AIN NEWS 1 : दिल्ली की हवा एक बार फिर ज़हर बन चुकी है। सांस लेना मुश्किल हो रहा है और आंखों में जलन आम बात बन गई है। इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए राजधानी में GRAP-4 (Graded Response Action Plan – Stage 4) लागू किया गया, जो प्रदूषण नियंत्रण का सबसे सख्त स्तर माना जाता है। लेकिन जब ज़मीनी हकीकत देखी गई, तो यह साफ हो गया कि नियम सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रह गए हैं।
दिन में दिखती है सख्ती, रात में खुल जाती है पोल
दिन के समय दिल्ली के बॉर्डर इलाकों पर पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी नजर आती है। भारी वाहनों की जांच होती है, कागज़ देखे जाते हैं और कुछ जगहों पर एंट्री भी रोकी जाती है। लेकिन जैसे ही रात होती है, तस्वीर पूरी तरह बदल जाती है।
ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि रात के समय पुलिस चेकिंग बेहद ढीली हो जाती है, जिसका फायदा उठाकर प्रतिबंधित डीज़ल वाहन, ट्रक और निर्माण सामग्री से भरे ट्रॉले बिना रोक-टोक शहर में दाखिल हो जाते हैं।
भारी वाहन और ट्रक: नियमों की खुलेआम अवहेलना
GRAP-4 के तहत दिल्ली में गैर-ज़रूरी भारी वाहनों की एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके बावजूद कई बॉर्डर पॉइंट्स पर देखा गया कि रात में ट्रक ड्राइवर नंबर प्लेट ढककर, लाइट बंद करके या वैकल्पिक रास्तों से शहर में प्रवेश कर रहे हैं।
कई मामलों में यह भी सामने आया कि वाहन चालक पहचान छिपाने के लिए नंबर प्लेट पर कपड़ा या कीचड़ लगा देते हैं, ताकि कैमरों में पहचान न हो सके।
निर्माण कार्य: प्रतिबंध सिर्फ आदेशों तक
GRAP-4 के नियमों के अनुसार सभी निर्माण और तोड़फोड़ से जुड़े कार्यों पर पूरी तरह रोक है। लेकिन हकीकत में कई इलाकों में रात के समय निर्माण गतिविधियां जारी पाई गईं।
ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि:
खुले में सीमेंट और बालू का इस्तेमाल हो रहा है
धूल रोकने के लिए पानी का छिड़काव नहीं किया जा रहा
मशीनें बिना किसी कवर के चलाई जा रही हैं
इन गतिविधियों से उठने वाली धूल सीधे हवा में घुल रही है और AQI को और खराब कर रही है।
बॉर्डर पर सख्ती, शहर के अंदर ढील
दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर दिन में सख्ती दिखती है, लेकिन शहर के अंदर निगरानी बेहद कमजोर नजर आती है। एक बार वाहन शहर में घुस गया, तो उसके बाद कोई प्रभावी चेकिंग नहीं होती।
यह सवाल भी उठता है कि:
क्या प्रशासन सिर्फ दिखावटी कार्रवाई कर रहा है?
क्या GRAP सिर्फ बॉर्डर तक सीमित रह गया है?
पुलिस व्यवस्था पर उठते सवाल
स्थानीय लोगों और ग्राउंड रिपोर्टिंग से यह भी सामने आया कि रात में पुलिस स्टाफ की संख्या कम कर दी जाती है। कई जगहों पर चेक पोस्ट खाली मिले या सिर्फ औपचारिक मौजूदगी रही।
इसका सीधा असर यह होता है कि:
नियम तोड़ने वालों का डर खत्म हो जाता है
प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियां बेधड़क चलती रहती हैं
आम लोगों पर सीधा असर
इस लापरवाही का सबसे बड़ा खामियाजा आम दिल्लीवासी भुगत रहे हैं। बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए हालात बेहद खतरनाक हो चुके हैं।
लोगों की शिकायत है कि:
सुबह उठते ही आंखों में जलन होती है
गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई है
मास्क के बिना बाहर निकलना मुश्किल हो गया है
सवाल जो जवाब मांगते हैं
GRAP-4 जैसे सख्त नियम लागू होने के बावजूद अगर:
रात में प्रतिबंध टूट रहे हैं
निर्माण कार्य जारी हैं
भारी वाहन धड़ल्ले से चल रहे हैं
तो फिर इन नियमों का क्या मतलब रह जाता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक 24 घंटे सख्त निगरानी और ईमानदार अमल नहीं होगा, तब तक दिल्ली की हवा साफ होने की उम्मीद करना बेकार है।
समाधान क्या हो सकता है?
प्रदूषण विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों के अनुसार:
रात में भी पुलिस और प्रशासन की पूरी तैनाती हो
CCTV और ANPR कैमरों की लाइव मॉनिटरिंग हो
नियम तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना और सख्त कार्रवाई हो
निर्माण साइट्स की अचानक जांच की जाए
दिल्ली में प्रदूषण कोई नई समस्या नहीं है, लेकिन नियमों की अनदेखी इसे और गंभीर बना रही है। GRAP-4 जैसे कड़े नियम तभी कारगर होंगे, जब वे सिर्फ आदेशों तक नहीं, बल्कि जमीन पर भी ईमानदारी से लागू किए जाएं।
वरना दिन में दिखने वाली सख्ती और रात में फैलता ‘धुआं’ यूं ही दिल्ली की सांसें छीनता रहेगा।
Delhi is currently facing a severe air pollution crisis despite the implementation of GRAP-4 restrictions. Ground reality reveals major loopholes in Delhi pollution control measures, especially during nighttime. Illegal entry of heavy vehicles, ongoing construction activities, and weak enforcement are worsening Delhi AQI levels. Strong monitoring, strict enforcement of GRAP-4 rules, and round-the-clock vigilance are crucial to improve Delhi air quality and control rising pollution levels.



















