसे गर्म फरवरी रही है। यही नहीं 2022 में हीटवेव के दिनों की औसत संख्या एक दशक में सबसे ज्यादा रही। 2022 में भारत में 190 दिनों तक हीटवेव रही है और ये 1901 के बाद पांचवां सबसे गर्म साल रहा।
22 अप्रैल को वर्ल्ड अर्थ डे
लेकिन 2023 को लेकर भी ज्यादा उम्मीद नहीं है और ये साल भी असामान्य रूप से गर्म होने की आशंका है। जानकारों का मानना है कि अर्थ डे की थीम के मुताबिक ही क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने के लिए सबको जागरुक करने की ज़रुरत है। हीट वेव से सबसे ज्यादा खतरा भारत की फूड इकोनॉमी को है। हीटवेव की वजह से फसलों को नुकसान होने, उनकी ग्रोथ रुकने और जल्दी पकने के कारण प्रोडक्शन कम हो सकता है और कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे सिंचाई के लिए पानी की डिमांड बढ़ेगी जिससे प्रभावित क्षेत्रों में जल संसाधनों पर दबाव पड़ सकता है।
हीट वेव मचाएगी तबाही
हीट वेव की वजह से इसी साल फल और सब्जियों की फसलों के उत्पादन में 10 फीसदी से 30 फीसदी नुकसान की आशंका है। हीटवेव का भारत के पावर सेक्टर पर भी असर देखने को मिल सकता है।क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बिजली की डिमांड 2022-23 के 8.2 फीसदी के मुकाबले इस साल 10 फीसदी ज्यादा रह सकती है। ये बीते एक दशक में सबसे ज्यादा और दो दशकों के औसत 5.2 फीसदी के मुकाबले दोगुनी है। हीट वेव से उत्पादन घटने की भी आशंका है क्योंकि भारत में 75 फीसदी वर्क फोर्स लाइफ थ्रेटनिंग तापमान में काम करती है।
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