नोएडा : अथॉरिटी के मुआवजा घोटाले में उसके ही 4 अफसरों समेत कुल 79 लोगो के खिलाफ एफआईआर, जाने डिटेल!

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AIN NEWS 1 : नोएडा प्राधिकरण में हुए लगभग सौ करोड़ रुपये के मुआवज़ा घोटाले से जुड़ी हुई यह बड़ी ख़बर है। अब सुप्रीम कोर्ट की सख़्ती के बाद जहां एक ओर इस पूरे मामले की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने जांच शुरू कर दी है तो इसके उलट दूसरी तरफ प्राधिकरण ने भी इस पूरे घोटाले का लाभ लेने वालों पर अपना शिकंजा पूरा कसना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को ही मुख्य कार्यपालक अधिकारी के आदेश पर अब विधि विभाग ने अपने ही 4 अफ़सरों और कुल 75 लोगों के ख़िलाफ़ मे एफआईआर दर्ज करवाई है। इन सब पर ही प्राधिकरण के साथ मे धोखाधड़ी करने, जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र रचने के गम्भीर आरोप लगाए गए हैं। प्राधिकरण की ओर से दर्ज करवाई गई इस एफआईआर में कुल 75 ग्रामीणों को ग़ैरक़ानूनी ढंग से मुआवज़ा देने वाले इनके चार अफ़सरों को भी नामज़द किया गया। हालांकि, इनमें से एक की तो मौत भी हो चुकी है। दूसरा आरोपी अभी रिटायर हो चुका है। तीसरा आरोपी इस घोटाले में ही सस्पेंड चल रहा है।

जान ले मुआवजा के 11 मामलों में हुआ था 82 करोड़ रुपये का घोटाला

नोएडा प्राधिकरण में गेझा तिलतपाबाद गांव के ही 11 प्रकरणों में 75 किसानों को करीब 82 करोड़ रुपए से अधिक की राशी बतौर मुआवजा बांट दिए गए हैं। ओर क़रीब एक साल पहले मामला उजागर होने पर प्राधिकरण ने इसकी जांच बैठाई और इस मामले में एक एफआईआर दर्ज करवाई थी। अब शुक्रवार को ही अथॉरिटी की तरफ से फेज वन कोतवाली में एक दूसरा नया मामला दर्ज कराया गया है। नोएडा प्राधिकरण के विधि अधिकारी सुशील भाटी की तरफ से यह एफआईआर दर्ज कराई गई है।

जान ले इस नई एफआईआर में है क्या

इस नई एफआईआर में साफ़ कहा गया है कि गेझा तिलपताबाद गांव के काश्तकारों ने प्राधिकरण के सामने कई सारे गलत तथ्य पेश किए थे। प्राधिकरण के ही एलएआर विभाग में कार्यरत कर्मचारियों-अधिकारियों से सांठगांठ की और लगभग 11 प्रकरणों में गलत तरीके से प्रतिकर की राशि को प्राप्त कर ली थी। यह मुआवजा वर्ष 2015-16 में ही बांटा गया था। इस पूरे मामले में पुलिस ने धारा आईपीसी की धाराओं 420, 467, 468, 471, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(ए) के तहत मामला दर्ज किया है।

बता दें इन पर एफआईआर दर्ज हुई

इस पूरे मामले में प्राधिकरण की तरफ से दर्ज एफआईआर में विधि विभाग के चार अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने किसानों की ओर से प्रस्तुत किए गए तथ्यों और दस्तावेजों की उस समय जांच की थी। इनकी सिफारिश के आधार पर ही 11 फाइलों के जरिए कुल 75 लोगों को यह मुआवजा दिया गया था। आरोपियों में से एक कनिष्ठ सहायक मदनलाल मीना की अब तक मौत हो चुकी है, जबकि विधि अधिकारी राजेश कुमार भी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। एक अन्य ततकालीन सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर इस मुआवजा गड़बड़ी से जुड़े मुख्य मामले में ही करीब ढाई साल से निलंबित भी चल रहा है।

कुल 11 मामलों में लगभग 82 करोड़ का गोलमाल

प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि इन सभी 11 प्रकरणों में इन किसानों ने प्राधिकरण को हाईकोर्ट दायर एक अपील संख्या का हवाला दिया गया है। गलत तथ्य प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बताया कि उनका हाइकोर्ट में मामला लंबित है, जिसमें 297 रुपए प्रति वर्ग गज से मुआवजे की देने मांग की गई है। जबकि मुआवजा राशि से जुड़ी याचिका का पूर्व में अदालत निस्तारण भी कर चुकी थी। इन आरोपियों को इसमें राहत नहीं मिली थी। मुआवजा लेते वक्त किसी न्यायालय में लंबित नहीं थी।

