AIN NEWS 1: शिप्रा सनसिटी में भारतीय धरोहर संस्था द्वारा आयोजित भागवत कथा का पांचवा दिन धूमधाम से मनाया गया। आरती और भजनों के साथ शुरू हुई इस कथा में कथा व्यास श्री पवन नंदन जी ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और रासलीला का भावपूर्ण वर्णन किया।
कथा के दौरान कथा व्यास ने पूतना वध, यशोदा माता के साथ श्रीकृष्ण की शरारतें, भगवान श्रीकृष्ण का गौ प्रेम, कालिया नाग मान मर्दन, माखन चोरी, और गोपियों के प्रसंगों का उल्लेख किया। इन प्रसंगों के माध्यम से भक्तों को श्रीकृष्ण के जीवन के विविध रंगों से अवगत कराया गया।
इसके बाद, कथा व्यास ने भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा का महत्व समझाया। उन्होंने बताया कि हमें अपने व्यस्त जीवन में से भगवान को भी समय देना चाहिए और उनकी आराधना करनी चाहिए। कथा व्यास ने ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उठाए गए गोवर्धन पर्वत की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद भगवान श्रीकृष्ण को सात दिनों तक भूखा रहना पड़ा था, जिसके बाद उन्हें 56 व्यंजन परोसे गए। तभी से ’56 भोग’ की परंपरा शुरू हुई।
कथा के दौरान भक्ति गीतों ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कथा व्यास ने कहा कि भागवत कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान, और हरि से मिलने का मार्ग बताती है। उन्होंने कलियुग की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि इस युग में हरिनाम से ही जीव का कल्याण संभव है। सच्चे हृदय से हरि का नाम जपने से सभी पापों का क्षय होता है।
आयोजन समिति ने कथा प्रसाद में फलों का प्रबंध किया, जिसमें प्रमुख रूप से कपिल त्यागी, विजय शंकर तिवारी, सुचित सिंघल, सीपी बालियान, सुशील कुमार, अविनाश चंद्र, स्वाति चौहान, धीरज अग्रवाल, संजय सिंह, अजय शुक्ला, अनिल मेहंदीदत्ता आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई।
इस प्रकार, भागवत कथा का यह दिन भक्तिभाव और ज्ञान की एक नई ऊँचाई को छू गया। हर किसी ने कथा के माध्यम से श्रीकृष्ण के जीवन और शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया। इस तरह की धार्मिक गतिविधियों से समाज में सकारात्मकता और एकता की भावना को बढ़ावा मिलता है।