वैष्णो देवी दरबार में गौरी स्वरूप की अनोखी पुष्प सजावट, देखें भव्य तस्वीरें?

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Vaishno Devi Darbar: Divine Floral Decoration in Gauri Swaroop During Navratri

वैष्णो देवी दरबार में गौरी स्वरूप की अनोखी पुष्प सजावट, देखें भव्य तस्वीरें

AIN NEWS 1: नवरात्रि के शुभ अवसर पर इस वर्ष माता वैष्णो देवी दरबार को अद्भुत रूप में सजाया गया है। जम्मू-कटरा स्थित यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थल इस बार गौरी स्वरूप में भव्य पुष्प शृंगार से सुशोभित किया गया है। रंग-बिरंगे फूलों की इस अनूठी सजावट ने दरबार की दिव्यता को और भी बढ़ा दिया है। इस भव्य दृश्य को देखकर श्रद्धालु श्रद्धा और भक्ति में डूब गए हैं।

गौरी स्वरूप: माता का दिव्य रूप

माता वैष्णो देवी को गौरी स्वरूप में भी पूजा जाता है। यह स्वरूप माता पार्वती का एक रूप है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण उन्हें महागौरी कहा जाता है। महागौरी का रूप श्वेत आभा से युक्त, अत्यंत शांत और तेजोमयी माना जाता है। इसी कारण नवरात्रि के दौरान माता के इस स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है।

फूलों की अनुपम सजावट

हर साल नवरात्रि के दौरान माता के दरबार को विशेष रूप से सजाया जाता है। इस बार दिल्ली के डॉ. संचित शर्मा, जो एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक हैं, ने अपने श्रद्धाभाव से इस भव्य पुष्प सजावट का आयोजन किया। वह कई वर्षों से इस कार्य को कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि फूलों की इस अनुपम सजावट से न केवल दरबार की शोभा बढ़ती है, बल्कि श्रद्धालुओं को एक दिव्य अनुभव भी प्राप्त होता है। विभिन्न प्रकार के सुगंधित फूलों का अद्भुत संयोजन और रोशनी की मनमोहक झलक भक्तों को भाव-विभोर कर रही है।

श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव

देशभर से लाखों श्रद्धालु माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए यहां आते हैं। नवरात्रि के दौरान इस दिव्य पुष्प शृंगार को देखकर उनकी भक्ति और आस्था और भी गहरी हो जाती है। फूलों की खुशबू और भव्य साज-सज्जा माता की उपस्थिति का अनुभव कराती है।

भक्तगण यहां आकर माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और इस अलौकिक दृश्य को अपने कैमरों में कैद करते हैं। माता का दरबार इन नौ दिनों तक और भी रौशन और भव्य दिखाई देता है, जिससे वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक हो जाता है।

वैष्णो देवी दरबार की यह अनोखी सजावट भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभूति लेकर आती है। माता के दरबार को इस प्रकार गौरी स्वरूप में सजाना न केवल परंपरा का हिस्सा है, बल्कि यह श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक शांति और आस्था का भी प्रतीक है। जो भी इस नज़ारे को देखता है, वह माता की कृपा से स्वयं को धन्य महसूस करता है।

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