Sunday, January 19, 2025

“भारत की सांस्कृतिक चेतना की पुनः प्रतिष्ठा की द्वादशी”?

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AIN NEWS 1: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आज अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया, जो केवल हमारे देश के विकास की दिशा में प्रेरणा नहीं है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। इस संदेश में प्रधानमंत्री जी ने ऐतिहासिक महत्व की बात कही, जिसमें उन्होंने श्री अयोध्या धाम में प्रभु श्री राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ पर अपने विचार व्यक्त किए। यह द्वादशी, जिसे पौष शुक्ल द्वादशी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति के गौरव और इतिहास को सहेजने का अवसर प्रदान करती है।

प्रधानमंत्री का संदेश: सांस्कृतिक धरोहर की पुनः प्रतिष्ठा

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में कहा, “प्राण-प्रतिष्ठा की यह द्वादशी, भारत की सांस्कृतिक चेतना की पुनः प्रतिष्ठा की द्वादशी है।” उनका यह संदेश हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के पुनर्निर्माण और उसे न केवल सहेजने, बल्कि उसे और समृद्ध बनाने की आवश्यकता की ओर संकेत करता है। प्रधानमंत्री जी का यह आह्वान हमें यह याद दिलाता है कि संस्कृति और इतिहास से जुड़ी हमारी जड़ें केवल एक परंपरा नहीं हैं, बल्कि ये हमारे विकास की आधारशिला हैं।

इस अवसर पर श्री अयोध्या धाम में प्रभु श्री राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के पहले वर्ष की खुशी भी मनाई जा रही है। यह पर्व केवल धार्मिक महत्व का नहीं है, बल्कि यह हमें यह संदेश भी देता है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को समय की कसौटी पर परखते हुए उसका संरक्षण करें। श्री राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा की प्रक्रिया ने अयोध्या को न केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में पुनः स्थापित किया है, बल्कि इसने हमारी सांस्कृतिक चेतना को भी एक नया आयाम दिया है।

सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की आवश्यकता

सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना हमारे लिए न केवल एक जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमारे राष्ट्र की अस्मिता से जुड़ा हुआ प्रश्न भी है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि “इतिहास से सीखते हुए और संस्कृति को सहेजते हुए हम एक उज्जवल और समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।” उनका यह विचार देशवासियों को प्रेरित करता है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को समझें और उसकी गरिमा को बनाए रखें।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस संदर्भ में अपना दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा कि यह दिवस केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। अयोध्या में श्री राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से, यह स्थल न केवल धार्मिक यात्रा का केंद्र बना है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के गौरव का भी प्रतीक बन गया है।

संस्कृति से जुड़े पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना

भारत के इतिहास और संस्कृति में गहरे रुझान रखने वाले हर व्यक्ति के लिए यह समय स्वयं को अपनी जड़ों से जुड़ने का है। हमारी सांस्कृतिक धरोहर, हमारे त्योहार, और हमारे रीति-रिवाज हमारी पहचान हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी का यह संदेश हमें याद दिलाता है कि सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करना केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की सामाजिक और राष्ट्रीय एकता का आधार भी है।

भारत की सांस्कृतिक विरासत में अनेक धार्मिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक तत्व समाहित हैं। समय के साथ इन तत्वों में बदलाव आया है, लेकिन इनका मूल उद्देश्य मानवता की सेवा और राष्ट्र के विकास में योगदान करना रहा है। श्री राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा का पर्व हमें यह याद दिलाता है कि यह धरोहर हमारी प्रेरणा है और हमें इसे अगली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है।

प्रधानमंत्री के आह्वान का प्रभाव

प्रधानमंत्री के इस संदेश का प्रभाव न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में महसूस किया जा सकता है। उन्होंने अपने संबोधन में यह साफ किया कि यदि हम अपनी संस्कृति को पूरी तरह से समझने और उसे संरक्षित करने में सफल होते हैं, तो हम न केवल अपनी पहचान को जीवित रखेंगे, बल्कि हम पूरी दुनिया को यह दिखा सकेंगे कि भारतीय संस्कृति की शक्ति क्या है। यह संदेश हमें अपने समृद्ध इतिहास की कद्र करने और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का आह्वान करता है।

यह अवसर न केवल अयोध्या के लिए, बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनता है। श्री राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा की वर्षगांठ हमारे सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का प्रतीक बन चुकी है। यह हमें यह सिखाता है कि जब हम अपने इतिहास और संस्कृति से जुड़ते हैं, तो हम अपने राष्ट्र को एक उज्जवल भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।

English Paragraph for SEO:

Prime Minister Narendra Modi, in his Mann Ki Baat program, emphasized the significance of preserving India’s cultural heritage and the importance of celebrating the first anniversary of Lord Ram Lalla’s Pran Pratishtha in Ayodhya. This historical event symbolizes the revival of India’s cultural consciousness and highlights the importance of maintaining traditions. By understanding and safeguarding our culture, we can ensure a prosperous future for the country. The message encourages citizens to connect with their roots and embrace the spirit of cultural preservation, reinforcing India’s global identity as a beacon of ancient wisdom and civilization.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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