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हरिद्वार जमीन घोटाले में 12 अधिकारियों का निलंबन, डीएम-एसडीएम समेत कड़ी कार्रवाई!

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Haridwar Land Scam: 12 Officials Suspended Including DM and SDM, Major Action Taken

AIN NEWS 1: उत्तराखंड के हरिद्वार में हुए जमीन खरीद घोटाले के मामले में बड़ी जांच और कार्रवाई हुई है। इस घोटाले में नगर निगम द्वारा जमीन खरीद प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं पाई गईं, जिसके बाद 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इस कार्रवाई में हरिद्वार के जिलाधिकारी (DM) कर्मेंद्र सिंह, नगर निगम के पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी, और एसडीएम अजय वीर सिंह सहित अन्य अधिकारियों को शामिल किया गया है। इस मामले ने उत्तराखंड सरकार की भ्रष्टाचार-रोधी नीति को फिर से साबित कर दिया है।

इस विस्तृत रिपोर्ट में हम इस घोटाले की पूरी कहानी, जांच के निष्कर्ष, दोषी अधिकारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई, और सरकार के संदेश को सरल और क्रमबद्ध तरीके से समझेंगे।

1. जमीन खरीद घोटाले की शुरुआत और संदिग्ध प्रक्रिया

हरिद्वार नगर निगम ने 19 सितंबर से 26 अक्टूबर के बीच कुल 33-34 बीघा जमीन खरीदी। यह जमीन सराय गांव के कूड़े के ढेर के पास स्थित 2.30 हेक्टेयर की कृषि भूमि थी। इस जमीन की खरीद 53.70 करोड़ रुपये में हुई, जो कि इसकी वास्तविक कीमत से लगभग साढ़े तीन गुना अधिक थी।

इस घोटाले की सबसे बड़ी अनियमितता भूमि की श्रेणी (land category) में संदिग्ध बदलाव थी। भूमि की श्रेणी बदलने की प्रक्रिया 3 अक्टूबर से शुरू होकर 21 अक्टूबर को पूरी हुई, जो कि जमीन खरीद की प्रक्रिया के दौरान ही हुई। भूमि की श्रेणी बदलने से जमीन की कीमत 13 करोड़ से बढ़ाकर 53 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।

यह श्रेणी परिवर्तन केवल 17 दिनों में तत्कालीन एसडीएम अजय वीर सिंह द्वारा पूरी किया गया, जो नियमों के स्पष्ट उल्लंघन के तहत माना गया।

2. भूमि श्रेणी में बदलाव और नियमों की अवहेलना

एसडीएम कार्यालय में एक अक्टूबर से जो मिश्लबंद (राजस्व वादों की पंजिका) तैयार होना था, उसे हटाकर नया मिश्लबंद बनाया गया। यह कार्रवाई नियमों के विरुद्ध थी।

शासन के स्पष्ट निर्देशों और भूमि खरीद नियमों की अनदेखी कर इस सौदे को संदिग्ध और गैर पारदर्शी बनाया गया। इस जमीन की खरीद में न तो वास्तविक आवश्यकता थी और न ही पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनाई गई थी।

3. जांच और मुख्यमंत्री के आदेश

हरिद्वार नगर निगम के नगर आयुक्त द्वारा प्रारंभिक जांच में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के गन्ना और चीनी सचिव रणवीर सिंह चौहान को जांच सौंप दी।

रणवीर सिंह चौहान ने 29 मई को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपते हुए कई अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए।

4. निलंबित अधिकारी और उनकी भूमिका

अब तक कुल 12 अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, जिनमें प्रमुख हैं:

जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह

हरिद्वार नगर निगम के पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी

तत्कालीन उपजिलाधिकारी अजय वीर सिंह

वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट

वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की

हरिद्वार तहसील के रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार

हरिद्वार तहसील के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास

इसके अलावा पहले भी कई अन्य अधिकारियों को निलंबित या सेवा समाप्ति का सामना करना पड़ा है।

5. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सख्त संदेश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड में पद नहीं, कर्तव्य और जवाबदेही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की किसी भी कसर सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी।

उन्होंने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को साफ संदेश दिया कि जनहित के खिलाफ कोई भी कार्रवाई अविलंब सजा पाने वाली होगी। उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की नई संस्कृति विकसित की जा रही है।

6. जांच की मुख्य निष्कर्ष और प्रशासनिक लापरवाही

जांच अधिकारी रणवीर सिंह चौहान के मुताबिक, जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने प्रशासनिक जिम्मेदारियों की अनदेखी की, जमीन की अनुमति देते समय निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और नगर निगम के हितों की अनदेखी की।

इस प्रकार की लापरवाही ने भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बढ़ावा दिया, जिससे सरकार ने तत्काल कठोर कार्रवाई की।

7. प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता

यह मामला राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का एक बड़ा उदाहरण है। मुख्यमंत्री और उनके विभागीय अधिकारियों द्वारा सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके एक स्पष्ट संदेश दिया गया कि उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सरकार ने इस प्रकरण के बाद से कई नीतिगत सुधार भी शुरू किए हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

8. निष्कर्ष और भविष्य की दिशा

हरिद्वार जमीन घोटाले में जांच और निलंबन की कार्रवाई ने यह दिखाया कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार पर सख्त नियंत्रण जरूरी है। सरकार ने सभी स्तरों पर जवाबदेही को प्राथमिकता दी है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाकर उत्तराखंड सरकार ने अपने ईमानदार और पारदर्शी प्रशासन की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है।

The Haridwar land scam involved major irregularities during a high-value land purchase by the Haridwar Nagar Nigam, where 12 officials including the District Magistrate (DM), Sub-Divisional Magistrate (SDM), and other senior officers were suspended for negligence and corruption. The scam included suspicious land category changes that inflated the land value from ₹13 crore to ₹53 crore, violating government rules and transparency norms. Chief Minister Pushkar Singh Dhami ordered a detailed investigation, which exposed serious lapses in administrative duty. This action highlights the Uttarakhand government’s commitment to transparency and zero tolerance for corruption, reinforcing the need for strict accountability among public officials.

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