Sunday, January 19, 2025

निजी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने पर जबलपुर हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड से जवाब मांगा?

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AIN NEWS 1 जबलपुर: जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा याचिकाकर्ता की निजी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने के फैसले को लेकर महत्वपूर्ण आदेश दिया है। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए और इसे लेकर नोटिस जारी कर वक्फ बोर्ड से जवाब मांगा है। यह मामला उस समय का है जब याचिकाकर्ता हाजी मोहम्मद अली ने वक्फ बोर्ड के इस फैसले को चुनौती दी, जिसमें उनकी निजी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया गया था।

मामला क्या है?

रीवा निवासी हाजी मोहम्मद अली ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने वक्फ बोर्ड द्वारा उनकी निजी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने को गलत बताते हुए इसे निरस्त किए जाने की मांग की। याचिकाकर्ता का कहना है कि लगभग 100 साल पहले उनके दादा स्व. अब्दुल मन्नान ने अपनी निजी भूमि पर हाजी सैयद जहूर अली शाह के नाम से एक दरगाह बनवाई थी। यह भूमि उनके स्वामित्व में रही है, और इसे न तो वक्फ बोर्ड को दान किया गया था और न ही कभी इसे वक्फ संपत्ति के रूप में समर्पित किया गया था। इसके बावजूद, वक्फ बोर्ड ने बिना किसी सूचना या सुनवाई का अवसर दिए उनकी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया।

क्या था संपत्ति का इतिहास?

याचिकाकर्ता ने बताया कि उनके दादा ने 1924-25 से पहले 400 वर्ग फीट भूमि पर अपनी संपत्ति पर दरगाह बनवाई थी, और 800 वर्ग फीट भूमि को खाली रखा था। यह भूमि पूरी तरह से उनके स्वामित्व में रही है और इसमें कभी भी वक्फ बोर्ड की कोई भूमिका नहीं रही। याचिकाकर्ता के अनुसार, 1977 में उनके पिता स्व. अनवरूल हक ने इस संपत्ति की देखभाल की। इसके बाद, 19 सितंबर, 2016 को पंजीकृत वसीयतनामा के तहत याचिकाकर्ता को इस संपत्ति का मुतवल्ली (देखभाल करने वाला) बनाया गया।

याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि जब 30 नवंबर, 2020 को उनके पिता का निधन हो गया, तो उन्होंने इस संपत्ति की देखभाल जारी रखी। लेकिन, वक्फ बोर्ड ने बिना किसी सूचना या अनुमोदन के उनकी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में घोषित कर दिया और इसे राजपत्र में प्रकाशित कर दिया। इस पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया।

हाईकोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट ने इस मामले में वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी किया और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से जवाब देने के लिए निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता ने इस कार्रवाई को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग की है और अपनी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने को अवैध बताया है।

वक्फ बोर्ड की कार्रवाई पर सवाल

यह मामला वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, जिसमें बिना किसी सूचना या अनुमोदन के निजी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर दिया जाता है। याचिकाकर्ता के अनुसार, न तो उनकी और न ही उनके किसी पूर्वज की ओर से कभी इस संपत्ति को वक्फ बोर्ड को दान किया गया था। ऐसे में यह सवाल उठता है कि वक्फ बोर्ड ने यह कार्रवाई कैसे की, और इसके लिए क्या कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई थी?

याचिका का मुख्य उद्देश्य

याचिकाकर्ता का मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्ड द्वारा उनकी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने की पूरी प्रक्रिया को निरस्त करना है। उनका आरोप है कि यह कार्रवाई बिना किसी सूचना और सुनवाई के की गई, जो कि संविधान और कानून के खिलाफ है। याचिकाकर्ता ने अपनी संपत्ति के स्वामित्व को लेकर स्पष्ट रूप से बताया है कि यह संपत्ति उनके दादा के समय से उनके स्वामित्व में रही है, और इस पर उनका पूरा अधिकार है।

English Paragraph:

 

The Jabalpur High Court has issued an interim order, directing the Waqf Board to maintain the status quo in a case where private property was declared as Waqf property. The petitioner, Haji Mohammad Ali, challenged this decision, claiming that the property, owned by his family for generations, was never donated or dedicated to the Waqf Board. The case involves a 100-year-old family-owned land in Rewa, which was wrongly registered as Waqf property by the Board without notice or hearing. The court has issued a notice to the Waqf Board and asked for a response. The petitioner seeks to cancel the entire process and retain ownership of the property.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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