अमृत सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल लोह पुरुष की 73वीं पुण्यतिथि पर सीकरीखुर्द (मोदीनगर )प्रतिमा स्थल पर मोमबत्तियाँ प्रज्वलित करते हुए नमन् करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
उपस्थिति डाक्टर उपेन्द्र कुमार आर्य,अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्या अम्बुजलता माहेश्वरी,डाक्टर ब्रम्हपाल सिंह आर्य प्रजापति ,किरण,अरुण ऑटो वाले भैया,डाक्टर अनिला सिंह आर्य की रही।
सम्पूर्ण राष्ट्र को एकता का संदेश देकर राष्ट्र के एकीकरण का अभियान चलाने वाले महान व्यक्तित्व के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
हम आपको बताना चाहेंगे कि ये छोटे छोटे बच्चे जब इनको हमने कहा कि आइए आप भी एक मोमबत्ती प्रज्वलित कर श्रद्धांजलि अर्पित कीजिए।तब उनकी जिज्ञासा रही कि आज क्या है और ये मूर्ति किसकी है पूछने पर बताया कि गांधी जी की है शायद ।
उनकी पटेल जी के प्रति अज्ञानता देख हमने उनको संक्षिप्त जानकारी दी।उनको बताया कि हम 1947 से पूर्व गुलाम थे ।15-8-1947 को हमने स्वतंत्रता प्राप्त की ।तब भारत में रियासतें थीं। उस समय एक राष्ट्र है की भावना को लेकर रजवाड़ों ने स्वतंत्र भारत का हिस्सा मानते हुए अपना विलय करने का निर्णय सहर्ष स्वीकार किया परंतु हैदराबाद नवाब ने आना कानी की तो ऐसे में सरदार पटेल जी की सुदृढ़ नीति ने उनको समर्पण करने के लिए बाध्य किया।
सरदार वल्लभभाई पटेल जी को लौहपुरुष उनके सुदृढ़ निर्णय के लिये ही कहा जाता है।
यही कारण रहा क सम्पूर्ण राष्ट्र ने उनके जन्मदिन पर Run For Unity अर्थात एकता की दौड़ से स्मरण किया ।समस्त राष्ट्र से लोह संग्रह करके गुजरात में विशाल प्रतिमा का निर्माण कराया जो आज आकर्षक पर्यटन स्थल बन गया है।
वहीं पर दो नवयुवक खड़े थे ।यद्यपि आग्रह श्रद्धांजलि अर्पित करने का उन्होंने स्वीकार तो नहीं किया अपितु यह बताया कि पहले तो कोई भी इनको नहीं जानता था ।भाजपा की सरकार आई तभी से इनकी जयंती व पुण्यतिथि मनाई जाने लगी ।
निश्चित रूप से हमें अपने उन महापुरुषों व महिलाओं को सदैव श्रद्धा पूर्वक समय-समय पर स्मरण करते हुए नमन् करना चाहिए जिन्होंने इतिहास में स्वयं को सुरक्षित किया अपने महान कर्मों से।