AIN NEWS 1 | कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए राज्य में सीबीआई को जांच करने की सामान्य सहमति वापस ले ली है। अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को कर्नाटक में किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। यह जानकारी राज्य के कानून और संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने दी।
क्या है फैसला?
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद एचके पाटिल ने बताया कि कर्नाटक सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के तहत दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है। इसका अर्थ है कि अब सीबीआई बिना राज्य सरकार की अनुमति के कर्नाटक में किसी भी आपराधिक मामले की जांच नहीं कर पाएगी।
क्यों लिया गया यह फैसला?
सरकार का कहना है कि सीबीआई या केंद्र सरकार द्वारा जांच के मामलों में संतुलित और विवेकपूर्ण तरीके से काम नहीं किया जा रहा है। इसलिए, अब राज्य सरकार हर मामले की समीक्षा करेगी और उसके बाद ही सीबीआई को जांच की अनुमति दी जाएगी।
सीबीआई पर क्या हैं आरोप?
एचके पाटिल ने कहा कि सीबीआई ने कई मामलों में सही तरीके से काम नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई खनन घोटालों और अन्य मामलों में सीबीआई ने आरोप-पत्र दाखिल नहीं किए हैं और कई मामलों की जांच से इनकार भी कर दिया। पाटिल ने स्पष्ट किया कि इस फैसले का उद्देश्य सीबीआई को गलत तरीके से काम करने से रोकना है, न कि किसी विशेष मामले की वजह से इसे लिया गया है।
विपक्ष के आरोप
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने लंबे समय से केंद्रीय जांच एजेंसियों, जैसे सीबीआई और ईडी, पर पक्षपातपूर्ण काम करने के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार इन एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को फंसाने के लिए कर रही है।
किन राज्यों ने सहमति वापस ली?
कर्नाटक के अलावा, कई अन्य राज्यों ने भी सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ली है। इनमें पंजाब, झारखंड, केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, तेलंगाना, मेघालय और तमिलनाडु शामिल हैं।
क्यों जरूरी होती है राज्य सरकार की अनुमति?
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 की धारा 6 के अनुसार, सीबीआई को किसी राज्य में जांच करने के लिए उस राज्य की सरकार की अनुमति जरूरी होती है। जब तक राज्य सरकार सहमति नहीं देती, सीबीआई वहां अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकती।
इस फैसले के बाद सीबीआई को कर्नाटक में किसी भी मामले की जांच के लिए अब राज्य सरकार से अलग-अलग मामलों में अनुमति लेनी होगी।