AIN NEWS 1 | भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 8,000 किलोमीटर रेंज वाली एक बेहद घातक और तेज़ हाइपरसोनिक मिसाइल K-6 को तैयार कर लिया है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे परमाणु पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकेगा, जो इसे दुश्मन के लिए पूरी तरह से अदृश्य और अप्रत्याशित बना देती है।
पनडुब्बी से दागी जाएगी K-6 मिसाइल, होगी भारत की सबसे लंबी रेंज वाली हाइपरसोनिक मिसाइल
DRDO द्वारा विकसित की जा रही K-6 ICBM (Intercontinental Ballistic Missile) की रेंज लगभग 8,000 किलोमीटर है और इसकी गति 7.5 मैक यानी करीब 9,200 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। यह मिसाइल दुश्मन की रडार प्रणाली और एयर डिफेंस नेटवर्क को भेदने में पूरी तरह सक्षम है।
INS अरिहंत और INS अरिघात से होगी लॉन्चिंग, INS अरिदमन जल्द शामिल
K-6 को भारत की भविष्य की पनडुब्बियों में से एक से लॉन्च किया जाएगा। वर्तमान में भारत के पास दो परमाणु पनडुब्बियां – INS अरिहंत और INS अरिघात – हैं, जिनसे पहले से ही K-15 (750 km), K-4 (3,500 km) और K-5 (5,000 km) मिसाइलें लॉन्च की जा सकती हैं। जल्द ही तीसरी पनडुब्बी INS अरिदमन भी नेवी में शामिल हो सकती है।
भारत की हाइपरसोनिक ताकत अब चीन और रूस जैसी महाशक्तियों के बराबर
भारत ने पिछले साल नवंबर में भी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में एक बड़ी छलांग लगाई थी, जब DRDO ने 1,500 किलोमीटर रेंज की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल हवा से आवाज की गति से पांच गुना अधिक रफ्तार यानी मैक-5 से मैक-25 तक की स्पीड में चल सकती है। इसके चलते यह रडार डिटेक्शन और इंटरसेप्शन से बच निकलने में पूरी तरह सक्षम होती है।
इजरायल-ईरान युद्ध और हाइपरसोनिक मिसाइल की भूमिका
हाल ही में इजरायल-ईरान संघर्ष में भी हाइपरसोनिक मिसाइल का उपयोग हुआ। ईरान ने इस्फहान परमाणु संयंत्र पर अमेरिका द्वारा B-2 बॉम्बर और टॉमहॉक मिसाइल हमलों के जवाब में तेल अवीव जैसे शहरों पर हाइपरसोनिक मिसाइलें दागीं। इन मिसाइलों को इजरायल का ‘आयरन डोम’ और अमेरिका का ‘THAAD’ सिस्टम भी रोक नहीं पाया।
दुनिया के अन्य देशों की हाइपरसोनिक क्षमताएं
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रूस ने यूक्रेन युद्ध में ‘किंझल’ हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल किया, जिसे मिग-31 फाइटर जेट से लॉन्च किया गया।
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अमेरिका ‘MACO’ नामक हाइपरसोनिक मिसाइल पर काम कर रहा है, जिसे फाइटर जेट से दागा जा सकेगा।
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चीन के पास ‘DF-17’ और ‘YJ-21’ जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं।
K-6 के आने से भारत की सेकंड स्ट्राइक क्षमता में होगा ज़बरदस्त इजाफा
K-6 का प्रमुख उद्देश्य स्ट्रेटेजिक सेकंड स्ट्राइक को और मजबूत करना है। यह क्षमता भारत की न्यूनतम प्रतिरोध नीति (Minimum Credible Deterrence) का अहम हिस्सा मानी जाती है। दुश्मन अगर पहला हमला करता है, तो K-6 जैसी मिसाइलें भारत को जवाब देने में सक्षम बनाती हैं, वो भी किसी गहरे समंदर में छिपी पनडुब्बी से।
India is all set to test its first submarine-launched hypersonic missile, K-6, developed by DRDO. With a range of 8000 km and speed of Mach 7.5, this intercontinental ballistic missile positions India alongside global powers like Russia, China, and the US. The K-6 missile will significantly boost India’s nuclear second strike capability, launching from nuclear submarines like INS Arihant and INS Arighat. As the global hypersonic arms race intensifies, India’s entry with K-6 marks a major leap in strategic deterrence.