AIN NEWS 1 आगरा (उत्तर प्रदेश): एक चौंकाने वाला मामला आगरा जिले के एत्मादपुर थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां नकली देसी घी बनाने के लिए गोमांस और चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा था। पुलिस ने इलाके के तीन घरों पर छापेमारी की और बड़ी मात्रा में मांस और पशु चर्बी बरामद की। जांच में यह पुष्टि हुई है कि बरामद मांस गाय का था। अब पुलिस इस मामले में गोकशी की धारा जोड़ने की तैयारी में है।
कहां हुई कार्रवाई?
घटना 17 मार्च 2025 की है। एत्मादपुर थाना क्षेत्र के मोहल्ला शेखान में पुलिस ने छापा मारा था। यह छापा बबलू और फरमान के घर पर मारा गया था। वहां से 275 किलोग्राम मांस और 82 कनस्तर (टिन) में लगभग 1230 किलो चर्बी बरामद हुई थी। इसके अलावा एक स्कूटी, 11 कट्टे मांस, चाकू, तराजू-बांट और पशुओं की खालें भी जब्त की गई थीं।
लैब जांच में हुआ खुलासा
छापेमारी के बाद बरामद मांस और चर्बी के सैंपल जांच के लिए भेजे गए। एसीपी पीयूष कांत राय के मुताबिक, रिपोर्ट में गोमांस होने की पुष्टि हो चुकी है। इसके बाद अब पुलिस गोकशी अधिनियम के तहत मुकदमे में और गंभीर धाराएं जोड़ेगी।
पहले मिल चुकी थी जमानत
इस मामले में पहले उस्मान, वाहिद, विल्किस और समीर को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन मामला सात साल से कम की सजा वाली धारा में होने की वजह से उन्हें अदालत से जमानत मिल गई थी। अब जब गोमांस की पुष्टि हो चुकी है, तो फिर से गिरफ्तारी की संभावना बन गई है।
नामजद आरोपी और फरार लोग
पुलिस ने इस मामले में 15 से अधिक लोगों को नामजद किया है जिनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
साजिद, फरमान, साजिया, टिल्लू उर्फ आरिफ, राशिद, उस्मान, अबरार, नदीम, सलीम, गोविंदा, बबलू, कदीम, समीम।
इनमें से कई आरोपी फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।
चर्बी का उपयोग: नकली घी या साबुन?
बरामद की गई चर्बी को लेकर दो प्रकार की बात सामने आई है।
कुछ आरोपियों का कहना है कि चर्बी साबुन बनाने में इस्तेमाल हो रही थी।
लेकिन पुलिस और एफएसडीए (फूड सेफ्टी एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन) को शक है कि इसका उपयोग नकली देसी घी तैयार करने में हो रहा था।
एफएसडीए के अधिकारियों ने आशंका जताई कि चर्बी को गर्म कर उसमें खुशबूदार तत्व मिलाकर इसे घी के रूप में पैक करके बाजार में बेचा जा सकता था, जिससे उपभोक्ताओं की सेहत पर गंभीर खतरा हो सकता था।
पुलिस की आगे की कार्रवाई
अब जबकि जांच में गोमांस की पुष्टि हो चुकी है, पुलिस:
गोकशी अधिनियम की धाराएं जोड़ने जा रही है।
पुराने आरोपियों को पुनः गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही है।
फरार आरोपियों की तलाश के लिए टीमें गठित कर चुकी है।
इस मामले के सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव
इस तरह के मामले धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकते हैं, खासतौर पर तब जब गाय के मांस का गलत इस्तेमाल हो रहा हो।
नकली घी के सेवन से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे पेट की बीमारियां, लीवर से जुड़ी दिक्कतें और यहां तक कि कैंसर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
ऐसे मामले खाद्य सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं।
इस घटना ने न सिर्फ पुलिस प्रशासन को सतर्क कर दिया है, बल्कि आम लोगों के बीच भी भोजन की शुद्धता और विश्वसनीयता को लेकर चिंता बढ़ा दी है। आगरा पुलिस की सक्रियता से यह मामला सामने आ सका, लेकिन इससे यह सवाल भी खड़ा होता है कि नकली देसी घी का यह व्यापार कहां-कहां तक फैला हुआ है और इसमें और कौन-कौन शामिल है। अब देखना होगा कि पुलिस किस स्तर तक इस गिरोह की जड़ें तलाश पाती है।
In a shocking incident from Agra’s Etmadpur area, police uncovered a fake desi ghee racket where cow meat and fat were allegedly used in the production. During the raid, over 275 kg of meat and 82 tins containing 1230 kg of fat were recovered. Lab tests confirmed the presence of cow meat, leading authorities to include cow slaughter sections in the FIR. The case highlights a dangerous trend in fake desi ghee production in UP and raises serious concerns about public health and food safety.