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जस्टिस यशवंत वर्मा मामला: पूरा घटनाक्रम और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया ,आग, नकदी और तबादला – कैसे शुरू हुआ विवाद?

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Justice Yashwant Verma Case: Fire Brigade’s Statement Brings a Twist

जस्टिस यशवंत वर्मा मामला: तबादला, आग, नकदी की बरामदगी के दावे और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

AIN NEWS 1: दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस यशवंत वर्मा बीते कुछ दिनों से सुर्खियों में हैं। उनके सरकारी आवास पर 14 मार्च की रात आग लगने की घटना के बाद मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वहां भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई। इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च को उनकी इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर की सिफारिश कर दी।

हालांकि, इस पूरे मामले में एक नया मोड़ तब आया, जब दिल्ली फायर ब्रिगेड ने नकदी मिलने के दावे को खारिज कर दिया।

क्या हुआ था 14 मार्च की रात?

14 मार्च को होली की रात, रात 11:35 बजे कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि लुटियंस जोन स्थित जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगी है। तत्काल दो दमकल गाड़ियां भेजी गईं, जो 11:43 बजे मौके पर पहुंचीं।

आग स्टेशनरी और घरेलू सामान से भरे स्टोर रूम में लगी थी।

15 मिनट में आग पर काबू पा लिया गया।

कोई हताहत नहीं हुआ।

आग बुझाने के तुरंत बाद पुलिस को सूचना दी गई।

अग्निशमन विभाग ने स्पष्ट किया कि कोई नकदी नहीं मिली।

ट्रांसफर और जांच: क्या कोई संबंध है?

इस घटना के 6 दिन बाद, 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में कॉलेजियम की बैठक हुई, जिसमें जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का प्रस्ताव रखा गया।

जब 21 मार्च को यह खबर सार्वजनिक हुई, तो कई अटकलें लगाई जाने लगीं कि क्या ट्रांसफर का कारण नकदी बरामदगी का विवाद है?

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तबादले और जांच को जोड़कर न देखा जाए।

सुप्रीम कोर्ट का बयान: ‘अफवाहें फैलाई जा रही हैं’

सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च की शाम एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि जस्टिस वर्मा के घर पर कथित नकदी मिलने की अफवाहें फैलाई जा रही हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय ने ‘इन-हाउस जांच’ शुरू कर दी है।

रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी।

कॉलेजियम ट्रांसफर से जुड़े फीडबैक पर विचार कर अंतिम निर्णय लेगा।

बार काउंसिल और वकीलों का विरोध

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का विरोध किया और कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को ‘कूड़ेदान’ न समझा जाए।

वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी ने भी सवाल उठाए।

राज्यसभा में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने न्यायिक जवाबदेही पर बहस की मांग की।

क्या जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा दिया?

शुक्रवार (22 मार्च) को जस्टिस वर्मा कोर्ट नहीं पहुंचे।

उनके कोर्ट मास्टर ने बताया कि खंडपीठ अवकाश पर है।

जस्टिस वर्मा का अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया।

वे जीएसटी, कंपनी अपील और बिक्री कर से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करने वाले बेंच के प्रमुख हैं।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

वरिष्ठ वकील विकास सिंह: “यह गंभीर मामला है, जज को इस्तीफा देना चाहिए।”

राकेश द्विवेदी: “सुप्रीम कोर्ट को आंतरिक जांच करानी चाहिए और जज को अपना पक्ष रखने का मौका देना चाहिए।”

इंदिरा जयसिंह: “कोर्ट को पूरा सच सामने लाना चाहिए। यह आश्चर्यजनक है कि घटना 14 मार्च को हुई और खबर 21 मार्च को आई।”

न्यायपालिका में जजों पर कार्रवाई का क्या नियम है?

किसी जज पर सीधे कार्रवाई नहीं की जा सकती।

सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की जांच समिति बन सकती है।

महाभियोग प्रस्ताव लाकर ही किसी जज को पद से हटाया जा सकता है।

अब तक भारत में किसी जज पर महाभियोग सफलतापूर्वक नहीं लगाया गया है।

 क्या आगे होगा?

फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट की जांच जारी है, और जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर लगभग तय है। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नकदी मिली थी या नहीं।

मुख्य बिंदु:

✔ 14 मार्च: दिल्ली में जस्टिस वर्मा के घर आग लगी।

✔ 20 मार्च: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक हुई।

✔ 21 मार्च: ट्रांसफर की खबरें आईं।

✔ 22 मार्च: सुप्रीम कोर्ट ने नकदी बरामदगी को अफवाह बताया।

✔ जांच जारी, अंतिम फैसला अभी आना बाकी।

यह मामला देश में न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही से जुड़ा है। देखना होगा कि आगे क्या होता है।

Justice Yashwant Verma’s case has sparked a major controversy following a fire incident at his Delhi residence. Media reports initially claimed cash recovery, but Delhi Fire Brigade denied such findings. The Supreme Court clarified that his transfer and the fire incident are unrelated. The Collegium recommended his transfer to Allahabad High Court, raising questions about the real reasons behind this move. The judiciary faces scrutiny as legal experts and bar associations demand transparency. The Supreme Court is conducting an in-house investigation, and a final decision is awaited. Stay tuned for the latest updates on Justice Yashwant Verma’s case, Supreme Court Collegium decisions, and legal proceedings.

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