AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में अब नक्शा पास कराने में लगने वाले समय में काफ़ी कमी आ जाएगी। इस पूरे प्रकरण को ऑनलाइन कर दिया गया है जिससे नक्शा पास कराना जल्द ही काफ़ी सरल हो जाएगा। सिर्फ वहां का ऊंचाई, सेटबैक और लैंडयूज आपका सही है तो छोटे भूखंडों का नक्शा आसानी से पास कर दिया जाएगा। इसके लिए अभी सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव की तैयारी भी चल रही है। इसी दौरान ही बिल्डिंग बायलॉज से भी कई गैरजरूरी क्लॉज को हटाया जा रहा है। अभी तक ऑनलाइन नक्शा पास कराने के लिए एक आवेदन होता है तो स्क्रूटनी में बायलॉज की कई सारे शर्तों पर आपत्तियां लगा दी जाती हैं। मात्र एक सप्ताह में पास होने वाले नक्शे में फिर एक महीने से ज्यादा का वक्त भी लग जाता है। जान ले 300 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों के नक्शे को दो हिस्सों में ही पास कराने का प्लान है।गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) में भी अभी छोटे भूखंडों के नक्शों को ऑनलाइन ही पास करने का नियम है। लेकिन, सॉफ्टवेयर में बिल्डिंग बायलॉज की शर्तों के आधार पर नक्शों की स्क्रूटनी भी करता है। ऐसे में कई सारी आपत्तियां लग जाती हैं और आवेदक इधर उधर भटकता रहता है। अब प्लान बना है कि छोटे नक्शों को पास करने के लिए आपकों सिर्फ 3 बातों का ध्यान रखना होगा। अगर आपका ऊंचाई, सेटबैक और लैंडयूज ठीक है तो आपका नक्शा पास कर दिया जाएगा। किसी भी बिल्डिंग के चारों ओर छोड़ी गई जगह को ही सेटबैक कहा जाता है। छोटे भूखंड के नक्शों में ही सॉफ्टवेयर बिल्डिंग बायलॉज को नहीं देखेगा। जीडीए के इस प्रस्ताव को कैबिनेट से भी अप्रूवल मिलने के बाद से ही लागू किया जाएगा।

जान ले दो हिस्से में होगा अब पोर्टल पर आवेदन

इस पूरे प्रकरण में अधिकारी बताते हैं कि बड़े नक्शे यानी 300 वर्ग मीटर से अधिक बड़े भूखंड के नक्शे को पास करवाने में अभी भी कई तरह की औपचारिकता करनी पड़ती है। इसलिए अब पोर्टल में दो हिस्से में आपका आवेदन करने की तैयारी की जा रही है। जैसे किसी ने बड़े नक्शे का आवेदन किया तो पहले फेज में उसे भी सभी तरह की औपचारिकता को पूरा करना ही होगा। यदि किसी समिति में या बोर्ड में ले जाकर फैसला करना है तो उसे भी पूरा किया जाएगा। जब सभी औपचारिकताएं पूरी हो जाएंगी तो दूसरे फेज में इसका आवेदन किया जाएगा। फिर अधिकतम 15 दिन के भीतर ही यह नक्शा पास हो जाएगा।

जान ले कुछ नए बदलाव भी हुए हैं बायलॉज में

बताया तो जा रहा है कि बिल्डिंग बायलॉज में भी कुछ बदलाव किया जाएगा। अभी बायलॉज में कई सारी गैरजरूरी चीजें हैं। उन्हें बदला भी जाएगा। बहुत से नए बदलाव तो हो चुके हैं। उन सभी बदलावों को भी इसमें इसमें शामिल किया जाएगा। जैसे एलिवेटेड और मेट्रो सेस। इसके साथ ही रैपिड एक्स कॉरिडोर के टीओडी जोन के मामले को भी नए बिल्डिंग बायलॉज में शामिल किए जाने की पूरी तैयारी चल रही है।

इसमें 641 नक्शा आवेदन भी अभी लंबित

जीडीए के सभी आंकड़ों को देखा जाए तो पिछले वित्तीय वर्ष में ही ग्रुप हाउसिंग को छोड़कर 1798 नक्शे पास कराने के आवेदन आए थे। इसमें से कुल 47 नक्शों को निरस्त कर दिया गया। 641 नक्शे किसी न किसी कारण से अभी लंबित चल रहे हैं। अआवासीय के कुल 400 नक्शों के आवेदन आए थे। इसमें 99 को निरस्त किया गया और 223 आवेदन अभी लंबित चल रहे हैं। ग्रुप हाउसिंग के नक्शे की बात करें तो 46 नक्शे जमा हुए। इसमें से 12 को निरस्त कर दिया गया, जबकि कुल 29 आवेदन लंबित चल रहे हैं।

आखिर बदलाव की क्यों पड़ी जरूरत

यह करीब तीन साल पहले ऑनलाइन नक्शा पास किए जाने की व्यवस्था यहां जीडीए में शुरू की गई थी। सॉफ्टवेयर में कुछ कमी होने की वजह से पब्लिक को अक्सर परेशानी का सामना करना ही पड़ रहा है। अभी तक दो बार सॉफ्टवेयर में बदलाव भी किया जा चुका है। फिर भी बहुत अधिक राहत अभी नहीं मिल सकी। इसके चलते शासन स्तर पर उच्च स्तरीय कमिटी का भी गठन किया गया था। कमिटी ने इस सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव भी किए जाने का प्रस्ताव दिया है। उस प्रस्ताव के क्रम में ही यह बदलाव किए जाने की तैयारी चल रही है।

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