AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संगठन में एक बड़े और अहम बदलाव की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और महाराजगंज से सात बार के सांसद पंकज चौधरी ने उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। खास बात यह है कि उनका नामांकन इकलौता है, जिससे यह लगभग तय माना जा रहा है कि वे सर्वसम्मति से यूपी भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष चुने जाएंगे।
पार्टी के भीतर इस फैसले को लंबे समय से लेकर मंथन चल रहा था और अब संगठन पर्व के दौरान इसे औपचारिक रूप दे दिया गया है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व, केंद्रीय मंत्रियों और प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी और समर्थन ने यह साफ कर दिया है कि पंकज चौधरी को प्रदेश संगठन की कमान सौंपने पर पार्टी पूरी तरह एकमत है।
प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव क्यों अहम है?
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राजनीतिक राज्य है, जहां से लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें आती हैं। ऐसे में भाजपा के लिए यहां का संगठनात्मक नेतृत्व केवल प्रशासनिक पद नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का मजबूत स्तंभ होता है। प्रदेश अध्यक्ष का चयन सीधे तौर पर पार्टी की आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों की दिशा तय करता है।
भाजपा ने इस बार ऐसा चेहरा चुना है जो न सिर्फ संगठनात्मक अनुभव रखता है, बल्कि सामाजिक समीकरणों को भी साधने की क्षमता रखता है। पंकज चौधरी का नाम सामने आना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
पंकज चौधरी का राजनीतिक सफर
पंकज चौधरी का राजनीतिक जीवन लंबा और प्रभावशाली रहा है। वे उत्तर प्रदेश के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से सात बार सांसद चुने जा चुके हैं। यह अपने आप में उनकी मजबूत जनाधार और क्षेत्र में गहरी पकड़ को दर्शाता है।
संसद में उन्होंने लगातार सक्रिय भूमिका निभाई है और वर्तमान में वे केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। केंद्र सरकार में उनका अनुभव उन्हें संगठन और सरकार, दोनों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में मददगार साबित हो सकता है।
कुर्मी समाज और OBC वोट बैंक पर मजबूत पकड़
पंकज चौधरी कुर्मी समाज से आते हैं, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अहम OBC वर्ग माना जाता है। पूर्वांचल, मध्य यूपी और तराई क्षेत्रों में कुर्मी और अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रभाव निर्णायक भूमिका निभाता रहा है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर OBC वोट बैंक को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। खासकर ऐसे समय में जब विपक्षी दल सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश कर रहे हैं, यह फैसला भाजपा के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अखिलेश यादव के PDA दांव की काट?
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव लगातार PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे में भाजपा का पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना इस रणनीति की काउंटर पॉलिटिक्स के तौर पर देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पंकज चौधरी OBC समाज के भीतर संवाद स्थापित करने में सक्षम नेता हैं और उनका संगठनात्मक अनुभव भाजपा को जमीनी स्तर पर मजबूती दे सकता है।
नामांकन की प्रक्रिया और नेताओं का समर्थन
पंकज चौधरी ने लखनऊ स्थित भाजपा प्रदेश मुख्यालय में संगठन पर्व के दौरान प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चार सेट में नामांकन दाखिल किया। यह प्रक्रिया पूरी तरह से औपचारिक और शांतिपूर्ण रही।
उनके नामांकन प्रस्तावकों में पार्टी और सरकार के कई दिग्गज नेता शामिल रहे, जिनमें प्रमुख नाम हैं—
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी
निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह
मंत्री सूर्य प्रताप शाही
वरिष्ठ नेता सुरेश खन्ना
पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य
इतने बड़े नेताओं का समर्थन यह दर्शाता है कि पार्टी ने यह फैसला पूरी सहमति और संतुलन के साथ लिया है।
कोई दूसरा नामांकन नहीं, सर्वसम्मति तय
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नामांकन की अंतिम तिथि तक किसी अन्य नेता ने पर्चा दाखिल नहीं किया। इससे यह साफ हो गया कि संगठन के भीतर पंकज चौधरी के नाम पर पहले से ही सहमति बन चुकी थी।
भाजपा में इसे सर्वसम्मति से नेतृत्व परिवर्तन का उदाहरण माना जा रहा है, जो संगठनात्मक एकजुटता को भी दर्शाता है।
संगठन पर्व और कार्यकर्ताओं का उत्साह
भाजपा के संगठन पर्व के दौरान प्रदेश मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं और नेताओं की भारी मौजूदगी देखने को मिली। ढोल-नगाड़ों, नारों और उत्साह के बीच नामांकन की प्रक्रिया पूरी की गई।
कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पंकज चौधरी के नेतृत्व में पार्टी बूथ स्तर तक संगठन को और मजबूत करेगी और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होगा।
योगी आदित्यनाथ और पंकज चौधरी का समीकरण
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी होती रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पंकज चौधरी के बीच संबंध हमेशा पूरी तरह सहज नहीं रहे। हालांकि, नामांकन के दौरान योगी आदित्यनाथ का प्रस्तावक के रूप में मौजूद रहना यह संदेश देता है कि पार्टी नेतृत्व संतुलन और समन्वय के साथ आगे बढ़ना चाहता है।
सूत्रों का मानना है कि यह नियुक्ति संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने की दिशा में भी एक कदम है।
भाजपा की आगामी चुनावी रणनीति
पंकज चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा की चुनावी रणनीति में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं—
OBC और कुर्मी समाज पर विशेष फोकस
पूर्वांचल में संगठन को और मजबूत करना
बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना
विपक्ष की सामाजिक राजनीति का जवाब देना
भाजपा का मानना है कि पंकज चौधरी का अनुभव और सामाजिक जुड़ाव पार्टी को आने वाले चुनावों में फायदा पहुंचाएगा।
संगठन में पंकज चौधरी की भूमिका
पंकज चौधरी केवल सांसद या मंत्री ही नहीं रहे, बल्कि संगठनात्मक कार्यों में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही है। वे जमीनी कार्यकर्ताओं से संवाद रखने वाले नेता माने जाते हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि उनका नेतृत्व प्रदेश संगठन को नई दिशा और ऊर्जा देगा और भाजपा को चुनावी मोर्चे पर और मजबूत बनाएगा।
कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया
नामांकन की खबर के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह देखने को मिला। कई कार्यकर्ताओं ने इसे पार्टी की स्थिरता, एकजुटता और दूरदर्शी सोच का प्रतीक बताया।
कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि पंकज चौधरी के नेतृत्व में संगठन और मजबूत होगा और भाजपा आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करेगी।
Pankaj Chaudhary has emerged as the new Uttar Pradesh BJP President after filing the only nomination for the post. The seven-time Maharajganj MP and Union Minister of State for Finance is expected to lead the BJP’s organizational strategy in Uttar Pradesh, with a strong focus on OBC outreach, booth-level strengthening, and upcoming assembly and Lok Sabha elections. His appointment is seen as a key move in BJP’s political strategy against opposition alliances in the state.



















