Saturday, November 23, 2024

15 साल में 41.5 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर आए। संयुक्त राष्ट्र और ऑक्सफोर्ड की रिपोर्ट में किया गया दावा

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15 साल में 41 करोड़ से ज्यादा गरीबी रेखा से बाहर आए

6 साल में 14 करोड़ लोगों ने गरीबी रेखा को लांघा

भारत में अभी भी 22 करोड़ से ज्यादा आबादी गरीब

AIN NEWS 1: भारत में गरीबी के दायरे से बाहर निकलने वालों की संख्या बीते कुछ बरसों में तेजी से बढ़ी है. ये दावा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (OPHI) की रिपोर्ट में किया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 से 2019-21 के बीच भारत में 14 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर आ गए हैं. यही नहीं अगर 2005 से 2021 तक के दौरान देखें तो 15 बरसों में 41.5 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर निकले हैं. वैश्विक गरीबी सूचकांक में भारत की स्थिति में पहले के मुकाबले तेज सुधार हुआ है और देश ने नया मुकाम हासिल किया है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे ‘ऐतिहासिक परिवर्तन’ करार दिया है. दो हिस्सों में बांटी गई इस रिपोर्ट के मुताबिक 2005-06 से लेकर 2015-2016 तक 27.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. इसके बाद के 5 साल में 14 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं और इस दौरान दुनियाभर में भारत में गरीबों की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट आई है.

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अब भी भारत में हैं सबसे ज्यादा गरीब!

गरीबी के मोर्चे पर ये शानदार उपलब्धि हासिल करने के बावजूद UNDP और ऑक्सफोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में सबसे ज्यादा गरीब लोग अभी भी भारत में ही हैं. 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में अभी भी 22.89 करोड़ गरीब हैं. वहीं दूसरे नंबर पर नाइजीरिया है जहां पर 9.67 करोड़ गरीब हैं. यानी नाइजीरिया से दोगुने से भी ज्यादा गरीब लोग भारत में हैं. UNDP और ऑक्सफोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर के 59 करोड़ गरीब लोग तो बिजली और भोजन के लिए ईधन तक जुटाने में नाकाम हैं. 43 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी तक मुहैया नहीं है. 37 करोड़ गरीब लोग घर, खाने और ईधन की ट्रिपल मुसीबत का सामना करने को मजबूर हैं.

गरीबों के मामले में बरकरार है शहरों और गांवों का अंतर

UNDP और ऑक्सफोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक गरीबी के मामले में गांव और शहरों के बीच मौजूद कम नहीं हो पा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों का आंकड़ा 21.2 फीसदी है तो शहरी क्षेत्र में रहने वाले गरीबों की संख्या 5.5 फीसदी है. हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने भरोसा जताया है कि भारत तरक्की के पथ पर तेजी से दौड़ रहा है. इससे भारत ने जो लक्ष्य तय किए हैं उनको हासिल करना मुमकिन है. इससे गरीबी हटाने के भारत के लगातार जारी प्रयासों को सफलता मिल सकती है. गरीबी को समाप्त करने के लिए इसका सामना करने को मजबूर महिला, पुरुषों और बच्चों की संख्या को 2030 तक आधा करने का लक्ष्य तय किया गया है. इस मंजिल तक पहुंचने में हाल में हुए कुछ बदलाव बड़े ब्रेकर बन गए हैं. कोविड महामारी और इसके बाद आई खाद्य और ईंधन की महंगाई ने चुनौती को बढ़ा दिया है. UNDP और ऑक्सफोर्ड की रिपोर्ट में भारत में पौष्टिक खानपान को प्राथमिकता दिए जाने के लिए भी कहा गया है.

 

यूपी-बिहार में सबसे तेजी से घटे गरीब

UNDP और ऑक्सफोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में गरीबों की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट आई है. लेकिन अभी भी गरीबों के मामले में काफी बड़े बदलाव को लाने की ज़रुरत है. भारत दक्षिण एशिया का अकेला ऐसा देश है जहां पुरुष प्रधान परिवारों के मुकाबले महिलाओं द्वारा चालित परिवारों में गरीबी ज्यादा है. महिला प्रधान परिवारों में रहने वाले लगभग 19.7 फीसदी लोग गरीबी में रहते हैं जबकि पुरुष प्रधान परिवारों में 15.9 परसेंट लोग गरीबी के दायरे में रहते हैं.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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