दिल्ली से सटे वो 5 गांव, जो पांडवो के लिए श्री कृष्ण ने मांगे थे, कुछ बन चुके हैं शहर तो कुछ आज भी हैं गांव!

जैसा कि आप सभी सभी जानते ही हैं महाभारत का युद्ध कई कारणों से शुरू हुआ था, जिसमें से एक बड़ा कारण जमीन या राज्य के बंटवारे को लेकर भी रहा था।

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AIN NEWS 1: जैसा कि आप सभी सभी जानते ही हैं महाभारत का युद्ध कई कारणों से शुरू हुआ था, जिसमें से एक बड़ा कारण जमीन या राज्य के बंटवारे को लेकर भी रहा था। इससे ऐसा माना जाता है कि महाभारत के इस युद्ध में करीबन 1 लाख से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई थी। और कई दिनों तक चलने वाली लड़ाई हजारों कश्मकश के बाद भी जब कोई हल नहीं निकला तो पांडवों की ओर से उनका शांतिदूत बनकर श्री कृष्ण हस्तिनापुर गए। हस्तिनापुर में जाकर श्री कृष्ण ने पांडवों को कौरवों से पांडवों के लिए केवल पांच गांव ही देने का प्रस्ताव दिया।धृतराष्ट्र भी श्री कृष्ण की इस बात से पूरी तरह सहमत हो गए और पांडवों को 5 गांव देकर उस समय युद्ध को टालने की बात दुर्योधन को समझाने लगे। उन्होंने अपने बेटे को समझाते हुए कहा था कि ये हठ छोड़कर पांडवों से संधि करलो ताकि ये होने वाला विनाश को टाला जा सके। तब दुर्योधन गुस्से में आकर बोले थे कि मैं एक सुई की नोक बराबर भी भूमि उन पांडवों को नहीं दूंगा और अब फैसला केवल युद्ध से ही किया जाएगा। चलिए फिर आज हम आपको बताते हैं आखिर वो कौन कोन से गांव थे जिन्हें पांडवों को कौरवों ने देने से ही मना कर दिया था।

1.इंद्रप्रस्थ

इस इंद्रप्रस्थ को वैसे तो कहीं-कहीं श्रीपत भी कहते हैं, इंद्रप्रस्थ को ही पांडवों ने अपनी राजधानी के रूप में ही आबाद किया था। पांडवों ने एक खांडवप्रस्थ जैसी बेकार पड़ी जगह पर ही इंद्रप्रस्थ शहर बसाया था। मयासुर ने यहां पर भगवान श्री कृष्ण के कहने पर ही महल और किले का निर्माण करवाया था। अभी भी दिल्ली की एक जगह का नाम इंद्रप्रस्थ ही है, जहां पर एक पुराना किला भी है। माना यह जाता है कि पांडवों का इंद्रप्रस्थ भी इसी जगह पर था।

2.बागपत

इसे महाभारत काल में तो व्याघ्रप्रस्थ कहते थे। व्याघ्रप्रस्थ का साफ़ मतलब बाघों के रहने की जगह होता है। यहां पर सैकड़ों साल पहले ही कई सारे बाघ पाए जाते थे। यही वो ख़ास जगह है जिसे मुगलकाल से ही बागपत को सबसे ज्यादा जाना गया। ये उत्तर प्रदेश का ही एक जिला है। बागपत की वो जगह, जहां कौरवों ने लाक्षागृह बनाकर उसमें पांडवों को जिन्दा जलाने की साजिश भी रची थी। इस बागपत जिले की आबादी 50 हजार से भी अधिक है।

3.सोनीपत

सोनीपत को पहले स्वर्णप्रस्थ भी कहते थे, बाद में इसे ‘सोनप्रस्थ’ होकर के सोनीपत कर दिया गया था। स्वर्णपथ का ही अर्थ है सोने का शहर। अभी भी ये हरियाणा का एक जिला है, इसके दूसरे छोटे शहरों में से ही गोहाना, गन्नौर, मुंडलाना, खरखोदा और राई भी आते हैं।

4.पानीपत

पानीपत को ही पांडुप्रस्थ भी कहते थे। भारतीय इतिहास में ये जगह बेहद ही ख़ास मानी जाती थी, क्योंकि बताते हैं कि यहां तीन बड़ी लड़ाइयां लड़ी गई थी। इसी पानीपत के पास मे ही कुरुक्षेत्र है, जहां पर महाभारत की लड़ाई शुरू हुई है। पानीपत राजधानी नयी दिल्ली से क़रीब 90 किमी उत्तर में स्थित है। इसे ‘सिटी ऑफ वीबर’ मतलब ‘बुनकरों का शहर’ भी कहते रहे हैं।

5.तिलपत

तिलपत को पहले तिलप्रस्थ भी कहा जाता था, ये हरियाणा के फरीदाबाद जिले का ही एक कस्बा है, जो यमुना नदी के किनारे पर मौजूद है। इस कस्बे की पूरी आबादी करीबन 40 हजार से भी ज्यादा है। सभी में यहां पर 5 हजार से ज्यादा पक्के मकान भी बने हुए हैं।

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