AIN NEWS 1 | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक ऐतिहासिक मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में दिल्ली स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में एक विशेष कार्यक्रम में 100 रुपये का स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह संघ की सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्र निर्माण में निभाई गई भूमिका का प्रतीक था।
संघ की स्थापना और योगदान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में नागपुर में डॉक्टर केशव बलीराम हेडगेवार ने की थी। उस समय संगठन का उद्देश्य था—समाज को संगठित करना, राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना जगाना और हर नागरिक को देश के लिए सेवा करने के लिए प्रेरित करना।
सालों से RSS ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सेवा, आपदा राहत और राष्ट्र निर्माण से जुड़े अनेक क्षेत्रों में योगदान दिया है। बाढ़, भूकंप और महामारी जैसे संकटों में संघ के स्वयंसेवक हमेशा अग्रिम पंक्ति में दिखाई दिए हैं।
कार्यक्रम का महत्व
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि संघ और उसके स्वयंसेवकों का योगदान हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने विशेष रूप से 1963 का जिक्र किया, जब गणतंत्र दिवस परेड में संघ के स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया और राष्ट्रभक्ति की धुन पर कदमताल किया। यह उस दौर का ऐतिहासिक क्षण था, जिसे अब जारी किया गया डाक टिकट संजोता है।
पीएम मोदी ने कहा, “यह डाक टिकट केवल कागज का टुकड़ा नहीं है, बल्कि यह देशभक्ति, समर्पण और सेवा की जीती-जागती मिसाल है। इसमें उन स्वयंसेवकों की झलक है जो हर परिस्थिति में राष्ट्र के लिए खड़े रहे और समाज को मजबूत बनाने का काम किया।”
स्मारक सिक्के की विशेषताएं
इस कार्यक्रम का सबसे आकर्षक पहलू रहा 100 रुपये का स्मारक सिक्का, जिसकी डिजाइन और प्रतीक बेहद खास है।
सिक्के के एक तरफ राष्ट्रीय चिह्न (अशोक स्तंभ) अंकित है।
दूसरी ओर भारत माता की भव्य छवि दिखाई देती है, जो सिंह के साथ वरद मुद्रा में खड़ी हैं।
भारत माता के सामने संघ के स्वयंसेवक नमन करते हुए दर्शाए गए हैं।
सिक्के पर संघ का बोध वाक्य भी अंकित है—
“राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम”।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पहली बार है जब भारतीय मुद्रा पर भारत माता की तस्वीर को स्थान दिया गया है। यह केवल एक सिक्का नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और राष्ट्र की भावना का प्रतीक है।
संघ और मुख्यधारा
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने संघ के इतिहास और चुनौतियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कई बार संघ को मुख्यधारा से दूर रखने की कोशिशें की गईं। यहां तक कि गुरुजी (एम.एस. गोलवलकर) को झूठे आरोपों में जेल भी भेजा गया। लेकिन संघ ने कभी कटुता का रास्ता नहीं चुना।
पीएम मोदी ने कहा, “संघ समाज से अलग नहीं है, बल्कि समाज का ही हिस्सा है। उसके स्वयंसेवक लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि संघ को आज पूरे देश में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।”
पीएम मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री का यह संदेश स्पष्ट था—संघ के योगदान को केवल राजनीति की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। संघ के स्वयंसेवक हर कठिन परिस्थिति में समाज की सेवा में लगे रहते हैं। चाहे शिक्षा की बात हो, स्वास्थ्य सेवा की, या फिर आपदा के समय राहत कार्यों की—RSS हमेशा आगे रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि आज का यह सिक्का और डाक टिकट आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाते रहेंगे कि देश के लिए समर्पण की भावना सबसे बड़ा धर्म है।
स्मारक सिक्के का महत्व
भारतीय परंपरा में स्मारक सिक्के केवल धातु का टुकड़ा नहीं होते, बल्कि वे किसी ऐतिहासिक घटना, व्यक्तित्व या आंदोलन की याद दिलाते हैं। यह सिक्का भी ऐसा ही है। इसमें न केवल संघ की 100 वर्षों की यात्रा को दर्शाया गया है, बल्कि भारत माता की छवि के माध्यम से यह राष्ट्र के आदर्शों को भी प्रतिबिंबित करता है।
संघ की शताब्दी और भविष्य
RSS आज अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। यह यात्रा केवल संगठन की नहीं, बल्कि पूरे समाज की यात्रा है। पीएम मोदी ने कहा कि संघ ने हमेशा “राष्ट्र पहले” की भावना को जिया है और आने वाले समय में भी यही इसका मार्गदर्शन करता रहेगा।
पीएम मोदी द्वारा जारी किया गया यह 100 रुपये का स्मारक सिक्का और विशेष डाक टिकट केवल एक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उन लाखों स्वयंसेवकों के त्याग, सेवा और समर्पण को सम्मानित करता है, जिन्होंने देश की सेवा को ही अपना जीवन बना लिया।
यह सिक्का भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगा कि राष्ट्र के लिए समर्पण से बड़ा कोई धर्म नहीं।



















