AIN NEWS 1: अयोध्या में इस बार दीपावली का पर्व इतिहास के एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में मनाया जा रहा है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में विराजने के बाद यह उनकी पहली दीपावली है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की यह अनुपम छटा, दीपों की जगमगाहट और श्रद्धालुओं का उत्साह, अयोध्या को एक अद्भुत और अलौकिक स्वरूप में बदल रही है। यह दृश्य न केवल भक्तों को बल्कि हर उस व्यक्ति को अभिभूत कर रहा है जिसने राम मंदिर आंदोलन की गाथा को अपने जीवन में देखा है।
500 वर्षों की प्रतीक्षा, अनगिनत बलिदान और भक्तों का अटूट विश्वास इस घड़ी को पावन और अद्वितीय बना रहे हैं। यह अवसर उन लाखों रामभक्तों की तपस्या का फल है जिन्होंने वर्षों तक रामलला के मंदिर निर्माण की अभिलाषा को अपनी आस्था और समर्पण से संजोया। अब जब भगवान श्रीराम अपनी जन्मभूमि पर भव्य मंदिर में विराजमान हैं, दीपावली का यह पर्व अयोध्या के साथ-साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष के लिए गर्व और आस्था का प्रतीक बन गया है।
अयोध्या में जगमग दीपमालिका
दीपावली के इस पर्व पर अयोध्या नगरी लाखों दीपों से सजी है, मानो स्वयं प्रकृति भी भगवान राम की आरती उतार रही हो। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर से लेकर सरयू नदी तक, हर कोना रोशनी से दैदीप्यमान है। श्रद्धालु दूर-दूर से इस अलौकिक दृश्य के साक्षी बनने आ रहे हैं। मंदिर की भव्यता और दिव्यता को देख ऐसा प्रतीत होता है जैसे स्वयं भगवान श्रीराम ने अयोध्या की शोभा को चार चांद लगा दिए हों।
श्रीराम के आदर्श और नया भारत
श्रीराम का जीवन और उनके आदर्श हमारे देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। उनका मर्यादित और कर्तव्यनिष्ठ जीवन हमें सिखाता है कि कठिनाइयों के बीच भी सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना ही सच्ची विजय है। श्रीराम के आदर्श न केवल एक व्यक्ति के जीवन को बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र को सशक्त और स्वाभिमानी बनाने में सहायक हैं।
आज जब देश प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है, रामलला का मंदिर हमें नए भारत की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। प्रभु श्रीराम के आदर्श विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में हमारे लिए एक प्रेरणापुंज बने रहेंगे। उनका यह दिव्य मंदिर, उनके जीवन का यह संदेश—धर्म, न्याय और मर्यादा—हमारे समाज और राष्ट्र के विकास में मार्गदर्शन करेगा।
रामनगरी का सौभाग्य: एक नई शुरुआत
यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हम इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं। यह दीपावली सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि अयोध्या और देशवासियों के लिए एक नई शुरुआत है। यह पर्व, श्रद्धा और आत्मबल का प्रतीक बन गया है।
जय सियाराम! दीपमालिका पर्व की पूर्व संध्या पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की यह अलौकिक आभा हमें एकजुट होकर, राष्ट्र की प्रगति के लिए प्रतिबद्ध रहने का संदेश देती है।