इस एफआईआर में इन 75 किसानों के नाम

1. दिलीप सिंह के बेटे ओमदेव सिंह, धर्म सिंह, बिजेन्द्र कुमार और राजकुमार पर आरोप है कि प्राधिकरण के अधिकारियों से सांठगांठ करके 19,40,26,437 रुपए का मुआवजा इन्होंने फर्जी ढंग से हासिल किया है।

2. सुकन्त पर आरोप है कि उन्होंने 9,17,12,426 रुपए का मुआवजा इन्होंने फर्जी ढंग प्राप्त किया है।

3. गोपी, इंद्राज, सिंगराज पुत्रगण खचेडू, किशनवती पत्नी मंगू और सुनील, अनिल, संजय, बिट्टू पुत्रगण मंगू ने 1,53,50,397 रुपए का मुआवजा इन्होंने प्राप्त किया है। आरोप है कि इन लोगों ने प्राधिकरण कार्यालय में अपने फ़र्ज़ी दस्तावेज़ दाख़िल किए थे।

4. हरीश चन्द्र व चन्द्रपाल पुत्र विद्यावती ने जाली कागजात का उपयोग करके 3,80,66,600 रुपए का इन्होंने मुआवजा प्राप्त किया था।

5. महेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह और सुमन त्यागी पुत्री सालिगराम त्यागी ने 4,16,39,607 रुपए का मुआवजा इन्होंने भी प्राप्त किया था। इन लोगों पर भी जाली दस्तावेजों का उपयोग करके आर्थिक लाभ लेने का गम्भीर आरोप है।

6. महेंद्र सिंह, रनवीर सिंह पुत्र सोहनलाल, श्रीमती प्रेमवती देवा पत्नी सोहनलाल, बालकशिन, अशोक कुमार, बबली कुमार, देवेंद्र, बंटी पुत्र रामानन्द, श्रीमती अनारो पत्नी रामानन्द ने 33,42,825 रुपए का इन्होंने मुआवजा प्राप्त किया। इन लोगों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका का हवाला दिया, जबकि ऐसी कोई भी याचिका न्यायालय में दायर ही नहीं की गई थी।

7. छिद्रा पुत्र इन्दर ने 1,7,61,110 रुपए का मुआवजा इन्होंने प्राप्त किया था। अन्य लाभार्थियों की तरह इस मामले में भी जाली दस्तावेजों का ही उपयोग किया गया।

8. संजीव त्यागी, राजीव कुमार त्यागी, नवीन त्यागी पुत्र रामे, उर्मिला देवी पत्नी रामे, प्रदीप त्यागी, मनोज त्यागी पुत्र कनक त्यागी, जयवती पत्नी कनक त्यागी, रामोतार और नेकपाल पुत्र डालचन्द ने 96,41,365 रुपए का मुआवजा नोएडा विकास प्राधिकरण से इन्होंने फर्जीवाड़ा करके हासिल किया है।

9. प्रेमवती, अशोक त्यागी, संजय त्यागी, मनोज त्यागी पुत्र रामशरण, दुर्वेश त्यागी, अश्वनी त्यागी व आकाश त्यागी पुत्र विनोद त्यागी, किशनदेई, राजकुमार, सुशील, सुबीश कुमार, राकेश त्यागी, योगेश त्यागी, प्रमोद कुमार त्यागी, नीरज कुमार त्यागी, रजनीश कुमार, शांति देवी, अंशुल त्यागी, नीशू त्यागी, मंजू त्यागी, पिंटू त्यागी, प्रदीप त्यागी ने 31,07,86,836 रुपए का मुआवजा इन्होंने प्राप्त किया। इन सारे लोगों का जाली दस्तावेज़ फाइलों में लगातार प्राधिकरण को धोखा देने का भी आरोप है।

10. ओमवती पत्नी रामरतन, योगेश, उमेश, जितेंद्र व कुलदीप पुत्र रामरतन, सीमा त्यागी ने 8,11,90,568 रुपए का मुआवजा इन्होंने लिया है। इन सारे लोगों पर भी धोखाधड़ी, जालसाजी करने और कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल करने का गम्भीर आरोप है।

11. अशोक कुमार, अनिल कुमार, जयप्रकाश, नीरज, वेदप्रकाश, अजय कुमार पुत्रगण होराम, भगवती पत्नी होराम और रेखा ने 2,38,99,744 रुपए का इन्होंने मुआवजा प्राप्त किया है।

इस पूरे घटनाक्रम में प्राधिकरण के ये अधिकारी शामिल

1. वीरेंद्र सिंह नागर, तत्कालीन सहायक विधि अधिकारी (सस्पेंड हैं)

2. दिनेश कुमार सिंह, तत्कालीन विधि अधिकारी

3. राजेश कुमार, तत्कालीन विधि सलाहकार (रिटायर हो चुके)

4. मदनलाल मीना, कनिष्ठ सहायक (मृत्यु हो चुकी)

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