गाजियाबाद में जुटे पश्चिमी यूपी के अधिवक्ता, 18 नवंबर को मुरादाबाद में तय की जाएगी आंदोलन की रणनीति।

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बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग एक बार फिर से मुखर हो गई है. एक बार से लोग हाईकोर्ट बेंच की मांग कर रहे है. वही शानिवार को बार सभागार में 22 जिलों के अधिवक्ताओं की बैठक हुई थी और सभी अधिवक्ताओं ने एलान किया कि 8 नवंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकील हड़ताल पर रहेंगे। इसके साथ ही 18 नवंबर को मुरादाबाद में बेंच के लिए रणनीति तैयार करने के लिए दोबारा बैठक होगी। साथ ही आंदोलन को तेज करने के लिए जनवरी 2024 में बड़ी संख्या में अधिवक्ता पैदल मार्च निकालेंगे.

अध्यक्ष कुंवर पाल शर्मा ने दी जानकारी

बता दे कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के लिए बनी संघर्ष समिति के अध्यक्ष कुंवर पाल शर्मा ने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के 22 जिले में कहीं भी बेंच स्थापित कर दें, हम सबको स्वीकार है साथ ही उन्होनें कहा कि  पिछले 45 वर्ष से लगातार संघर्ष चला आ रहा है यह कोई चुनावी आंदोलन नहीं है. अध्यक्ष कुंवर पाल ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के संबंध में जसवंत आयोग का गठन हुआ था। इसमें आगरा में बेंच की स्थापना की सिफारिश की गई थी। उस दौरान विपक्ष में रहे अटल विहारी बाजपेयी ने भी बेंच स्थापना का समर्थन किया था। उन्होंने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शिमला, चंडीगढ़, ग्वालियर, नैनीताल और जयपुर के हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट से काफी नजदीक है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना के लिए मंजूरी दे । साथ ही गाजियाबाद के अध्यक्ष राकेश त्यागी कैली ने कहा कि 45 साल से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की मांग के लिए वकील संघर्ष करते आ रहे है इसके बावजूद भी केंद सरकार ने वकीलों की मांग पर अभी तक सुनवाई नहीं कि है. केंद सरकार का कहना है कि हर व्यक्ति को घर के दरवाजे पर न्याय मिले, लेकिन केंद्र सरकार अपने वायदे पर भी अमल नहीं कर रही है. बता दे कि पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग करीब पांच दशक पुरानी है। इसके समर्थन में 22 जिलों के अधिवक्ता हर सप्ताह शनिवार को हड़ताल भी करते हैं। वकीलों का कहना है कि मेरठ से प्रयागराज की दूरी करीब 700 किलोमीटर है। अधिवक्ताओं के मुताबिक, प्रयागराज हाईकोर्ट में करीब 12 लाख केस पेंडिंग हैं। इसमें 70 फीसदी से ज्यादा केस सिर्फ पश्चिमी यूपी के हैं। उसकी वजह ये है कि वकीलों और वादियों को हाईकोर्ट जाने में असुविधा होती है। अगर पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच बन जाती है तो लोगों को सस्ता और सुलभ न्याय मिलेगा।

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