AIN NEWS 1: बहराइच में हालिया हिंसा के आरोपियों के एनकाउंटर पर यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने गंभीर सवाल उठाए हैं। विपक्ष और परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने आरोपियों को घर से उठाया और बाद में उनका एनकाउंटर किया। इस संदर्भ में सुलखान सिंह का कहना है कि यदि एनकाउंटर को लेकर संदेह पैदा होता है, तो इसकी जांच जरूरी है।
सुलखान सिंह ने कहा कि गिरफ्तारियों के बाद आरोपियों को बाहर दिखाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर इस दौरान किसी को गोली लगती है, तो यह हत्या का प्रयास हो सकता है।” उन्होंने सुझाव दिया कि मामले की जांच सीआईडी से कराई जानी चाहिए, क्योंकि स्थानीय पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
पूर्व डीजीपी ने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान में पुलिस बहुत दबाव में काम कर रही है, जिससे निष्पक्ष कार्रवाई में कठिनाई हो रही है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कांवड़ यात्रा के दौरान कई स्थानों पर तोड़फोड़ और आगजनी हुई, लेकिन इस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। इसके विपरीत, कौशांबी में मुसलमानों के घरों पर रंग डालने की घटना में कार्रवाई करने वाले पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया।
सुलखान सिंह के अनुसार, बहराइच में हुए दंगों में कई लोग उकसा रहे थे। उन्होंने इसे गंभीर अपराध बताया और कहा कि ऐसे मामलों में भी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने वीडियो फुटेज की जांच की मांग की, ताकि यह पता चल सके कि कौन लोग हिंसा को भड़का रहे थे।
उन्होंने कहा कि एनकाउंटर के मामलों में अगर पुलिस गलत कार्रवाई करती है, तो सवाल उठते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लगभग 250 पुलिसकर्मी जेलों में हैं, इसलिए पुलिस को इस मामले में सबक लेना चाहिए। सुलखान सिंह ने स्पष्ट किया कि एनकाउंटर कोई पॉलिसी का विषय नहीं है। केवल तभी बल प्रयोग की अनुमति है, जब अपराधी पुलिस पर गोली चलाएं या भागने का प्रयास करें।
सुलखान सिंह के बयान ने पुलिसिंग के प्रति एक चिंताजनक माहौल का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस कार्रवाई करती है, तो उसे सस्पेंड कर दिया जाता है, और अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो दंगों जैसे कांड होते हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए।
इस तरह, बहराइच की घटनाओं ने पुलिसिंग और कानून-व्यवस्था को लेकर कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए हैं, और इसकी गहराई से जांच की आवश्यकता है।