हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही प्रदेश में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। जहां बीजेपी अपनी तैयारी में लगी है, वहीं सबकी नजरें कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच संभावित गठबंधन पर टिकी हुई हैं। हालांकि, सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच सहमति न बनने के कारण गठबंधन की बात अधर में लटक गई है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि उन्हें कम आंकने वाले लोग भविष्य में पछताएंगे।
AAP की रणनीति: सभी 90 सीटों पर लड़ने का दावा
AAP के राष्ट्रीय सचिव संदीप पाठक ने साफ तौर पर कहा है कि पार्टी हरियाणा की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन न होने की स्थिति में भी पूरी ताकत से चुनाव लड़ने की बात कही। पाठक ने चेतावनी दी कि जो लोग AAP को कमजोर मानते हैं, वे बाद में इसका पछतावा करेंगे। यह बयान बताता है कि AAP हरियाणा में अपनी ताकत को लेकर आश्वस्त है और कांग्रेस पर निर्भर नहीं रहना चाहती।
सीट बंटवारे पर अटका मामला
AAP और कांग्रेस के बीच मुख्य विवाद सीट बंटवारे को लेकर है। सूत्रों के मुताबिक, AAP ने 10 सीटों की मांग की है, जबकि कांग्रेस 5 से 7 सीटें देने के लिए तैयार है। कांग्रेस के साथ बातचीत अभी भी जारी है, लेकिन अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। AAP की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा है कि बातचीत जारी है और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की उम्मीद है।
गठबंधन टूटने की अटकलें
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बातचीत टूटने की कगार पर है। AAP ने 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है और पार्टी अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जल्द ही जारी कर सकती है। अगर गठबंधन नहीं होता है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनावी मैदान में कैसा प्रदर्शन करती हैं।
AAP का पिछला प्रदर्शन
हरियाणा में AAP का पिछला चुनावी प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा था। पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उसके उम्मीदवार सुशील गुप्ता भाजपा के नवीन जिंदल से हार गए थे। बावजूद इसके, AAP ने हरियाणा में अपना संगठन मजबूत करने पर काम किया है और पार्टी का दावा है कि इस बार वह बेहतर प्रदर्शन करेगी।
कांग्रेस के लिए जोखिम
अगर कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन नहीं होता है, तो कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। हरियाणा में BJP के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा खड़ा करने के लिए विपक्ष का एकजुट होना जरूरी है। अगर AAP अलग चुनाव लड़ती है, तो विपक्षी वोटों का बंटवारा हो सकता है, जिससे BJP को फायदा हो सकता है।