केंद्रीय मंत्री ने किया एमिटी विश्वविद्यालय में जी 20 के तत्वाधान में प्रतिष्ठित एस 20 सम्मेलन का आयोजन!

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केंद्रीय मंत्री ने किया एमिटी विश्वविद्यालय में जी 20 के तत्वाधान में प्रतिष्ठित एस 20 सम्मेलन का आयोजन!

केन्द्रीय मंत्री डा जितेंद्र सिंह ने किया एमिटी विश्वविद्यालय में जी 20 के तत्वाधान में प्रतिष्ठित एस 20 सम्मेलन का आयोजन एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के सहयोग से 4 व 5 सितंबर 2023 को ‘‘नवाचार व सतत विकास के लिए विघटनकारी विज्ञान’’ विष य पर प्रतिष्ठित विज्ञान 20 (एस 20) सम्मेलन का आयोजन किया गया, इस सम्मेलन का शुभारंभ भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा जितेंद्र सिंह, गौतमबुदध नगर के सांसद डा महेश शर्मा, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव एवं एस 20 के सह अध्यक्ष डा आशुतोष शर्मा, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, एमिटी विश्वविद्यालय के चांसलर डा अतुल चौहान और एमिटी विद्यालय समूह की चेयरपरसन डा अमिता चौहान द्वारा किया गया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डा जी सतीश रेड्डी, एमिटी हयूमिनिटी फांउडेशन की चेयरपरसन श्रीमती पूजा चौहान, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, एमिटी गु्रप वाइस चांसलर डा गुरिंदर सिंह भी मौजूद थे।

विदित हो कि एस 20, जी 20 के अंर्तगत सहभागिता समूहों में से एक है जिसका उददेश्य विज्ञान और समाजिक विकास को बढ़ावा देने के माध्यम से जी 20 के एजेंडे को पूरक बनाना है। एस 20 सम्मेलन के प्राथमिक उददेश्य एस 20 के अंर्तगत हुए परिचर्चा सत्र के परिणामों का प्रसार करना है जो देश के विभिन्न हिस्सों में निम्नलिखित तीन कार्यक्षेत्रों प्रथम हरित भविष्य के लिए स्वच्छ उर्जा, द्वितीय सार्वभौमिक समग्र स्वास्थ्य और तृतीय समाज व संस्कृति के लिए विज्ञान के तहत आयोजित किये गये है।

सम्मेलन का शुभारंभ भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा जितेंद्र सिंह ने कहा कि एमिटी ने दुनिया भर में शिक्षा के क्षेत्र में एक मानक बन गया है। भारत को जी 20 की अध्यक्षता मिलना पूरे देश के लिए बेहद गर्व की बात है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है। 2014 में देश में 350 स्टार्ट अप थे लेकिन आज हमारे पास 1 लाख 25 हजार से अधिक स्टार्टअप है और 130 यूनिकार्न है। स्टार्टअप ने देश में नवाचार के परिदृश्य को बदल दिया है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स भी 81 से बढ़कर 40 पर पहुंच गया है जो विज्ञान और तकनीक क्षेत्र में भारत की मजबूत स्थिति का एक और उदाहरण है। 2014 में देश में सिर्फ 4 स्पेस स्टार्ट अप थे जबकि 2023 में 150 से ज्यादा स्पेस स्टार्ट अप है। हमारी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8 बिलियन डॉलर है और वर्ष 2040 तक 40 बिलियन डॉलर पहुंचन का अनुमान है। आज भारत विश्व के नेतृत्व के लिए तैयार है और चंद्रयान हमारे सामूहिक कौशल का प्रमाण है। पहले भारत में नीति निर्माताओं से सक्षम माहौल की कमी है जिसे अब प्रधानमंत्री द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। आज का सम्मेलन बेहद प्रासंगिक है, भारत गैस उत्सर्जन पर काम कर रहा है और न केवल अपने लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने में अग्रणी बन रहा है। डा सिहं ने कहा कि अब युवाओं को देश का नेतृत्व करना होगा और देश को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में क्षमता निर्माध का मशाल वाहक बनना होगा। एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने कहा कि विज्ञान, आर्थिक विस्तार और मानव प्रगति के पीछे की प्रेरक शक्ति है और प्रतिष्ठित एस 20 सम्मेलन इस अभियान में प्रमुख भूमिका निभायेगा। डा चौहान ने कहा कि ईश्वर पर दृढ़ विश्वास हो तो उस व्यक्ति को दुनिया में अंसभव को हासलि करने से नही रोक सकती। विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव एवं एस 20 के सह अध्यक्ष डा आशुतोष शर्मा ने कहा कि व्यापक विषय अभिनव और सतत विकास के लिए विद्यटनकारी विज्ञान, तीन मुख्य पहलुओं पर जोर देता है, जुगाड़ जिसका अर्थ नवाचार, व्यापार जिसका अर्थ व्यवसाय, और पंगा जिसका अर्थ व्यवधान है। एक टिकाउ विश्व बनाने के लिए स्वच्छ उर्जा को सभी के लिए उपलब्ध करनान होगा और विज्ञान को समाज से जोड़ना बेहद महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वैज्ञानिकों नवाचारों का लाभ समाज को हो। एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने सम्मेलन के महत्व को बताते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि आज देश हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में जी 20 की अध्यक्षता की मेजबानी कर रहा है। एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान लांच किये जा रहे 75 उपग्रहों के हिस्से के रूप में क्यूब सेट बनाने जा रहा है। इस उपग्रह को एमिटी द्वारा लांच किया जायेगा और उपग्रह का निर्माण पहले ही शुरू हो चुका है जो एक ‘पेलो’ ले जाएगा जो वायुमंडल स्थितियों को मापेगा। एमिटी इसे इसरों के माध्यम से पीएसएलवी से भेजेगी। एमिटी भारत का पहला जैविक ‘‘पेलो’’ भेज रही है जिसमें पौघों और जीवाणुओं के कैलस डाले जायेगें जिन्हे पीएसएलवी द्वारा अंतरिक्ष में छोड़ा जायेगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या अंतरिक्ष में जीवन मौजूद रह सकता है और कायम रह सकता है। एमिटी विश्वविद्यालय के चांसलर डा अतुल चौहान ने कहा कि आईएनएसए के सहयोग से इस प्रतिष्ठित सम्मेलन की सह मेजबानी करना एक बड़ा सम्मान है। चंद्रयान 3 की सफल प्रेक्षपण से भारत ने पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की है और यह दिखाया है कि अगर कुछ हासिल करना हो तो आसमान में उसकी सीमा नही है। आज हमें व्यक्तियों समाजों और देशों को मिलकर कार्य करने की जरूरत है। इस दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ एक विशेष विज्ञान प्रश्नोत्तरी और वाद विवाद प्रतियोगिता भी आयोजित की जायेगी जिसमें दिल्ली एनसीआर के विभिन्न स्कूलों के 200 से अधिक छात्र भाग लिया। इसके उपरांत ‘‘ स्टार्टअप के माध्यम से नवाचार और स्थिरता’’ विषय पर एक सत्र के साथ शुरू किया गया जिसकी अध्यक्षता, एस 20 के सहअध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष प्रो आशुतोष शर्मा ने की जिसमें स्टार्टअप की सफलता की कहानियां साझा की गई जो अन्य स्टार्ट अप भागीदारों को सफल होने की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। इस सत्र के प्रतिष्ठत वक्ताओं में आईआईटी रोपड के सेंटर फॉर बायोमेडिकल इंजिनियरिंग के सहायक प्रोफेसर डॉ अथर्व पौंडरिक, बॉटलैब डायनमिक की सहसंस्थापक डा सरिता अहलावत, ईस्ट ओक्यॉन बायो प्राइवेट लिमिटेड के सहसंस्थापक डा दिनेश कुंडु शामिल थे। उद्घाटन के बाद, रक्षा मंत्री के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. सतीश रेड्डी की अध्यक्षता में‘‘ हरित भविष्य के लिए स्वच्छ ऊर्जा’’ पर एक पूर्ण सत्र सम्मेलन के दौरान आयोजित किया जायेगा, जिसमें एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) टी.जी. सीताराम, आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रोफेसर शांतनु चौधरी डीआरडीओ के डीएस और महानिदेशक (नौसेना प्रणाली और सामग्री) डॉ. वाई. श्रीनिवास राव, आईआईटी-रुड़की के मैकेनिकल और औद्योगिक इंजीनियरिंग विभाग, के प्रोफेसर और प्रमुख प्रोफेसर अंदलीब तारिक ने हिस्सा लिया। यह सत्र ऊर्जा उपलब्धता के असमान वितरण पर केंद्रित था और इसका उद्देश्य आम साझा स्थान, बौद्धिक संपदा के मामले में खुलेपन को प्रोत्साहित करना है।

