AIN NEWS 1: बिजनौर में रविवार दोपहर उस समय हड़कंप मच गया जब राज्य महिला आयोग और पुलिस की संयुक्त टीम ने मुजफ्फरनगर के CMO डॉ. सुनील तेवतिया के कथित अवैध क्लिनिक पर छापा मारा। यह कार्रवाई अचानक की गई, क्योंकि इस क्लिनिक के खिलाफ लंबे समय से अनियमितताओं और अवैध गतिविधियों की शिकायतें मिल रही थीं।
जैसे ही पुलिस और महिला आयोग की टीम क्लिनिक में पहुंची, वहां मौजूद कर्मचारियों में खलबली मच गई। इसी दौरान डॉक्टर सुनील तेवतिया खुद को बचाने के लिए क्लिनिक के अंदर बने टॉयलेट में जाकर छिप गए। पुलिस ने कई बार उन्हें बाहर आने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने टॉयलेट का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। लगभग पाँच मिनट तक पुलिस उन्हें आवाज़ देती रही, मगर डॉक्टर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। आखिरकार कड़ी चेतावनी देने पर वह घबराए हुए बाहर निकले।
महिला आयोग का छापा और निरीक्षण
राज्य महिला आयोग की सदस्य संगीता जैन टीम के साथ क्लिनिक में मौजूद थीं। उन्होंने बताया कि इस क्लिनिक के बारे में पहले भी शिकायतें की गई थीं कि यहां बिना अनुमति के इलाज, जांच और अन्य मेडिकल प्रक्रियाएं की जा रही हैं।
संगीता जैन के अनुसार, इतना वरिष्ठ अधिकारी—जो एक जिले का CMO हो—अगर खुद अवैध क्लिनिक चलाते हुए पकड़ा जाए, तो यह बेहद गंभीर मामला है और स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
क्लिनिक के निरीक्षण के दौरान कई अनियमितताएं भी देखी गईं। मरीजों की फाइलें, पैथोलॉजी टेस्ट के रसीद पुस्तिकाएं और संदिग्ध मेडिकल उपकरण मौके पर मिले। टीम ने तुरंत इन्हें सुरक्षित कर लिया।
15 मिनट की तीखी बहस
जांच के दौरान डॉ. सुनील तेवतिया और संगीता जैन के बीच करीब 15 मिनट तक बहस भी हुई। जैन ने आरोप लगाया कि डॉक्टर स्थानीय पैथोलॉजी से मिलकर मरीजों से अवैध शुल्क वसूल रहे थे।
डॉ. तेवतिया ने इन आरोपों से सख्ती से इनकार किया। उनका कहना था कि वह यहां कोई क्लिनिक नहीं चलाते, बल्कि सिर्फ अपनी पत्नी से मिलने आए थे क्योंकि वह छुट्टी पर थे। उन्होंने यह भी कहा कि यह सब गलतफहमी के कारण हुआ है और उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।
लेकिन संगीता जैन ने उन्हें याद दिलाया कि दो महीने पहले भी इसी तरह का मामले में उन्हें पकड़ा गया था और साफ चेतावनी दी गई थी कि वह दूसरे जिले में आकर कोई गैर-कानूनी गतिविधि न करें।
सरकारी अधिकारी होते हुए भी नियमों का उल्लंघन?
महिला आयोग की सदस्य ने कहा कि अगर कोई सामान्य व्यक्ति ऐसा करता है तो भी अपराध है, लेकिन जब सरकारी पद पर बैठे व्यक्ति पर ऐसे आरोप लगते हैं, तो यह अधिक चिंताजनक स्थिति होती है। इससे जनता में गलत संदेश जाता है और सिस्टम की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि पूरा मामला गंभीर है और इसकी शिकायत अब स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक से भी की जाएगी, ताकि आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
पुलिस का सवाल: अगर दोषी नहीं थे तो टॉयलेट में क्यों छिपे?
छापे में मौजूद इंस्पेक्टर चांदपुर अमित कुमार ने भी सवाल उठाया कि अगर वास्तव में कोई अवैध कार्य नहीं किया जा रहा था, तो सीएमओ को टॉयलेट में छिपने की क्या जरूरत थी?
पुलिस ने कहा कि छापे की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग और दस्तावेजों के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल क्लिनिक को सील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
आगे क्या होगा?
महिला आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि पूरे मामले की उच्च स्तर पर जांच कराई जाएगी। अगर डॉक्टर अवैध क्लिनिक चलाते पाए जाते हैं, तो उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई और विभागीय कार्रवाई दोनों हो सकती हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह क्लिनिक काफी समय से चल रहा था और यहां मरीजों से अधिक शुल्क लेने और बिना लाइसेंस इलाज करने की शिकायतें पहले भी सामने आई थीं।
फिलहाल, पूरा मामला चर्चा का विषय बना हुआ है और स्वास्थ्य विभाग पर भी कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतने बड़े अधिकारी की गतिविधियों पर लंबे समय तक किसी की नज़र क्यों नहीं पड़ी।
In Bijnor, CMO Dr. Sunil Tevatia was caught during a police and woman commission raid at his alleged illegal clinic. The incident gained massive attention after Dr. Tevatia reportedly hid inside a toilet during the raid. This Bijnor illegal clinic case raises serious concerns about medical corruption, unauthorized treatment, and misuse of power by a senior health official. The investigation by the Uttar Pradesh Health Department is expected to intensify soon.



















