150 बार रिजेक्ट हुआ आइडिया उसके बाद भी नहीं मानी हार, खेल-खेल में ही खड़ी कर दी 64,000 करोड़ की कंपनी!

जैसा कि आप जानते हो ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’, यह सिर्फ एक कहावत मात्र ही नहीं है, बल्कि लाखों लोगों को प्रेरणा देने वाले बहुत ही ऊर्जावर्धक शब्‍द हैं.

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AIN NEWS 1 नई दिल्‍ली: जैसा कि आप जानते हो ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’, यह सिर्फ एक कहावत मात्र ही नहीं है, बल्कि लाखों लोगों को प्रेरणा देने वाले बहुत ही ऊर्जावर्धक शब्‍द हैं. ऐसी ही एक प्रेरणा से ही हर्ष जैन ने भी कभी हार नहीं मानने का मन मे जज्‍बा पैदा किया और लोगो के बार-बार रिजेक्‍ट किए जाने पर भी उन्होने अपने एक आइडिये पर टिक कर दिखाया. और आखिरकार उनका अटूट भरोसा और लगन संघर्ष से एक ऐसा रास्ता निकलकर आया के सफलता की झड़ी ही लग गई और हर्ष ने ‘खेल-खेल’ में ही क़रीब 64 हजार करोड़ रुपये की एक कंपनी खड़ी कर दी.दरअसल, आज हम बात कर रहे हैं ऑनलाइन बेटिंग ऐप ड्रीम 11 (Dream 11) की. आज इस ऐप के बारे में हमारे देश का बच्‍चा-बच्‍चा जानता है. इस ऐप पर फैंटेसी क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल सहित तमाम खेल को लेकर जमकर सट्टेबाजी की जाती है. लेकिन, आज इस पूरी सफलता के मुकाम पर बैठी यह कंपनी कभी एक पाई को भी मोहताज थी और इसे बनाने वाले हर्ष और भावित सेठ के इस आइडिये को एक-दो बार नहीं बल्के पूरे 150 बार सिरे से ही खारिज किया गया.

जाने कैसे आया यह ड्रीम 11 का सपना

यह बात साल 2008 की बताई गई है, जब आईपीएल की शुरुआत ही हुई थी. हर्ष और भावित ने ड्रीम 11 (Dream 11) के इस आइडिया पर काम करना शुरू किया था. हर्ष एक कंपनी में डिजाइन, टेक, प्रोडक्‍ट और मार्केटिंग का काम देख रहे थे तो भावित वही ऑपरेशन का काम संभाल रहे थे. कंपनी बनने के बाद शुरुआत में इन्हे फंडिंग की काफी दिक्‍कत रही. हर्ष ने खुद ही कहा था कि साल 2012 के बाद उन्‍होंने कंपनी को फंड दिलाने के लिए 2 साल में ही करीब 150 वेंचर कैपिटलिस्‍ट से संपर्क भी किया. सभी ने उनके आइडिया को पूरी तरह से सिरे से ही नकार दिया.

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