यूनिवर्सल होलिस्टिक हेल्थ पर सत्र की शुरुआत एम्स दिल्ली के पूर्व डीन और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के वीपी (इंटरनेशनल) डॉ. नरिंदर के. मेहरा के सत्र वार्ता से होगी। जिसम आयुष मंत्रालय के सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक विज्ञान के डीजी, प्रो. रबीनारायण आचार्य, मेडिकल सर्विसेज (नौसेना) की डीजी सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के चेयरमैन डा भूषण पटवर्धन शामिल होगें। यह सत्र बेहतर कृषि पद्धतियों, पौष्टिक भोजन तक अधिक पहुंच, स्वस्थ खाने की आदतों और पारिस्थितिक रूप से जागरूक और टिकाऊ खाद्य उत्पादों के लिए अधिक अवसर पर काम करने पर केंद्रित होगा। दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान सार्वभौमिक समग्र स्वास्थ्य, समाज व संस्कृति के लिए विज्ञान और विज्ञान व समाज में मीडिया की भूमिका पर भी सत्रों का आयोजन किया जायेगा।

एमिटी में अनुसंधान व नवाचार –

एमिटी में, अनुसंधान और नवाचार ने तेजी से प्रगति की है जो कि चल रही परियोजनाओं से स्पष्ट है। जिसमें 200 करोड़ रुपये के 300 प्रोजेक्टो का संचालन किया जा रहा है जिसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एस एंड टी संगठनों द्वारा वित्त पोषित किया गया है। हाल के वर्षों में दायर और दिए गए पेटेंट की कुल संख्या में भी वृद्धि हुई है और इस संबंध में वर्तमान स्थिति 1943 दायर की गई है और 219 की पुष्टि की गई है। भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के तहत भारतीय बौद्धिक संपदा कार्यालय, द्वारा एमिटी यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा पुरस्कार – 2020 से सम्मानित किया गया है जिससे एमिटी विश्वविद्यालय को ‘‘पेटेंट और व्यावसायीकरण के लिए शीर्ष भारतीय शैक्षणिक संस्थान’’ के रूप में मान्यता मिली है। एमिटी अब इस वैज्ञानिक ज्ञान को उत्पादों, प्रौद्योगिकियों या प्रक्रियाओं में परिवर्तित करने के लिए अनुवादात्मक अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित कर रही है और हाल के वर्षों में 30 से अधिक प्रौद्योगिकियों को उद्योगों में स्थानांतरित किया गया है।

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