AIN NEWS 1 | उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार का हाल ही में दिया गया बयान इन दिनों सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने 1 अप्रैल को नोएडा में एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश में उभर रहे नए तरह के माफिया तंत्र को लेकर गहरी चिंता जताई। उनका कहना है कि अब राज्य में परंपरागत माफिया समाप्त हो चुके हैं, लेकिन एक नई किस्म का माफिया सामने आ गया है जो लोकतंत्र के मूल स्तंभों से जुड़ा हुआ है और पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
क्या बोले DGP प्रशांत कुमार?
नोएडा पुलिस के अधिकारियों को संबोधित करते हुए DGP प्रशांत कुमार ने कहा, “अब उत्तर प्रदेश में कोई बड़ा माफिया नहीं बचा है। पूरा प्रदेश दस्यु मुक्त और माफिया मुक्त हो चुका है। लेकिन अब एक नए तरीके के माफिया सामने आ गए हैं। ये लोग उच्च पदों पर होते हैं और गठजोड़ बनाकर पुलिस पर दबाव डालते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है क्योंकि ये लोग लोकतंत्र के उन स्तंभों से जुड़े हैं, जिन्हें जनता की सेवा के लिए काम करना चाहिए। लेकिन इसके उलट, ये लोग एक नेक्सस बनाकर पुलिस की स्वतंत्रता और कार्यप्रणाली में दखल देने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या है ‘लोकतांत्रिक माफिया’ का मतलब?
DGP का बयान सीधे तौर पर किसी एक व्यक्ति या संगठन की ओर इशारा नहीं करता, लेकिन उनका यह कहना कि ये लोग लोकतंत्र के मूल स्तंभों से जुड़े हैं, सवाल खड़े करता है। लोकतंत्र के चार प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं—विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि DGP का इशारा किसकी ओर है?
क्या ये लोग राजनीतिक पदों पर हैं? क्या ये अफसरशाही या मीडिया से जुड़े लोग हैं जो पुलिस के काम में हस्तक्षेप कर रहे हैं? यह अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि यह बयान प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर चुका है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया
DGP ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस प्रकार के गठजोड़ को लेकर पहले से ही गंभीर हैं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। प्रशांत कुमार ने कहा, “हर महानगर में यह देखा गया है कि ऐसे गठजोड़ बनने लगे हैं। लेकिन सरकार ने पहले भी कार्रवाई की है और आगे भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
किसकी ओर है इशारा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि DGP प्रशांत कुमार का इशारा आखिर किस ओर है? कौन हैं ये लोग जो अच्छी पोजिशन में हैं और लोकतंत्र का हिस्सा होकर भी सिस्टम के खिलाफ काम कर रहे हैं?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक बड़ी कार्रवाई की भूमिका भी हो सकता है। आने वाले दिनों में राज्य सरकार ऐसे लोगों की सूची सार्वजनिक कर सकती है, जो इस प्रकार के नेक्सस का हिस्सा हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार माफियावाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू से ही सख्त रुख अपनाए हुए है। लेकिन अब जब माफिया नए रूप में सामने आ रहे हैं—लोकतंत्र की चादर ओढ़कर—तो यह और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। DGP प्रशांत कुमार का यह बयान न सिर्फ एक चेतावनी है बल्कि यह बताता है कि राज्य की पुलिस और सरकार इस नए खतरे से निपटने को तैयार है।
DGP Prashant Kumar’s recent statement about a new democratic mafia nexus in Uttar Pradesh has sparked widespread debate. According to the DGP, this new mafia is not made up of traditional criminals but consists of individuals holding high positions in democratic institutions. These people allegedly create pressure on the police and law enforcement through influence and political networks. As CM Yogi Adityanath pushes for a crackdown, this development reflects a significant shift in the nature of law and order challenges in UP.




















Jay Baba bhole ki. Vaise to sar prashasan ke karya per Mera prasann chinh Dena uchit nahin Hai. Magar fir bhi. Main apni do panktiyan aap tak. Rakhna chahta hun
Kathorta aur Insan ke vyakti Ko Tod deti Hai
Aam Janata per. Kanuni dabav bhi. Utna hi jaruri hai. Ki Samaj patiency ka shikar na bane
Station si dabav ke mahsus na Karen
Are meri prashasan se anurodh hai ki Kanoon ke andar jo bhi protocol Ho. Aam aadami ke liye. Aam aadami ke jivan ke liye ek acche Aadhar ka rasta chunkar hi banaen
Jay Baba Mahakal