AIN NEWS 1 लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने सभी पुलिस अधिकारियों को अपराधों की त्वरित जांच और सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी ने खासतौर पर उन अपराधों को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें सजा की अवधि 3 से 7 साल तक हो सकती है। इन अपराधों में तेजी से कार्रवाई की जरूरत को ध्यान में रखते हुए, डीजीपी ने स्पष्ट आदेश दिया है कि थाना प्रभारी को प्राप्त तहरीर पर 14 दिनों के भीतर जांच पूरी करनी होगी।
तहरीर की जांच को लेकर निर्देश
डीजीपी ने कहा कि किसी भी तहरीर की जांच पूरी करने की समयसीमा दो हफ्तों (14 दिन) की होगी। यदि जांच इन 14 दिनों के भीतर पूरी नहीं होती है, तो पुलिस अधिकारी को तुरंत एफआईआर दर्ज करनी होगी। इसके बाद की कार्रवाई में कोई भी लापरवाही न बरतने की चेतावनी दी गई है। इस समयसीमा का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जांच में कोई गंभीर अपराध न मिलने पर क्या होगा?
डीजीपी ने कहा कि यदि किसी शिकायत के बाद जांच में कोई गंभीर अपराध न पाया जाए, तो इसकी जानकारी सीओ (सर्किल ऑफिसर) और संबंधित पीड़ित को दी जानी चाहिए। जांच के समापन के बाद, इसकी रिपोर्ट को सीओ और एसीपी (एडिशनल सर्किल ऑफिसर) को सौंपना अनिवार्य होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जांच में कोई अनदेखी नहीं हो रही है और कार्रवाई सही दिशा में हो रही है।
थाना प्रभारी की जिम्मेदारी
डीजीपी ने पुलिस थानों के प्रभारी को स्पष्ट निर्देश दिया कि किसी भी शिकायत को जनरल डायरी में दर्ज करना अनिवार्य होगा। इसके बाद, थाना प्रभारी को त्वरित और निष्पक्ष जांच के लिए कदम उठाने होंगे। प्रारंभिक जांच के बारे में पुलिस कप्तान को नियमित बैठक में जानकारी दी जाएगी, ताकि वे खुद इस प्रक्रिया की निगरानी कर सकें।
एफआईआर दर्ज होने पर पीड़ित को कॉपी देना जरूरी
डीजीपी ने कहा कि यदि कोई एफआईआर दर्ज होती है तो पीड़ित व्यक्ति को उसकी कॉपी तुरंत प्रदान की जाएगी। इस कदम से पीड़ित को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी मिल सकेगी और वे आगे की कार्रवाई के लिए तैयार रहेंगे।
लापरवाही पर कार्रवाई का आदेश
डीजीपी ने यह भी चेतावनी दी कि अगर किसी पुलिस अधिकारी की ओर से जांच में लापरवाही बरती जाती है तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस दिशा में कोई भी ढिलाई स्वीकार नहीं की जाएगी और ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाएगा।
इन दिशा-निर्देशों के तहत, उत्तर प्रदेश पुलिस को अपराधों के प्रति और ज्यादा जिम्मेदार बनाने की कोशिश की जा रही है, ताकि किसी भी प्रकार के अपराध को नजरअंदाज न किया जा सके और पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिले। डीजीपी का कहना है कि इन आदेशों के पालन से पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय होगी और पुलिस सेवा में पारदर्शिता बढ़ेगी।
यह दिशा-निर्देश राज्य भर में पुलिस अधिकारियों द्वारा अपनाए जाएंगे और आगामी दिनों में इनके पालन की समीक्षा की जाएगी।