AIN NEWS 1: जैसा कि आप सभी जानते है साल 2001 की ही बात है. दिल्ली में एक ऐसी अफ़वाह फैली के ‘काला बंदर’ नाम से ही लोगो में ऐसा डर का माहौल बनाया कि हर तरफ इसका पूरा शोर मच गया. कई लोग कहते भी दिखे के काला बंदर छत पर उन्हे दिखा, काला बंदर देर रात इस गली से निकला, काले बंदर ने हमारे पड़ोसी के बच्चे को पंजा मार दिया. लेकिन उसका कोई भी प्रमाण शायद ही किसी को उस समय से अब तक देखने को मिला हो. यानी ये एक कोरी अफवाह के नाम पर ही कई महीनों इसका आतंक भी बना रहा.जैसे वक्त बदला तो अफवाहों का बाज़ार सोशल मीडिया के जरिए ही फैलाया जाने लगा. अब तक तो सोशल मीडिया पर कोई भी ऐसी पॉलिसी नहीं है जो किसी के लिखने या बोलने भर से डायरेक्ट फिल्टरेशन कर सके. आज कल ऐसी ही एक अफवाह फिर से बीते शुक्रवार यानी 25 अगस्त से ही फैलाई जा रही थी. फेसबुक पर अगर आप भी सर्च करेंगे ‘नया फेसबुक नियम’ तो आपको भी ऐसे ही सैकड़ों ऐसे मैसेज मिल जाएंगे, जिनमें लोगों ने अपने काफ़ी ज़रूरी काम छोड़कर इस मैसेज को कॉपी पेस्ट करने की जल्दी लगी हुई है.जी हां, इस मैसेज में भी बताया जा रहा था कि 26 अगस्त से ही एक नया नियम लागू होने जा रहा है. इसके बाद से अब हमारे फेसबुक डेटा (फोटो, वीडियो, नाम, मोबाइल नंबर) का इस्तेमाल अपने ही बिजनेस के लिए करने वाला है. बस जैसे ही लोगों को इस बारे में पता चला, सबने आनन-फानन में बिना किसी जांच पड़ताल के ही इस मैसेज को शेयर करना शुरू कर दिया.
सबसे पहले आप वो वायरल पोस्ट ही देखिए, जो लोगों ने अपनी सोशल मीडिया पर फैला दिया.
इस पोस्ट में लिखा था,”कल से नया फेसबुक नियम (नया नाम मेटा) शुरू हो रहा है, जहां वे आपकी तस्वीरों का उपयोग कर सकते हैं. मत भूलो कि अंतिम तिथि आज है!!! मैं फेसबुक या फेसबुक से जुड़ी किसी भी इकाई को अपने अतीत और भविष्य के चित्रों, सूचनाओं, संदेशों या प्रकाशनों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देता
इस बयान के साथ, मैं फेसबुक को सूचित करता हूं कि इस प्रोफ़ाइल और/या इसकी सामग्री के आधार पर मेरे खिलाफ खुलासा, प्रतिलिपि, वितरण या कोई अन्य कार्रवाई करना सख्त वर्जित है, निजता का उल्लंघन करने पर कानून द्वारा दंडित किया जा सकता है.यदि आप चाहें तो आप इस संस्करण को कॉपी और पेस्ट कर सकते हैं. यदि आप कम से कम एक बार कोई बयान प्रकाशित नहीं करते हैं तो यह चुपचाप आपकी तस्वीरों के उपयोग की अनुमति देगा, साथ ही आपकी प्रोफ़ाइल और स्थिति अपडेट में मौजूद जानकारी भी.
साझा ना करें. कॉपी और पेस्ट.
आगे बढ़ने का तरीका यहां बताया गया है:
इस संदेश में कहीं भी अपनी उंगली रखें और “कॉपी” दिखाई देगा. “कॉपी करें” पर क्लिक करें. फिर अपने पेज पर जाएं, एक नई पोस्ट बनाएं और रिक्त फ़ील्ड में कहीं भी अपनी उंगली रखें. ‘पेस्ट’ पॉप अप होगा और पेस्ट पर क्लिक करें.
यह सिस्टम को बायपास कर देगा….
जो कुछ नहीं करता, वह जाहिरा तौर पर सहमत होता है.”बस इतने गंभीर तरीके से फैलाई गई ये अफ़वाह लोगों ने सच मानी और धड़ाधड़ कर सेवा की तरह फैला दी. इससे लोगों का भला तो नहीं लेकिन हां बेमतलब का सिरदर्द ज़रूर बढ़ गया.
आपकों यहां बता दें यह पोस्ट पूरी तरह से एक कोरी अफवाह है. तमाम मीडिया रिपोर्ट्स ही ये दावा कर रही हैं कि साल 2012 में पहली बार ऐसे मैसेज वायरल हुए ज़रूर थे. लेकीन इसका खंडन खुद फेसबुक ने तब ही किया था. इसके बाद भी वक्त बे-वक्त ये मैसेज वायरल होता रहा है. कोरोना काल में या किसी लंबी छुट्टी के वक्त अफवाह वीर इस तरह के मैसेज फॉरवर्ड शेयर करने में जुटते रहे हैं.