AIN NEWS 1 गाजियाबाद: नंदग्राम क्षेत्र के मोर्टी अटौर नंगला निवासी पंकज त्यागी ने चार बिल्डरों—विशाल त्यागी, नवीन त्यागी, महेश और एक अन्य—पर धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साज़िश के गंभीर आरोप लगाए हैं। अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने इन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
जमीन पर विला प्रोजेक्ट का वादा और अधूरा सपना
पंकज त्यागी का आरोप है कि उनकी जमीन पर शानदार विला प्रोजेक्ट और दुकानों-शोरूम बनाने का वादा किया गया था। खरीदारों से करोड़ों रुपये वसूले गए, लेकिन निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया गया।
एक खरीदार राजेश कुमार (काल्पनिक नाम) बताते हैं:
“मैंने अपनी जमा-पूंजी लगाकर यहां एक विला बुक किया था। सोचा था कि बच्चों को पढ़ाई और परिवार को बेहतर माहौल मिलेगा। लेकिन आज तक घर नहीं मिला। न पैसा वापस मिल रहा है, न कोई जवाब।”
बैंकटुम बिल्डकॉन कंपनी और धोखाधड़ी
आरोपियों ने बैंकटुम बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई। दावा था कि कंपनी बड़े स्तर पर निर्माण करेगी। लेकिन बाद में आर्थिक तंगी का बहाना बनाकर 1.10 करोड़ रुपये का कर्ज और 13 लाख रुपये हड़प लिए गए।
स्थानीय निवासी सीमा गुप्ता (काल्पनिक नाम) कहती हैं:
“हमारे सामने विला प्रोजेक्ट के बड़े-बड़े पोस्टर और मॉडल दिखाए गए। कंपनी के लोग हमें कहते थे कि एक साल में सब तैयार हो जाएगा। अब तीन साल हो गए, लेकिन आधा भी काम पूरा नहीं हुआ।”
फर्जी लेटरपैड और जीडीए का प्रमाण पत्र
पंकज त्यागी का आरोप है कि कंपनी ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अधिकारियों को फर्जी लेटरपैड दिखाकर गुमराह किया और ऐसा प्रमाण पत्र हासिल कर लिया जैसे कि निर्माण कार्य पूरा हो चुका हो।
एक प्राधिकरण अधिकारी (नाम न छापने की शर्त पर) ने बताया:
“यदि फर्जी दस्तावेजों से प्रमाण पत्र लिया गया है तो यह गंभीर मामला है। जांच में यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो कार्रवाई तय है।”
खरीदारों की परेशानी और टूटे सपने
कई खरीदारों ने कहा कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई इस प्रोजेक्ट में लगा दी। लेकिन अब न घर मिला और न ही पैसा।
एक महिला खरीदार, अनीता शर्मा (काल्पनिक नाम) कहती हैं:
“मेरे पति ने बैंक से लोन लेकर इस प्रोजेक्ट में निवेश किया था। EMI तो हर महीने कट रही है लेकिन घर आज तक नहीं मिला। अब हम कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं।”
अदालत का हस्तक्षेप और FIR
10 अगस्त 2025 को पंकज त्यागी के साथ आरोपियों ने मारपीट भी की। पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद उन्होंने अदालत का सहारा लिया। अदालत ने माना कि पीड़ितों को गंभीर आर्थिक व मानसिक क्षति पहुंची है। इसके बाद आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया।
एसएचओ नंदग्राम पूनम मिश्रा ने कहा:
“अदालत के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच की जा रही है और साक्ष्यों के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।”
रियल एस्टेट सेक्टर पर अविश्वास
गाजियाबाद और एनसीआर क्षेत्र में पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। RERA में भी गाजियाबाद, नोएडा और लखनऊ बिल्डरों की शिकायतों में सबसे ऊपर रहे हैं।
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों से लोगों का भरोसा हिलता है। विशेषज्ञ अरविंद माथुर (काल्पनिक नाम) का कहना है:
“जब खरीदार अपना खून-पसीना एक घर खरीदने में लगाता है और बदले में उसे धोखा मिलता है, तो यह पूरे सेक्टर की साख गिरा देता है। सरकार को सख्ती से नियम लागू करने होंगे।”
आगे की राह
फिलहाल पुलिस जांच कर रही है। आरोपियों से पूछताछ और खरीदारों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। अगर आरोप सही साबित होते हैं तो बिल्डरों को कड़ी सजा मिल सकती है।
पीड़ित पंकज त्यागी का कहना है:
“हमें उम्मीद है कि अदालत से इंसाफ मिलेगा। हम चाहते हैं कि हमारा पैसा लौटाया जाए और दोषियों को कड़ी सजा मिले ताकि भविष्य में किसी और के साथ ऐसा न हो।”
Four builders in Ghaziabad have been accused of a major real estate fraud and forgery case involving a villa project. Buyers allege that despite paying crores, only 60% of the construction was completed. The accused allegedly formed Banktum Buildcon Pvt Ltd, used fake documents to obtain certificates, and cheated both landowners and buyers. After police inaction, the Ghaziabad court ordered an FIR, and now a detailed investigation is underway into this significant property scam in India.



















