AIN NEWS 1: बिहार के छपरा जिले से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां ठंड से बचने के लिए बंद कमरे में अंगीठी जलाकर सोना एक पूरे परिवार के लिए काल बन गया। इस दर्दनाक हादसे में तीन नाबालिग बच्चों और एक बुजुर्ग महिला की दम घुटने से मौत हो गई, जबकि चार अन्य सदस्य गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। यह हादसा भगवान बाजार थाना क्षेत्र का है और पूरे इलाके में शोक की लहर फैल गई है।
❄️ ठंड से राहत की कोशिश बनी मौत की वजह
सर्दी के बढ़ते प्रकोप के कारण परिवार ने रात में कमरे के अंदर अंगीठी जलाई थी। ठंड से बचने की यह सामान्य-सी कोशिश उन्हें यह अंदाजा नहीं दे सकी कि बंद कमरे में जलती अंगीठी जानलेवा साबित हो सकती है। अंगीठी से निकलने वाली जहरीली गैस (कार्बन मोनोऑक्साइड) धीरे-धीरे पूरे कमरे में फैल गई और सोते हुए लोगों को इसका अहसास तक नहीं हुआ।
😔 सुबह नहीं खुलीं मासूम आंखें
बताया जा रहा है कि जब सुबह देर तक कमरे का दरवाजा नहीं खुला तो पड़ोसियों को शक हुआ। कई बार आवाज देने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद दरवाजा तोड़ा गया, तो अंदर का दृश्य देखकर हर कोई सन्न रह गया। कमरे में मौजूद लोग बेहोशी की हालत में पड़े थे। तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने तीन बच्चों और एक बुजुर्ग महिला को मृत घोषित कर दिया।
🏥 चार की हालत अब भी नाजुक
हादसे में गंभीर रूप से प्रभावित चार अन्य लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक, सभी को जहरीली गैस का असर हुआ है और उनकी हालत फिलहाल नाजुक बनी हुई है। उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है और लगातार निगरानी की जा रही है।
👮♂️ पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही भगवान बाजार थाना पुलिस मौके पर पहुंची। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक जांच में साफ हुआ है कि मौत का कारण दम घुटना यानी कार्बन मोनोऑक्साइड गैस है।
प्रशासन की ओर से परिवार को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया गया है। स्थानीय अधिकारी भी अस्पताल पहुंचे और घायलों के इलाज की व्यवस्था का जायजा लिया।
⚠️ अंगीठी से निकलने वाली गैस कितनी खतरनाक?
अंगीठी या कोयले से जलने वाले किसी भी साधन से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है। यह गैस रंगहीन और गंधहीन होती है, इसलिए इसका पता नहीं चलता। बंद कमरे में यह गैस ऑक्सीजन की जगह ले लेती है, जिससे इंसान को नींद में ही दम घुटने लगता है।
डॉक्टरों के अनुसार, कार्बन मोनोऑक्साइड का असर कुछ ही मिनटों में शुरू हो सकता है और अगर समय पर हवा न मिले तो जान भी जा सकती है।
🕯️ एक ही रात में उजड़ गया पूरा परिवार
इस हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। जिन बच्चों की हंसी से घर गुलजार रहता था, वही बच्चे एक ही रात में दुनिया छोड़ गए। पड़ोसी और रिश्तेदार सदमे में हैं। किसी को यकीन नहीं हो रहा कि ठंड से बचने का एक छोटा-सा उपाय इतना बड़ा हादसा बन जाएगा।
🛑 सर्दियों में सावधानी क्यों जरूरी
हर साल सर्दियों में ऐसे हादसे सामने आते हैं, लेकिन लोग अक्सर इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि:
बंद कमरे में कभी भी अंगीठी या कोयला न जलाएं
अगर जलाना जरूरी हो तो कमरे में हवा आने-जाने का पूरा इंतजाम हो
सोते समय आग या अंगीठी को पूरी तरह बुझा दें
बच्चों और बुजुर्गों के मामले में अतिरिक्त सावधानी बरतें
📢 प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी
इस तरह की घटनाओं से सबक लेना बेहद जरूरी है। प्रशासन के साथ-साथ समाज को भी जागरूक होने की जरूरत है। गांव और शहरों में लोगों को कार्बन मोनोऑक्साइड के खतरे के बारे में जानकारी देना जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों को रोका जा सके।
🙏 एक सीख, कई जिंदगियों के लिए
छपरा की यह घटना सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। थोड़ी-सी लापरवाही कई जिंदगियों को खत्म कर सकती है। जरूरत है कि हम सर्दी से बचाव के सुरक्षित तरीकों को अपनाएं और दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करें।
The Chapra angithi gas tragedy in Bihar highlights the deadly danger of carbon monoxide poisoning caused by burning angithi in closed rooms during winter. In this tragic incident, four people including three children lost their lives due to suffocation, while others remain hospitalized. Such winter fire accidents in Bihar emphasize the urgent need for public awareness and safety precautions to prevent angithi-related deaths.



















