AIN NEWS 1 गाजियाबाद: श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि 26 दिन बाद डासना देवी मंदिर पहुंचे। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि गाजियाबाद पुलिस ने उन्हें उत्तराखंड में एक कमरे में बंद रखा और उनका फोन छीन लिया। यति ने बताया कि वह 29 अक्टूबर की रात को पुलिस द्वारा उस कमरे से निकाले जाने के बाद मंदिर पहुंचे।
यति नरसिंहानंद ने 29 सितंबर को गाजियाबाद में पैगंबर को लेकर विवादास्पद बयान दिया था, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था।
पुलिस हिरासत का अनुभव
यति नरसिंहानंद ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में बताया कि 4 अक्टूबर की रात उन्हें गाजियाबाद के गांव बम्हैटा में पार्षद प्रमोश यादव के घर से पुलिस ने उठाया। पहले दो दिनों तक उन्हें गाजियाबाद पुलिस लाइन में नजरबंद रखा गया। इसके बाद उन्हें उत्तराखंड ले जाकर एक बिल्डिंग के कमरे में बंद किया गया। यति ने कहा, “कमरे के बाहर हमेशा यूपी पुलिस के दो जवान तैनात रहते थे, और मेरा फोन भी उनके पास था। कभी-कभी व्यक्तिगत कॉल करने के लिए मैं उनसे अपना फोन प्राप्त कर पाता था।”
यति ने यह भी बताया कि उन्होंने 26 दिन तक जेल जैसी स्थिति में बिताए और 29 अक्टूबर की रात को उन्हें पहली बार कमरे से बाहर निकाला गया। पुलिस ने उन्हें यूपी-उत्तराखंड के बॉर्डर (मुजफ्फरनगर के पास) पर छोड़ दिया। इसके बाद उनके सेवक उन्हें डासना देवी मंदिर ले आए।
गाजियाबाद पुलिस की सलाह
गाजियाबाद पुलिस ने उन्हें छोड़ते समय कहा कि वह कुछ दिनों तक चुप रहें।
विवाद का प्रारंभ
29 सितंबर को गाजियाबाद के लोहियानगर स्थित हिंदी भवन में एक कार्यक्रम के दौरान यति नरसिंहानंद ने विवादित बयान दिया। इसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी क्लिप वायरल हुई, जिससे देशभर में प्रदर्शन भड़क गए। गाजियाबाद और महाराष्ट्र में उनके खिलाफ दो मुकदमे दर्ज किए गए। इस प्रकरण के बाद 4 अक्टूबर की रात से यति नरसिंहानंद लापता हो गए थे। उनके शिष्य आरोप लगाते रहे कि पुलिस उन्हें नजरबंद किए हुए है, जबकि पुलिस का कहना था कि वह उनके पास नहीं हैं।
उर्दू शिक्षक से मारपीट का मामला
डासना देवी मंदिर पहुंचने के बाद यति नरसिंहानंद ने एक और मामले पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि हाल ही में क्रॉसिंग रिपब्लिक थाना क्षेत्र की पंचशील सोसाइटी में एक उर्दू शिक्षक के साथ अभद्रता की गई। पुलिस ने मनोज प्रजापति को इस मामले में जेल भेज दिया। यति ने आरोप लगाया कि मनोज ने उर्दू शिक्षक से केवल यह पूछा था कि वह कहां जा रहे हैं, जिस पर शिक्षक ने हंगामा खड़ा कर दिया और झूठा मुकदमा दर्ज कराया।
यति नरसिंहानंद गिरि की यह यात्रा और अनुभव उनके अनुयायियों और समाज के लिए महत्वपूर्ण संदेश देती है। उनकी स्थिति और पुलिस के साथ अनुभव पर चर्चा आगे बढ़ सकती है, जो समाज में कई सवाल खड़े करती है।