AIN NEWS 1: अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहराए जाने के बाद राजनीति में हलचल तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुए इस ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह पर AIMIM नेता वारिस पठान ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि आज भी उनका मानना है कि बाबरी मस्जिद वहां थी, है और हमेशा रहेगी। पठान के इस बयान के बाद माहौल और गरम हो गया है।
राम मंदिर में ध्वजारोहण—ऐतिहासिक पल
मंगलवार को अयोध्या में अभिजीत मुहूर्त के दौरान राम जन्मभूमि मंदिर के 191 फुट ऊंचे शिखर पर केसरिया धर्म ध्वजा फहराया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और RSS प्रमुख मोहन भागवत सहित कई गणमान्य लोग इस समारोह में मौजूद रहे। इस ध्वज पर भगवान सूर्य का प्रतीक, सूर्यवंश दर्शाने वाला कोविदार वृक्ष, ‘ॐ’ का चिह्न और सुनहरी कढ़ाई की डिजाइन है। यह ध्वज विशेष रूप से इस तरह बनाया गया है कि तेज बारिश और 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक की हवाओं में भी मजबूती से लहराता रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने ध्वजारोहण के दौरान अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन भारत के आध्यात्मिक इतिहास का अनमोल क्षण है। उन्होंने कहा, “सदियों की प्रतीक्षा आज पूर्ण हो रही है। यह वह तपस्या है जिसकी ज्वाला 500 वर्षों तक प्रज्वलित रही। आज हर राम भक्त के मन में एक अनोखी शांति और आनंद है।”
वारिस पठान का बयान—राजनीति में नई बहस
ध्वजारोहण के कुछ ही समय बाद AIMIM नेता वारिस पठान ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री होने के नाते उन्हें सभी को साथ लेकर चलना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पीएम मोदी सिर्फ एक समुदाय के प्रधानमंत्री हैं या पूरे देश के?
पठान ने कहा,
“6 दिसंबर 1992 भारत के लोकतंत्र के लिए एक काला दिन था। बाबरी मस्जिद को साजिश के तहत गिराया गया। हमें आज भी विश्वास है कि वहां मस्जिद थी, है और हमेशा रहेगी।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री को संविधान के दायरे में रहकर सबका विश्वास जीतना चाहिए, लेकिन उनके कुछ समर्थक और नेता मुसलमानों के खिलाफ बयानबाजी करते हैं।
“विदेशों में मुसलमानों को गले लगाते हैं, भारत में नफरत फैलती है”
वारिस पठान ने पीएम मोदी की विदेश यात्राओं को लेकर भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा,
“मोदी जी जब दुबई, अबू धाबी या सऊदी अरब जाते हैं तो वहां के मुसलमानों को गले लगाते हैं, लेकिन भारत में उनके कुछ लोग मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते हैं। कभी कहते हैं मस्जिद गिरा देंगे, कभी मदरसे तोड़ने की बात करते हैं।”
उन्होंने बीजेपी और उससे जुड़े संगठनों पर समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ चर्चा करने का आरोप लगाया।
ध्वजारोहण के बाद बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी
अयोध्या के राम मंदिर में केसरिया ध्वज का फहराया जाना अपने आप में एक बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक समारोह था, लेकिन इसके तुरंत बाद उठे राजनीतिक बयानों ने माहौल को और गर्मा दिया। जहां एक ओर भक्तों और आम लोगों के बीच खुशी का माहौल था, वहीं विपक्षी दलों और AIMIM नेताओं ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में राम मंदिर के ध्वजारोहण को भारत की आध्यात्मिक विरासत से जोड़ते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया राममय हो गई है। उनका कहना था कि यह सिर्फ एक ध्वजा नहीं है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा और आस्था का प्रतीक है।
ध्वजा के पीछे की परंपरा और महत्व
राम मंदिर पर फहराया गया केसरिया ध्वज धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अत्यंत पवित्र प्रतीक माना जाता है। यह ध्वज न सिर्फ भगवान राम के आदर्शों को दर्शाता है बल्कि सूर्यवंश की परंपरा को भी प्रतिबिंबित करता है। इसके डिजाइन और निर्माण में विशेष कारीगरी का उपयोग किया गया, ताकि यह लंबे समय तक मजबूत और आकर्षक बने रहे।
राजनीति और धर्म का टकराव—फिर एक बार चर्चा में
भारत में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद से जुड़े मुद्दे दशकों से राजनीति के केंद्र में रहे हैं। इस ध्वजारोहण के बाद वारिस पठान का बयान एक बार फिर उसी तनाव को सामने ले आया है। जहां समर्थक इसे हिंदू आस्था का ऐतिहासिक पुनर्जागरण बता रहे हैं, वहीं AIMIM और अन्य विपक्षी दल इसे राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगा रहे हैं।
पठान का यह बयान आने वाले दिनों में और तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ ला सकता है, क्योंकि यह वही मुद्दा है जिससे भारत की राजनीति कई बार गर्मा चुकी है।
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